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नई दिल्ली:
कलिता ने दंगे से जुड़े दोनों मामलों (2020 की एफआईआर 49 और एफआईआर 50) में आरोप की दलीलों पर रोक लगाने की मांग की है। उनका दावा है कि कथित तौर पर दिल्ली पुलिस द्वारा बनाए गए वीडियो से उनकी बेगुनाही साबित होगी और निर्दिष्ट अवधि के दौरान शांतिपूर्ण विरोध-प्रदर्शन में उनकी भागीदारी जाहिर होगी।
न्यायमूर्ति अमित बंसल की पीठ ने दिल्ली पुलिस को याचिकाओं पर स्थिति रिपोर्ट या जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
कलिता के वकील अदित एस. पुजारी के अनुसार, वीडियो उनके खिलाफ आरोप पत्र का हिस्सा हैं, और उनके बचाव के लिए उन तक पहुंच महत्वपूर्ण है।
दूसरी ओर, दिल्ली पुलिस का प्रतिनिधित्व कर रहे मधुकर पांडे ने कहा कि कलिता पर लगाये गये आरोप पूरी तरह से सिर्फ वीडियो पर आधारित नहीं हैं। उन्होंने मामले की चल रही जांच की ओर इशारा किया।
पुजारी ने आगे तर्क दिया कि कलिता को आरोप मुक्त होने के अपने अधिकार का प्रयोग करने के लिए वीडियो आवश्यक हैं।
पांडे ने याचिकाओं की विचारणीयता पर आपत्ति जताई और तर्क दिया कि कलिता को रिट क्षेत्राधिकार के तहत अदालत का दरवाजा खटखटाने की बजाय अन्य उपलब्ध उपायों का पता लगाना चाहिए था।
हाई कोर्ट अब इस मामले पर 17 जनवरी को सुनवाई करेगा।
कलिता को पहले जून 2021 में दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा जमानत दी गई थी, जिसे मई में सर्वोच्च न्यायालय ने बरकरार रखा था।
अगस्त में, ट्रायल कोर्ट ने यूएपीए मामले में कलिता को उत्तर-पूर्वी दिल्ली क्षेत्र से संबंधित संपूर्ण सीसीटीवी फुटेज और पुलिस अधिकारियों के ग्रुप की व्हाट्सएप चैट प्रदान करने से इनकार कर दिया था।
मामले में उमर खालिद, शरजील इमाम, ताहिर हुसैन, आसिफ इकबाल तन्हा, खालिद सैफी, इशरत जहां, मीरान हैदर, गुलफिशा फातिमा, शिफा-उर-रहमान, शादाब अहमद, तस्लीम अहमद, सलीम मलिक, मोहम्मद सलीम खान, अतहर खान, सफूरा जरगर, फैजान खान और नताशा नरवाल भी आरोपी हैं।
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