Union Budget 2025: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार( 01 फरवरी) को आम बजट 2025-26 पेश किया. इसके तहत उन्होंने बिहार के लिए सौगातों की बरसात कर दी, जिसमें से एक मखाना बोर्ड की स्थापना है. प्रदेश में इसके स्थापित होते ही किसानों को काफी फायदा पहुंचने वाला है. आइए जानते हैं कि कैसे ये सौगात बिहार के लिए लाभकारी साबित होगी.
कितना फायदेमंद होगा मखाना बोर्ड
बिहार में मखाना बोर्ड के गठन होने से कई फायदे होने वाले हैं. रिपोर्ट के मुताबिक इससे मखाना प्रोसेसिंग कंपनियों को लाभ मिलेगा. इसके साथ ही मखाने की खेती और बाजार के लिए भी बोर्ड का गठन लाभकारी साबित होने वाला है. इस पहल का सीधा-सीधा मकसद किसानों का समर्थन करना, निर्यात बढ़ाना और मखाना को एक प्रमुख कृषि उत्पाद के रूप में स्थापित करना और विशेष रूप से बिहार जैसे क्षेत्रों को लाभान्वित करना है.
मखाना फोकस्ड क्यों रहा बजट
बता दें कि बिहार में मखाना बोर्ड स्थापित होने के बाद इसका उत्पादन करने वाले किसानों को प्रशिक्षण दिया जाएगा. ऐसा करने से मखाने के उत्पादन और संवर्धन को बहुत बढ़ावा मिलेगा. इस बोर्ड का गठन किसानों और उद्यमियों के हित में एक नई पहल है. दरअसल, नीतीश सरकार मखाने के लिए एमएसपी मखाना बोर्ड बना चुकी है. इसके तहत ही किसानों और उद्यमियों को फायदा होगा.
इन जिलों को पहुंचेगा सीधा फायदा
गौरतलब है कि बिहार सरकार ने आईसीएआर-राष्ट्रीय अनुसंधान केंद्र से अनुरोध किया था कि मखाने के सुदृढ़ीकरण पर ध्यान दिया जाए. इसके बाद अब केंद्र सरकार ने भी कदम बढ़ाते हुए इसे बजट में शामिल किया है. यूं तो मखाने की खेती पूरे बिहार में नहीं होती है, बल्कि उत्तरी और पूर्वी बिहार में मखाने की खेती की जाती है. इसमें मधेपुरा, सुपौल, अररिया, सीतामढ़ी, मधुबनी, दरभंगा, पूर्णिया, कटिहार, सहरसा, और किशनगंज जिला शामिल है.
हर साल दो लाख टन होता है निर्यात
बिहार एक ऐसा राज्य है जहां मखानों का प्रमुख रूप से उत्पादन किया जाता है. यहां देश के कुल मखाना का 85 प्रतिशत उत्पादन होता है. प्रदेश के मधुबनी, दरभंगा, सहरसा, सुपौल, पूर्णिया, कटिहार जैसे जिलों में मखाना की खूब खेती होती है. इतना ही नहीं यहां का मखाना अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, जापान और इंग्लैंड जैसे देशों में निर्यात किया जाता है. हर साल लगभग दो लाख टन मखाना का निर्यात होता है.
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