SC: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सुप्रीम कोर्ट से कुछ सवाल पूछे हैं. ये सवाल सुप्रीम कोर्ट के आदेश से जुड़े हैं. दरअसल, पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला दिया था, जिसमें अदालत ने कहा था कि राज्यपाल विधेयकों को अनिश्चितकाल के लिए नहीं रोक सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट के इसी आदेश पर राष्ट्रपति ने सवाल किए हैं. ये सवाल राज्यपाल और राष्ट्रपति की शक्तियों से जुड़े हुए हैं.
राष्ट्रपति मुर्मू ने जो सवाल किए हैं, वे संविधान के अनुच्छेद 200, 201, 361, 143, 142, 145(3) और 131 से जुड़े हुए हैं. आइये जानते हैं राष्ट्रपति मुर्मू द्वारा पूछे गए सवाल…
कैसे हुई मामले की शुरुआत
मामले की शुरुआत तमिलनाडु के गवर्नर और तमिलनाडु सरकार के बीच हुए विवाद के बाद से हुई. दरअसल, गवर्नर आर एन रवि ने राज्य की स्टालिन सरकार के बिल रोक दिए थे. स्टालिन सरकार ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई. सुप्रीम कोर्ट ने मामले में सुनवाई की. अदालत ने आठ अप्रैल को आदेश दिया कि राज्यपाल के पास किसी भी प्रकार का वीटो पावर नहीं है. कोर्ट ने राष्ट्रपति के लिए भी समय सीमा तय किया. उन्होंने कहा कि राज्यपाल की ओर से भेजे गए बिल पर राष्ट्रपति को 3 महीने के अंदर-अंदर फैसला लेना होगा.
राष्ट्रपति मुर्मू ने सुप्रीम कोर्ट से पूछे ये सवाल -
- बिल आने के बाद राज्यपाल के पास कौन-कौन से संवैधानिक विकल्प होते हैं ?
- राज्यपाल को फैसला लेते वक्त मंत्रिपरिषद की सलाह मानना जरूरी है ?
- राज्यपाल के फैसले को कोर्ट में चैलेंज किया जा सकता है ?
- आर्टिकल 361 राज्यपाल के फैसलों पर न्यायिक समीक्षा को रोक सकता है ?
- राज्यपाल के लिए संविधान में अगर समयसीमा तय नहीं हो तो क्या कोर्ट यह तय कर सकती है ?
- क्या राष्ट्रपति के फैसले को कोर्ट में चैलेंज किया जा सकता है ?
- क्या अदालत राष्ट्रपति के फैसलों पर समयसीमा तय कर सकती है ?
- क्या सुप्रीम कोर्ट की राय लेना राष्ट्रपति के लिए अनिवार्य है ?
- क्या अनुच्छेद 142 के तहत राष्ट्रपति या राज्यपाल के संवैधानिक कार्यों और आदेशों को बदला जा सकता है?