ईरान और इस्राल के बीच युद्ध जारी है, मिडिल ईस्ट में इस वजह से तनाव बढ़ा हुआ है. इस बीच, अमेरिका ने भी अब ईरान पर हमला कर दिया है. अमेरिका ने ईरान के तीन न्यूक्लियर साइट्स को निशाना बनाया है. इस्राइल और ईरान युद्ध में अमेरिका की एंट्री होने की वजह से हालात और गंभीर हो गए हैं. मिडिल ईस्ट में बड़ा संकट छा रहा है. मिडिल ईस्ट में जारी संघर्ष के कारण भारतीय बासमती चावल क्षेत्र पर असर पड़ सकता है.
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क्या पड़ सकता है प्रभाव?
Crisil की रिपोर्ट के अनुसार, फाइनेंशियल ईयर 2025 में इंडियन बासमती चावल के निर्यात में ईरान और इस्राइल की हिस्सेदारी 14 प्रतिशत है. मौजूदा तनाव के कारण इस पर असर पड़ने की आशंका है. रिपोर्ट में कहा गया कि मिडिल ईस्ट, यूरोप और अमेरिका के अन्य देशों को निर्यात करने की क्षमता से जोखिम कम हो सकता है. हालांकि, अगर संघर्ष लंबे वक्त तक चलता है, बाकी के क्षेत्रों में निर्यात करने में मुश्किल हो सकती है.
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और किन क्षेत्रों पर पड़ सकता है असर?
बासमती चावल के अलावा फर्टिलाइजर्स और पॉलिश किए गए हीरे सहित अन्य क्षेत्रों पर भी असर देखने को मिल सकत है. हालांकि, उम्मीद जताई जा रही है कि बासमती चावल की तुलना में इनकी डिमांड घटेगी. पिछले साल कुछ हीरे निर्यात करने में निर्यात में इस्राइल का योगदान करीब चार प्रतिशत था. इस्राइल इस वजह से मुख्य व्यापारिक केंद्रों में से एक है. तनाव के वजह से पॉलिश करने वाले यूएई और बेल्जियम की तरफ व्यापारिक केंद्रों के लिए जा सकते हैं.
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