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अफगान के तीसरे सबसे बड़े शहर पर तालिबान का कब्जा, जानें कैसे

तालिबान ने अफगानिस्तान के एक और बड़े शहर पर अपना कब्जा जमा लिया है. एएफपी न्यूज एजेंसी के अनुसार, आतंकवादी संगठनों ने अफगान के हेरात शहर पर अपना अधिकार जमा लिया है, जोकि देश का तीसरा सबसे बड़ा शहर है.

Updated on: 12 Aug 2021, 10:56 PM

नई दिल्ली:

तालिबान ने अफगानिस्तान के एक और बड़े शहर पर अपना कब्जा जमा लिया है. एएफपी न्यूज एजेंसी के अनुसार, आतंकवादी संगठनों ने अफगान के हेरात शहर पर अपना अधिकार जमा लिया है, जोकि देश का तीसरा सबसे बड़ा शहर है. तालिबान के इस हमले के बाद अफगानिस्तान की सेना और प्रशासन ने हेरात शहर से पीछे हटने का फैसला लिया है. ये आतंकी संगठन इससे पहले भी अफगानिस्तान के कई शहरों पर अपना कब्जा जमा चुका है. बताया जा रहा है कि अब अफगानिस्तान में आतंकी संगठन तालिबान को सरकार में भागीदारी मिल सकती है.

आपको बता दें कि अफगान के हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं. इसके चलते कई देशों के नागरिक वहां से निकल रहे हैं. पहले जहां अमेरिका ने अपने नागरिकों को अफगानिस्तान छोड़ने को कहा है तो वहीं अब भारत सरकार भी लगातार वहां मौजूद भारतीयों के संपर्क में है. सभी लोगों को सुरक्षित निकालने का प्रयास हो रहा है.

अफगानिस्तान में होगा तालिबान का राज! हिंसा रोकने को सरकार ने दिया यह ऑफर

आपको बता दें कि आतंकी घटनाओं को रोकने के लिए अफगान सरकार ने तालिबान को सत्ता में साझेदारी का ऑफर दिया है. यह प्रस्ताव कतर में तालिबान के नेताओं के साथ हुई एक बैठक में अफगानिस्तान की ओर से दिया गया. समाचार एजेंसी एएफपी ने गुरुवार को यह जानकारी दी. वहीं, सूत्रों के हवाले से जानकारी मिली है कि काबुल ने यह प्रस्ताव बातचीत के मध्यस्थता कर रहे कतर के माध्यम से तालिबान को दिया है. प्रस्ताव में कहा गया है कि अगर तालिबान हिंसा पर रोक लगाता है तो उसको सत्ता में हिस्सेदारी दी जा सकती है.

अफगान मुद्दे पर चार पक्षीय सम्मेलन 11 अगस्त को कतर की राजधानी दोहा में आयोजित हुआ. चीन, अमेरिका, रूस व पाकिस्तान से आए प्रतिनिधियों ने अफगानिस्तान की हालिया स्थिति पर विचार विमर्श किया और अफगान शांति वार्ता के विभिन्न पक्षों से जल्द ही संघर्ष और हिंसा को खत्म कर मूलभूत मुद्दों पर समझौता संपन्न करने की अपील की. चार देशों के प्रतिनिधियों ने सहमति जताई कि वार्ता के माध्यम से राजनीतिक समझौता करना अफगानिस्तान में स्थायी शांति की प्राप्ति का एकमात्र सही तरीका है. इसके साथ ही, अफगानिस्तान की संप्रभुता, प्रादेशिक अखंडता और स्वतंत्रता का सम्मान किया जाना चाहिए. चीनी विदेश मंत्रालय के अफगान मामले पर विशेष दूत य्वे श्याओयोंग ने कहा कि चीन ने वार्ता में अफगान लोगों की प्रधानता वाले सिद्धांत के पालन पर कायम रहने की अपील की.

शांति वार्ता के दोनों पक्षों को जल्द से जल्द अफगान मुद्दे का एक कारगर राजनीतिक समाधान खोजने और एक व्यापक व समावेशी व्यवस्था तक पहुंचने के अवसर का लाभ उठाना चाहिए. मौजूदा सम्मेलन में चार देशों के प्रतिनिधियों ने अलग-अलग तौर पर अफगान सरकार और तालिबान के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत की और दोनों पक्षों से शांति व सुलह हासिल करने के लिए जल्द से जल्द शांति वार्ता फिर से शुरू करने का आग्रह किया. चीनी प्रतिनिधि य्वे श्याओयोंग ने बल देते हुए कहा कि चीन अफगानिस्तान साथ पारंपरिक मैत्री को महत्व देता है और अफगानिस्तान की शांति प्रक्रिया, स्थिरता प्रक्रिया और सुरक्षा प्रक्रिया को बढ़ावा देने के लिए चीन अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के साथ काम करने को तैयार है. इसके साथ ही चीन भविष्य में अफगानिस्तान के शांतिपूर्ण पुनर्निर्माण में भी भाग लेना चाहता है.