सावन में भक्त भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए चीजें करते हैं, तो वहीं कुछ लोग रुद्राक्ष धारण करते हैं. मान्यता के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति अपनेो जीवन में हर तरह के कष्टों को खत्म करना चाहता है उसे रुद्राक्ष धारण करना चाहिए. लेकिन रुद्राक्ष धारण करने से पहले इसके नियम जानना बेहद जरूरी है. क्योंकि नियमों का पालन न करने से शुभ फलों की प्राप्ति नहीं होगी. माना जाता है कि रुद्राक्ष भगवान शिव को अति प्रिय है. इसी कारण जो व्यक्ति रुद्राक्ष धारण करता है उसे भगवान की विशेष कृपा प्राप्त होती है.
भगवान शिव के आंसुओं से उत्पत्ति हुई
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के आंसुओं से हुई है. इसी कारण रुद्राक्ष को चमत्कारी और अलौकिक माना जाता है. रुद्राक्ष एक मुखी से लेकर इक्कीस मुखी तक पाए जाते हैं. जिनकी अपने अलग-अलग महत्व है. माना जाता है कि जो व्यक्ति रुद्राक्ष को नियम और विधि के अनुसार पहन लें तो वह हर तरह के संकटों से छुटकारा पा लेता है और कुंडली में ग्रहों की स्थिति भी सही हो जाती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जब माता सती ने खुद को अग्नि में प्रवेश कराकर देह का त्याग कर दिया था तब भगवान शिव के रुदन से निकले आंसू पृथ्वी पर कई जगह गिरे और उनसे प्रकृति को रुद्राक्ष के रूप में एक चमत्कारी तत्व की प्राप्ति हुई थी.
रुद्राक्ष पहनने के नियम
प्रात:काल जब रुद्राक्ष धारण करें तो रुद्राक्ष मंत्र और रुद्राक्ष मूल मंत्र का 9 बार जाप करना चाहिए, साथ ही इसे सोने से पहले और रुद्राक्ष को हटाने के बाद भी दोहराया जाना चाहिए. रुद्राक्ष को एक बार निकाल लेने के बाद उस पवित्र स्थान पर रखना चाहिए जहां आप पूजा करते हैं.
रुद्राक्ष को तुलसी की माला की तरह की पवित्र माना जाता है. इसलिए इसे धारण करने के बाद मांस-मदिरा से दूरी बना लेना चाहिए.
रुद्राक्ष को कभी भी श्मशान घाट पर नहीं ले जाना चाहिए. इसके अलावा नवजात के जन्म के दौरान या जहां नवजात शिशु का जन्म होता है वहां भी रुद्राक्ष ले जाने से बचना चाहिए.
महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान रुद्राक्ष नहीं पहनना चाहिए.
रुद्राक्ष को बिना स्नान किए नहीं छूना चाहिए. स्नान करने के बाद शुद्ध करके ही इसे धारण करें.
रुद्राक्ष धारण करते समय भगवान शिव का मनन करें. इसके साथ ही शिव मंत्र 'ऊँ नम: शिवाय' का जाप करते रहें.
रुद्राक्ष को हमेशा लाल या फिर पीले रंग के धागे में पहनना चाहिए. कभी भी इसे काले रंग के धागे में नहीं पहनना चाहिए. इससे अशुभ प्रभाव पड़ता है.
रुद्राक्ष की माला को हमेशा विषम संख्या में पहनना चाहिए. लेकिन 27 मनकों से कम नहीं होनी चाहिए.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)