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भारत में इस कारोबार पर मंडरा रहा खतरा Photograph: (Social Media)
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Cable Television Industry in India: भारत में केबिल टेलिविजिन इंडस्ट्री का भविष्य खतरे में है. जिससे आने वालों सालों में कई लाख लोगों की नौकरियां जाने का अनुमान है. एक रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया गया है.
भारत में इस कारोबार पर मंडरा रहा खतरा Photograph: (Social Media)
Cable Television Industry in India: दुनियाभर में 21वीं सदी में तेज बदलाव हुए हैं. जिसमें टेक्नोलॉजी सबसे बड़ी वजह बनी है. टेक्नोलॉजी से जहां तमाम नौकरियों के अवसर पैदा हुए हैं तो कई तरह की नौकरियां खत्म भी हुई हैं. इस बीच भारत की एक इंडस्ट्री पर और खतरा मंडरा रहा है. जिससे कई लाख लोगों की नौकरी जा सकती है. दरअसल, भारत की केबल टीवी इंडस्ट्री इनदिनों गंभीर खतरे हैं है. जो कभी हर घर की शान होती थी. टेलीविजन इंडस्ट्री इस केबल के बिना अधूरी थी लेकिन आधुनिक टेक्नोलॉजी के चलते इस इंडस्ट्री पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं.
ओवर-द-टॉप (OTT) प्लेटफॉर्म से बढ़ती प्रतिस्पर्धा और डीडी फ्री डिश जैसी मुफ्त, अनलिमिटेड सर्विसेज की बढ़ती लोकप्रियता ने केबल टेलीविजन को भारी नुकसान पहुंचाया है. एक अनुमान के मुताबिक, पे-टीवी ग्राहकों की संख्या में गिरावट के चलते साल 2018 और 2025 के बीच 5 लाख 7,000 कम्युलेटिव नौकरियों के खत्म होने का अनुमान है. एक शोध रिपोर्ट में इसका खुलासा किया गया है.
ऑल इंडिया डिजिटल केबल फेडरेशन (AIDCF) और ईवाई इंडिया की ओर से संयुक्त रूप से तैयार की गई रिपोर्ट 'स्टेट ऑफ केबल टीवी डिस्ट्रीब्यूशन इन इंडिया' में इस बात का खुलासा हुआ है कि पे-टीवी सब्सक्राइबर बेस 2018 में 151 मिलियन से घटकर 2024 में 111 मिलियन पर आ गया है. वहीं 2030 तक ये घटकर 71-81 मिलियन के बीच आ सकता है. इसमें चैनलों की बढ़ती लागत, बढ़ते ओटीटी प्लेटफॉर्म और डीडी फ्री डिश जैसी मुफ्त, अनियमित सेवाओं की बढ़ती लोकप्रियता के चलते गिरावट आई है.
इसके साथ ही रिपोर्ट में कहा गया है कि चार डायरेक्ट-टू-होम (DTH) प्लेयर्स और दस प्रमुख केबल टीवी प्रोवाइडर्स या मल्टी-सिस्टम ऑपरेटरों (MSO) के कम्युलेटिव रेवेन्यू में 2018 से 16 प्रतिशत से ज्यादा गिरावट आई है. जबकि उनके मार्जिन में 29 फीसदी की कमी दर्ज की गई है. वहीं वित्त वर्ष 2019 में, उनका संयुक्त राजस्व 25,700 करोड़ रुपये था जो वित्त वर्ष 2024 में घटकर 21,500 करोड़ रुपये ही रह गया. वित्त वर्ष 2024 में संयुक्त एबिटा घटकर 3,100 करोड़ रुपये ही रह गया. जो वित्त वर्ष 2019 में 4,400 करोड़ रुपये था. बता दें कि इस स्टडी में 34 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 28,181 स्थानीय केबल ऑपरेटर्स (LCO) से इनपुट लिए गए थे. जिसका असर एलसीओ वर्कफोर्स पर देखा गया.
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सर्वे के मुताबिक, इस दौरान ऑपरेटरों ने रोजगार में 31 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई. जो 37,835 नौकरियों का नुकसान दर्शाता है. जब राष्ट्रीय स्तर पर यह विभिन्न परिचालन स्तरों पर एक लाख 14 हजार से एक लाख 95 हजार तक होने का अनुमान है. जिससे अनुमान है कि 2018 से अब तक लगभग 900 एमएसओ और 72,000 एलसीओ के बंद होने से ओवरएज में योगदान दिया है. रिपोर्ट में बताया गया है कि 2018 से लगभग 900 एमएसओ और 72 हजार एलसीओ के बंद होने से कुल पांच लाख 77 हजार लोगों की नौकरी चली गई.
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