Kargil Vijay Diwas: भारत ने 1999 में आज के दिन ही कारगिल युद्ध में विजय प्राप्त की थी. भारत ने पाकिस्तान को युद्ध में धूल चटा दी थी. आज के दिन को इस वजह से हर साल कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है. कारगिल युद्ध में तो भारत माता के हर एक सपूत ने कमाल कर दिया था. भारतीय सैनिकों की हजारों वीर गाथाएं हैं, जिन्हें दुनिया हमेशा याद रखेगी. आइये जानते हैं ऐसे ही एक वीर बलिदानी की कहानी….
ये कहानी है वीरता और अद्वितीय साहस की, जो मश्होक घाटी के प्वाइंट 4875 पर लड़ी गई थी. भारत के लिए ये प्वाइंट बहुत अहम था. पाकिस्तानी सैनिकों ने इस पर कब्जा कर लिया था. पाकिस्तानी सैनिक आतंकवादी के भेष में आए थे. पाक सैनिकों को खदेड़ ने का जिम्मा 17 जाट रेजीमेंट को सौंपी. 6 जुलाई 1999 को मेजर ऋतेश शर्मा की लीडरशिप में चार्ली कंपनी ने अपने अभियान की शुरुआत की. हालांकि, अभियान शुरू करने के दूसरे दिन ही शर्मा गंभीर रूप से घायल हो गए, जिसके बाद कैप्टन अनुज नय्यर को मिशन की कमान दी गई.
कैप्टन नय्यर ने दो टीमें बनाईं
कैप्टन नय्यर ने दोबारा रणनीति बनाई और असॉल्ट टीम को दो भागों में बांट दिया. एक टीम का नेतृत्व कैप्टन विक्रम बत्रा और दूसरी टीम का नेतृत्व खुद अनुज ने संभाला. टोही दल की जानकारी से चार बंकरों के बारे में पता चला, जिसके आधार पर उन्होंने अटैक कर दिया. दुश्मनों ने भारी गोलीबारी की, जिसके बाद भी कैप्टन अनुज के पैर नहीं डगमगाए और उन्होंने बंकरों पर रॉकेट लॉन्चर और ग्रेनेड से अटैक किया. एक-एक करके कैप्टन ने तीन बंकरों को ध्वस्त कर दिया.
रॉकेट लॉन्चर से पाकिस्तान ने किया हमला
कैप्टन अनुज जैसे ही चौथे बंकर की ओर बढ़ रहे थे, तभी दुश्मनों ने ऑटोमेटिक हैवी मशीन गन से गोलीबारी शुरू कर दी. इसी दौरान, कैप्टन अनुज के ऊपर रोकेट से ग्रेनेड लॉन्च किया गया. भारत का वीर सपूत गंभीर रूप से घायल हो गया और वीरगति को प्राप्त हो गए. उन्होंने इस युद्ध में अकेले नौ दुश्मन सैनिकों को जहन्नुम पहुंचा दिया और तीन मध्यम मशीन गन पॉजिशन को बर्बाद कर दिया.
शान से लहराया तिरंगा
उनकी वीरता, उनके नेतृत्व और उनके बलिदान के वजह से प्वाइंट 4875 पर न सिर्फ तिरंगा शान से लहरा पाया बल्कि भारतीय सेना के साहसिक परंपरा को अमर कर दिया गया. उन्हें बाद में महावीर चक्र (मरणोपरांत) से सम्मानित किया गया.