US Iran Tension: अमेरिका ने ईरान पर भारतीय समयानुसार रविवार सुबह 4.30 बजे हमला कर दिया. इस घटना के बाद इस्राइल और ईरान के बीच तनाव और बढ़ गया है. ऐसे में हालातों को मद्देनजर रखते हुए इस्राइल ने स्कूल-कॉलेज, दफ्तर, भीड़-भाड़ वाली जगहों के साथ-साथ सभी आयोजनों पर रोक लगा दी है. रिपोर्ट के अनुसार रक्षा मंत्री इस्राइल काट्ज की सहमति के बाद ये निर्णय लिया गया है.
अमेरिका के हमले के बाद इस्राइल के रक्षा मंत्री ने हालात की समीक्षा की. रक्षा मंत्री के फैसले के बाद सरकार ने रविवार से सभी स्कूल-कॉलेज, दफ्तर, भीड़-भाड़ वाली जगहों पर आयोजनों पर रोक लगा दी है.
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ये है पूरा मामला
दरअसल, अमेरिका ने ईरान में तीन परमाणु ठिकानों पर को निशाना बनाते उस पर हमला बोल दिया. मीडिया रिपोर्ट की मानें तो यहां फोर्डो, नतांज और इस्फाहन स्थित प्लांट्स का अमेरिका ने सफाया किया है. यह अटैक भारतीय समयानुसार सुबह 4.30 बजे किया गया है. इसपर खुद अमेरिका के राष्टपति डोनाल्ड ट्रंप का कहना है कि उनकी तरफ से फोर्डो पर बमों की पूरी एक खेप गिरा दी गई है. वहीं दूसरी ओर इस्राइल ने भी अमेरिका के हमले काफी सराहनीय बताया है. हालांकि, संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने चिंता जाहिर की है.
नेतन्याहू ने की अमेरिका की तारीफ
ईरान पर अटैक को लेकर इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने हमले को खूब सराह और कहा कि सचमुच अमेरिका का कोई जोड़ नहीं है. उन्होंने वह कर दिखाया है जो धरती पर कोई दूसरा देश नहीं करने के बारे में सोच न सके. ट्रंप के इस कदम को तो इतिहास में दर्ज किया जाएगा कि उन्होंने दुनिया के सबसे खतरनाक शासन और हथियारों को नकारने के लिए काम किया है. इसके बाद नेतन्याहू ने राष्ट्रपति ट्रंप को बधाई देते हुए कहा कि आपने तो ईरान की परमाणु साइट्स को ध्वस्त कर इतिहास ही बदल डाला.
देश के संबोधन में पीएम ने कही ये बात
इस्राइल के प्रधानमंत्री ने देश को संबोधित किया और कहा कि उनकी सरकार को इस ऑपरेशन राइजिंग लॉयन में सफलता मिली है. उन्होंने आगे कहा कि उनकी सरकार ने इस्राइली जनता से ईरान के न्यूक्लियर प्लांट्स को खत्म करने का जो वादा किया था वो पूरा हो चुका है. अमेरिका और इस्राइल ने मिलकर इस हमले को अंजाम दिया है, जिसका उद्देश्य सिर्फ ईरान को परमाणु बम बनाने से रोकना था.
नेतन्याहू ने बताया कि अमेरिका के राष्ट्रपति की ओर से हमले के बाद फोन पर उनको बधाई मिली है. उन्होंने अपने संबोधन में अमेरिका को इस्राइल का खास दोस्त बताया. साथ ही पूरे यहूदी समाज की ओर से उनका आभार प्रकट किया.
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