भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है. इसमें देश की तमाम कंपनियों का योगदान रहा है, लेकिन पतंजलि इस मामले में सबसे आगे है. कंपनी ने स्वदेशी उत्पादों को बनाकर न सिर्फ देश में नौकरियां पैदा की हैं, बल्कि स्थानीय उत्पादों को दुनिया के तमाम बजारों में उतारा है. बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण की अगुवाई में यह कंपनी देश की अर्थव्यवस्था को एक नए स्तर पर ले जाने में अपना योगदान दिया है. कंपनी का रेवेन्यू और मुनाफ लगातार बढ़ा है. देश की अग्रणी एफएमसीजी कंपनियों में एक पतंजलि ने रोजगार सृजन और स्वदेशी उत्पादों पर अधिक जोर दिया है. अपने अनूठे बिजनेस मॉडल और किफायती मूल्य की रणनीति से एफएमसीजी व आयुर्वेदिक उत्पादों के बाजार में अपनी बड़ी पहचान बनाई है.
पतंजलि का स्वदेशी आंदोलन बना क्रांति
पतंजलि आयुर्वेद की स्थापना 2006 में की गई. बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण ने इसकी स्थापना की. इस ब्रांड ने भारतीय बाजार में स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा दिया. विदेशी कंपनियों के एकछत्र राज को चुनौती दी. पतंजलि ने घरेलू उपभोक्ताओं के बीच भारतीय उत्पादों के प्रति विश्वास को बढ़ाने की कोशिश की. 'मेक इन इंडिया' व 'आत्मनिर्भर भारत' जैसे अभियानों को सफल बनाने में अहम योगदान दिया.
भारतीय अर्थव्यवस्था में पतंजलि का योगदान
पतंजलि का विकास मात्र एक ब्रांड के रूप में नहीं हुआ है. इसके स्वदेशी उत्पादों की शृंखला ने अर्थव्यवस्था को मजबूती दी है. आयुर्वेदिक और प्राकृतिक उत्पादों की बढ़ती डिमांड ने इस सेक्टर में रोजगार के काफी अवसर प्रदान किए. कंपनी ने खाद्य, औषधि, कॉस्मेटिक्स और एफएमसीजी उत्पादों में विस्तार कर बहुराष्ट्रीय कंपनियों को कड़ी टक्कर दी. इससे भारतीय बाजार में काफी प्रतिस्पर्धा देखने को मिली. पतंजलि आयुर्वेद ने वित्तीय वर्ष 2024 में उल्लेखनीय राजस्व में बढ़ोतरी हासिल की है. पतंजलि समूह की ओर से अधिग्रहित पतंजलि फूड्स का लक्ष्य आने वाले पांच वर्षों में 45,000-50,000 करोड़ रुपये का कारोबार करना है.
लघु, सूक्ष्म और मध्यम उद्यमों की करी मदद
पतंजलि ने कई लघु और मध्यम उद्योगों को काफी सहयोग दिया है. कंपनी ने अपने उत्पादों को लेकर स्थानीय किसानों और छोटे उत्पादकों से कच्चे माल को खरीदा है. इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिला. इससे किसानों को उचित मूल्य मिला. उनकी आय में वृद्धि हुई. नोएडा, नागपुर और इंदौर में नई उत्पादन इकाइयों समेत पतंजलि की विस्तार योजनाओं से रोजगार के अनेक अवसर पैदा हुए हैं.