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International Yoga Day 2018: योग के बाद अब अमेरिका की आयुर्वेद में बढ़ रही है दिलचस्पी

योग के बाद अब आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा के प्रति पश्चिमी देशों में दिलचस्पी बढ़ रही है।

योग के बाद अब आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा के प्रति पश्चिमी देशों में दिलचस्पी बढ़ रही है।

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Sonam Kanojia
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International Yoga Day 2018: योग के बाद अब अमेरिका की आयुर्वेद में बढ़ रही है दिलचस्पी

फाइल फोटो

योग के बाद अब आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा के प्रति पश्चिमी देशों में दिलचस्पी बढ़ रही है। अमेरिका के कैलिफोर्निया में 22 जून से शुरू हो रहे इंडो-यूएस वेलनेस समागम में बड़ी संख्या में भारतीय संस्थान, कंपनियां और विशेषज्ञ हिस्सा लेने जा रहे हैं, जो वहां आयुर्वेद, योग, हर्बल, प्राकृतिक चिकित्सा से जुड़े अपने उत्पाद प्रदर्शित करेंगे।

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अमेरिकी एजेंसियों की ओर से आयोजित होने वाले इस समारोह में भारत का आयुष मंत्रालय भी एक सहयोगी है। इस समारोह में केरल आयुर्वेद, डाबर और एमिल फार्मास्युटिकल जैसी नामी भारतीय कंपनियां भी हिस्सा ले रही हैं।

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यह तीन दिवसीय समारोह 22 से 24 जून के बीच कैलिफोर्निया के सेंट क्लारा कन्वेंसन केंद्र में आयोजित किया जाएगा। अमेरिका के वेलनेस व्यवसाय से जुड़ी कंपनियां इसमें हिस्सा लेंगी। साथ ही समारोह में विशेषज्ञों द्वारा व्याख्यान भी दिए जाएंगे।

भारतीय कंपनियों को इस समागम में अपनी दवाएं और पोषक उत्पादों को प्रदर्शित करने का मौका मिलेगा। आमतौर पर मधुमेह की दवाएं अमेरिका या अन्य विकसित देशों में खोजी जाती हैं और फिर भारत में बिकती हैं। लेकिन यह पहला मौका होगा जब सीएसआईआर द्वारा विकसित मधुमेह रोधी दवा बीजीआर-34 को अमेरिका में प्रदर्शित किया जाएगा।

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अमेरिका में तीन करोड़ मधुमेह रोगी हैं और वे मधुमेह के इलाज के लिए आयुर्वेद, प्राकृतिक चिकित्सा और योग को वैकल्पिक उपचार के रूप में अपना रहे हैं।

एमिल फार्मास्युटिकल के कार्यकारी निदेशक संचित शर्मा ने कहा, 'वेलनेस रैंकिग में अमरीका 85 स्थान पर है। इसे सुधारने के लिए वह आयुर्वेद और हर्बल उत्पादों की तरफ रुख कर रहा है।'

भारतीय मूल के चिकित्सक डॉ. भगवती भट्टाचार्य ने हाल में एक बयान जारी कर कहा, 'अमरीकियों ने पहले योग को अपनाया, जिससे उन्हें फायदा हुआ। अब वे आयुर्वेद की तरफ आकर्षित हो रहे हैं। आयुर्वेद एवं प्राकृतिक चिकित्सा को अपनाने के पीछे अमेरिकियों की सोच स्वस्थ बने रहना है। भारतीय आयुर्वेद या हर्बल उत्पादों को अमेरिका में दवा तो नहीं माना जाता, लेकिन स्वस्थ रखने वाले उत्पादों के रूप में उनकी मान्यता खासी बढ़ रही है।' 

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Source : IANS

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