कोरोना नाम का संकट दक्षिण एशिया के लिए बेहद गंभीर स्थिति पैदा करने वाला है. इससे दक्षिण एशिया में पिछले 40 साल का सबसे बड़ा आर्थिक संकट होने का खतरा मंडरा रहा है. वर्ल्ड बैंक की इस महीने जारी की गई रिपोर्ट में इस बात खुलासा किया गया है. इस रिपोर्ट सार्क के देशों अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, भारत, नेपाल, पाकिस्तान, मालदीव और श्रीलंका की अर्थव्यवस्था पर बहुत बुरा असर पड़ने वाला है.
एक मीडिया वेबसाइट को इस बारे में जानकारी देते हुए साउथ एशिया के चीफ इकोनोमिस्ट हंस टिमर ने कहा कि संकट से बचना है तो प्रवासी मजदूरों को संभालना होगा, सर्विस सेक्टर रे रेवेन्यू लॉस पर ध्यान देना होगा और गरीबों के लिए फूड सिक्योरिटी पर ध्यान देना होगा.
यह भी पढ़ें: पालघर हिंसा मामले में दो इंस्पेक्टर सस्पेंड, कई और पर गाज गिरना तय
इस दौरान हंस टीमर ने भारत की ताऱीफ भी की. उन्होंने कहा घनी आबादी वाले देशों में कोरोना के संक्रमण को रोक पाना सबसे कठिन चुनौती है लेकिन भारत ने इस दिशा में सराहनीय काम किया है. सूसे मुश्किल काम झुग्गी बस्तियों में कोरोना के संक्रमण को रोकना है और लॉकडाउन की वजह से सबसे प्रभावित भी यही लोग हुए हैं.
यह भी पढ़ें: योगी आदित्यनाथ के पिता आनंद सिंह बिष्ट का निधन, एम्स में चल रहा था इलाज
जानकारी के मुताबिक हंस टीमर ने कहा, लॉकडाउन की वजह से दुनियाभर में मजदूरों का संकट पैदा होगा. खाड़ी के देशों से कई मजदूर वापस लौटे हैं. कुछ अभी भी वहां फंसे हैं इसकी वजह से दुनिया में आर्थिक मंदी आएगी और तेल की कीमतों में कमी होगी.
उन्होंने आगे कहा, टूरिज्म इंडस्ट्री भी प्रभावित हो सकती है. इसको पटरी पर आने में काफी समय लगेगा. शायद तहब तक जब तक कोरोना का वैक्सीन नहीं ढूंढ लिया जाता. ऐसे में मालदीव का सबसे ज्यादा नुसान हो सकता है क्योंकि वहां टूरिज्म का अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान है.