Mahakumbh 2025 Last Day: 45 दिनों तक चलने वाले महाकुंभ मेले के 43 दिन बीत चुके हैं. अब 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के दिन इसका समापन होगा. शास्त्रों में महाकुंभ के समापन का भी विशेष धार्मिक महत्व बताया गया है. यही वजह है कि इस दिन प्रयागराज में ज्यादा भीड़ होने की संभावना है. लेकिन कई लोग इस बारे में सोच रहे हैं कि जितनी धूमधाम से महाकुंभ आरंभ हुआ था अब उसका समापन कैसे होगा. बसंत पंचमी के अमृत स्नान के बाद मेला क्षेत्र से अखाड़ों का प्रस्थान शुरू हो चुका है. ऐसे में अंतिम दिन क्या कुछ खास होगा इस पर एक नजर डालते हैं.
अंतिम शाही स्नान
महाकुंभ के समापन के दिन संन्यासी, अखाड़े, साधु-संत और श्रद्धालु पवित्र नदी (गंगा, यमुना, क्षिप्रा या गोदावरी) में अंतिम स्नान करते हैं। इसे संक्रमण स्नान भी कहा जाता है, जो आध्यात्मिक शुद्धिकरण का प्रतीक होता है। शाही स्नान के बाद विशेष हवन, यज्ञ और पूजन किए जाते हैं। इनमें वेदों के मंत्रों का जाप, देवताओं का आह्वान और साधु-संतों का आशीर्वाद मिलता है.
विदाई अनुष्ठान
महाकुंभ में आए संत-महात्मा और श्रद्धालु अपने-अपने स्थानों की ओर प्रस्थान करते हैं। इस दौरान कई अखाड़ों के महंत और साधु अपनी परंपरागत ध्वज, निशान और चिह्नों के साथ शोभायात्रा निकालते हैं। हालांकि इस बार भीड़ को देखते हुए इसमें कुछ बदलाव किए जा रहे हैं. आपको बता दें कि संतों और अखाड़ों का पुनर्मिलन भी समापन से पहले होता है, जिसमें अखाड़ों के संत आपस में मिलकर कुंभ में हुए आयोजनों की समीक्षा करते हैं और अगले कुंभ के आयोजन को लेकर चर्चा करते हैं।
भंडारा और प्रसाद वितरण
महाकुंभ के समापन के अवसर पर विशाल भंडारे और अन्नदान का आयोजन किया जाता है, जिसमें लाखों श्रद्धालुओं को भोजन कराया जाता है। अंतिम दिन संगीत, प्रवचन, कथा-वाचन, नृत्य और भजन-कीर्तन जैसे सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं, जो आध्यात्मिक वातावरण को और भी दिव्य बना देते हैं।
आधिकारिक समापन घोषणा
स्थानीय प्रशासन और कुंभ आयोजन समिति द्वारा आधिकारिक रूप से महाकुंभ के समापन की घोषणा की जाती है। इसके साथ ही अगले कुंभ के आयोजन की संभावित तिथियों की जानकारी भी दी जाती है। महाकुंभ का समापन एक दिव्य, आध्यात्मिक और भव्य अनुष्ठान के रूप में संपन्न होता है।
Religion की ऐसी और खबरें पढ़ने के लिए आप न्यूज़ नेशन के धर्म-कर्म सेक्शन के साथ ऐसे ही जुड़े रहिए.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)