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सुरेश रैना के पिता कमाते थे दस हजार रुपये, आज रैना करोड़ों के मालिक

टीम इंडिया के पूर्व बल्‍लेबाज सुरेश रैना इस बार आईपीएल भी नहीं खेल रहे हैं. वे आईपीएल खेलने गए तो थे, लेकिन आईपीएल शुरू होने से पहले ही ऐसा कुछ हुआ कि वे वापस भारत लौट आए हैं.

Updated on: 31 Aug 2020, 11:05 AM

New Delhi:

Suresh Raina Story : टीम इंडिया के पूर्व बल्‍लेबाज सुरेश रैना (Suresh Raina) इस बार आईपीएल (IPL) भी नहीं खेल रहे हैं. वे आईपीएल खेलने गए तो थे, लेकिन आईपीएल शुरू होने से पहले ही ऐसा कुछ हुआ कि वे वापस भारत लौट आए हैं. पिछले दो दिन से सुरेश रैना का नाम सोशल मीडिया पर खूब ट्रेंड कर रहा है. अब सुरेश रैना इस बार के आईपीएल से तो बाहर हैं ही, लेकिन क्‍या वे अगले साल यानी साल 2021 (IPL 2021) में आईपीएल खेल पाएंगे या नहीं, यह अपने आप में बड़ा सवाल है. लेकिन सुरेश रैना ने जो कुछ भी हासिल किया वह सब अपनी मेहनत के बल पर पाया. उनके पिता और परिवार के पास बहुत ज्‍यादा पैसे नहीं थे, लेकिन मुफलिसी के दौर से सुरेश रैना ने कड़ी मेहनत कर काबू पाया. अब वे करोड़ों के मालिक हैं. 

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सैन्य अधिकारी त्रिलोकचंद रैना को आयुध फैक्ट्री में बम बनाने में महारत हासिल थी, लेकिन इसके लिए उन्हें सिर्फ दस हजार रुपये का मासिक वेतन मिलता था. यह राशि बेटे सुरेश रैना के क्रिकेटर बनने के सपने को पंख देने के लिए काफी नहीं थी. संघर्ष के उन दिनों में हालांकि की गई कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प सुरेश रैना के काम आया, जिसमें भाग्य के भी उनका साथ दिया. इस मुश्किल समय के दो दशक बाद तक दुनिया भर के क्रिकेट मैदान में सुरेश रैना ने अपने कौशल का लोहा मनवाया. उन्होंने हाल ही में अपने सफल अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कहा है. सुरेश रैना ने निलेश मिसरा के ‘द स्लो इंटरव्यू’ के साक्षात्कार में बताया कि उनके परिवार में आठ लोग थे और उस समय दिल्ली में क्रिकेट अकादमियों का मासिक शुल्क पांच से 10 हजार रूपये प्रति महीना था. इस दौरान लखनऊ के गुरु गोविंद सिंह खेल कॉलेज में उनका चयन हुआ और फिर सब कुछ इतिहास का हिस्सा बन गया.
सुरेश रैना ने कहा कि पापा सेना में थे, मेरे बड़े भाई भी सेना में हैं. पापा आयुध फैक्ट्री में बम बनाने का काम करते थे. उन्हें उस काम में महारत हासिल थी. सुरेश रैना के बचपन का नाम सोनू है. उन्होंने कहा कि पापा वैसे सैनिकों के परिवारों की देखभाल करते थे, जिनकी मृत्यु हो गई थी. उनका बहुत भावुक काम था. यह कठिन था, लेकिन वह सुनिश्चित करते थे कि ऐसे परिवारों का मनीऑर्डर सही समय पर पहुंचे और वे जिन सुविधाओं के पात्र है वे उन्हें मिले.

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जम्मू कश्मीर में 1990 पंडितों के खिलाफ अत्याचार होने पर उनके पिता परिवार को सुरक्षित महौल में रखने के लिए रैनावाड़ी में सब कुछ छोड़कर उत्तर प्रदेश के मुरादनगर आ गए. सुरेश रैना ने कहा कि मेरे पिता का मानना था कि जिंदगी का सिद्धांत दूसरों के लिए जीना है. अगर आप केवल अपने लिए जीते हैं तो वह कोई जीवन नहीं है. उन्होंने कहा कि बचपन में जब मैं खेलता था तब पैसे नहीं थे. पापा दस हजार रुपये कमाते थे और हम पांच भाई और एक बहन थे. फिर मैंने 1998 में लखनऊ के गुरु गोबिंद सिंह खेल कॉलेज में ट्रायल दिया. हम उस समय 10000 रुपये का इंतजाम नहीं कर सकते थे. उन्होंने बताया कि यहां फीस एक साल के लिए 5000 रुपये थी इसलिए पापा ने कहा कि वह इसका खर्च उठा सकते हैं. मुझे और कुछ नहीं चाहिए था, मैंने कहा मुझे खेलने और पढ़ाई करने दो.

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सुरेश रैना ने कहा कि वह हमेशा ऐसी बात करने से बचते हैं, जो उनके पिता को कश्मीर में हुई त्रासदी के बारे में याद दिलाए. उन्होंने कहा कि वह हाल के वर्षों में कश्मीर गए हैं लेकिन इसके बारे में उन्होंने अपने परिवार खासकर पिता को नहीं बताया. उन्होंने कहा कि मैं एलओसी पर दो से तीन बार गया हूं. मैं माही भाई यानी महेन्द्र सिंह धोनी के साथ भी गया था, हमारे कई दोस्त हैं जो कमांडो हैं.

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क्रिकेट के बारे में बात शुरू होने पर रैना ने सचिन तेंदुलकर और धोनी की उस सलाह को याद किया जो उन्होंने 2011 विश्व कप के लिए दी थी. इन दोनों खिलाड़ियों ने राष्ट्रीय टीम की किसी भी रणनीति को इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के विदेशी साथी खिलाड़ियों से साझा नहीं करने को कहा था. उन्होंने कहा था कि धोनी ने इसकी शुरुआत की, सचिन तेंदुलकर ने भी कहा कि किसी को कुछ भी नहीं बताना है, क्योंकि विश्व कप आ रहा था. उन्होंने कहा कि इसकी शुरूआत 2008-09 में हो गई थी. 2008 में हमने ऑस्ट्रेलिया में त्रिकोणीय सीरीज जीती. 2009 में हमने न्यूजीलैंड में जीत हासिल की. 2010 में हमने श्रीलंका में जीत हासिल की. और फिर विश्व कप.

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उन्होंने महान राहुल द्रविड़ की बल्लेबाजी के लिए तारीफ करते हुए कहा कि भारतीय क्रिकेट में उनका योगदान किसी से कम नहीं है. सुरेश रैना ने कहा कि राहुल द्रविड़ ने 2008 से 2011 तक भारतीय टीम को जीतने में बहुत योगदान दिया. वह एक बहुत मजबूत नेतृत्वकर्ता भी थे और वे बहुत अनुशासित थे. जब ​​उनके मेंटर एमएस धोनी के बारे में पूछा गया तो उन्होंने हाल ही संन्यास लेने वाले विश्व विजेता पूर्व कप्तान के बारे में कहा उनका रवैया हमेशा ईमानदारी और निस्वार्थ का रहा है. उन्होंने कहा, वह बहुत बड़े कप्तान हैं. और वह बहुत अच्छा दोस्त हैं. और उसने खेल में जो हासिल किया है मुझे लगता है कि वह दुनिया का नंबर एक कप्तान है. वह दुनिया के सबसे अच्छे इंसान भी हैं, क्योंकि वह जमीन से जुड़े हैं.

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आपको बता दें कि भारतीय टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के साथ-साथ मध्यमक्रम के अनुभवी भारतीय बल्लेबाज सुरश रैना ने भी अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया था. उत्तर प्रदेश के इस क्रिकेटर ने इंटरनेशनल क्रिकेट में जमकर नाम कमाया है. सुरेश रैना ने साल 2005 में एकदिवसीय क्रिकेट मैचों में अपना डेब्यू किया था. सुरेश रैना बाएं हाथ से बल्लेबाजी के अलावा दाएं हाथ से ऑफ स्पिन गेंदबाजी भी किया करते थे. रैना जब मैदान में क्षेत्ररक्षण पर होते थे तो बल्लेबाजों की सांसे थमी रहती थीं विरोधी बल्लेबाजों में ये खौफ रैना की तेज तर्रार फील्डिंग के वजह से था.

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सुरेश रैना ने भारत के लिए 18 टेस्ट, 226 वनडे और 78 टी-20 अंतर्राष्ट्रीय मुकाबले खेले हैं. इस बीच उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में 7000 से ज्यादा रन बनाए हैं. सुरेश रैना ने टेस्ट क्रिकेट में एक शतक और 7 अर्धशतक सहित 768 रन बनाए हैं. वहीं अगर बात एकदिवसीय मैचों की करें तो रैना के नाम 5615 रन दर्ज हैं, जिसमें 5 शतक और 36 अर्धशतक शामिल हैं. एकदिवसीय मैचों में रैना का उच्चतम स्कोर नाबाद 116 रन रहा. वहीं टी-20 की बात करें तो रैना ने अब तक कुल 78 टी-20 मैच खेले हैं जिसमें रैना ने एक शतक और पांच अर्धशतक सहित 1605 रन बनाए हैं.

(इनपुट भाषा)