World Bank: मोदी सरकार के कार्यकाल में गरीबों की संख्या में आई भारी गिरावट, विश्व बैंक ने जारी किए आंकड़े

World Bank: मोदी सरकार लगातार नए रिकॉर्ड बना रही है. अब मोदी सरकार के 11 साल के कार्यकाल में गरीबों की संख्या में भारी गिरावट दर्ज करने वाली रिपोर्ट आई है. इस रिपोर्ट को विश्व बैंक ने जारी किया है.

World Bank: मोदी सरकार लगातार नए रिकॉर्ड बना रही है. अब मोदी सरकार के 11 साल के कार्यकाल में गरीबों की संख्या में भारी गिरावट दर्ज करने वाली रिपोर्ट आई है. इस रिपोर्ट को विश्व बैंक ने जारी किया है.

author-image
Suhel Khan
New Update
Poverty decline in India

बीते 11 साल में भारत में घटी गरीबी Photograph: (Social Media)

World Bank: मोदी सरकार ने भारत में गरीबी को खत्म करने के लिए जारी लड़ाई में बड़ी उपलब्धि हासिल की है. दरअसल, भारत में गरीबों की संख्या में बड़ी गिरावट आई है. वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट में इस बारे में जानकारी दी गई है. विश्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की बेहद गरीबी में जी रहे लोगों की संख्या में 2011-12 के बाद भारी गिरावट आई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि गरीबों की संख्या में 27.1 प्रतिशत से एक दशक में तेजी से गिरावट देखी गई है और ये 2022-23 में घटकर 5.3 प्रतिशत रह गई. इसके साथ ही विश्व बैंक ने अपनी गरीबी रेखा की सीमा को संशोधित कर 3 अमेरिकी डॉलर प्रतिदिन कर दिया.

Advertisment

शहरी-ग्रामीण गरीबी में कम हुआ अंतर

विश्व बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2017 से 2021 के बीच भारत की महंगाई दर को देखते हुए, 3 अमेरिकी डॉलर की संशोधित अत्यधिक गरीबी रेखा 2021 की कीमतों में व्यक्त 2.15 डॉलर की सीमा से 15 प्रतिशत अधिकर रहा है, जिसके चलते 2022-23 में गरीबी दर 5.3 फीसदी पर आ गई. रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में अत्यधिक गरीबी दर 18.4 फीसदी से घटकर 2.8 फीसदी रह गई है, जबकि शहरी क्षेत्र में ये 10.7 प्रतिशत से घटकर 1.1 फीसदी रह गई है. जिससे ग्रामीण-शहरी गरीबी का अंतर 7.7 फीसदी से कम होकर सिर्फ 1.7 फीसदी रह गया है.

मुफ्त राशन स्कीम से बदले गरीबी के आंकड़े

बता दें कि मोदी सरकार की ओर से चलाई जा रही मुफ्त और रियायती खाद्यान्न स्कीम से गरीबी के आंकड़ों में कमी आई है. जिससे ग्रामीण-शहरी गरीबी के बीच भी अंतर कम हुआ है. रिपोर्ट के मुताबिक, पांच सबसे अधिक आबादी वाले राज्यों में 54 प्रतिशत अत्यंत गरीब लोग रहते हैं. अर्थव्यवस्था के जुड़ी  रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले वित्त वर्ष 2024-25 तक भारत की वास्तविक जीडीपी महामारी-पूर्व प्रवृत्ति स्तर से लगभग पांच प्रतिशत कम थी.

रिपोर्ट के मुताबिक, वर्तमान वैश्विक अनिश्चितताओं को व्यवस्थित तरीके से हल करने की स्थिति में 2027-28 तक वृद्धि धीरे-धीरे संभावित स्तर पर वापस आ जाएगी. हालांकि, इसमें महत्वपूर्ण नकारात्मक जोखिम हैं, क्योंकि वैश्विक स्तर पर नीतिगत बदलाव जारी रहने का अनुमान है. वहीं बढ़ते व्यापार तनाव से भारत के निर्यात की मांग कम होगी, जबकि निवेश के सुधार में और देरी होगी.

एक दशक में तेजी से घटी गरीबों की संख्या

विश्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले एक दशक में, भारत में गरीबों की संख्या में काफी कमी आई है. विश्व बैंक ने अप्रैल में भारत पर अपने 'गरीबी और समानता संक्षिप्त' में बताया था कि 2011-12 में अत्यधिक गरीबी यानी प्रतिदिन 2.15 डॉलर से कम पर जीवन यापन करने वालों की संख्या 2022-23 में घटकर 2.3 प्रतिशत रह गई. जिसमें 17.1 करोड़ लोग इस रेखा से ऊपर आ गए. रिपोर्ट के मुताबिक, ग्रामीण क्षेत्रों में अत्यधिक गरीबी 18.4 प्रतिशत से घटकर 2.8 प्रतिशत पर आ गई है, जबकि शहरी क्षेत्र में ये 10.7 प्रतिशत से घटकर 1.1 प्रतिशत हो गई है. यानी ग्रामीण-शहरी गरीबी का अंतर 7.7 प्रतिशत से घटकर 1.7 प्रतिशत पर आ गया है. जो 16 प्रतिशत की वार्षिक गिरावट है.

ये भी पढ़ें: Miguel Uribe: कोलंबिया में राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार मिगुएल उरीबे को रैली के दौरान मारी गोली, हालत गंभीर

ये भी पढ़ें: Manipur Violence: मणिपुर में हिंसक प्रदर्शन के बीच 5 दिनों के लिए बंद किया गया इंटरनेट, बिष्णुपुर में लगा कर्फ्यू

Modi Government Free Ration World Bank World Bank Report Poverty In India
      
Advertisment