यस बैंक (Yes Bank) में SBI की हिस्सा खरीदने की खबर पर BSE ने मांगा स्पष्टीकरण
BSE ने यस बैंक (Yes Bank) से पांच मार्च 2020 को स्पष्टीकरण मांगा है, जिसमें ब्लूमबर्ग में पांच मार्च को छपी खबर के हवाले से कहा गया है कि सरकार ने एसबीआई की यस बैंक की हिस्सेदारी खरीदने की योजना को मंजूरी दी है.
नई दिल्ली:
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) ने भारतीय स्टेट बैंक (SBI) द्वारा यस बैंक (Yes Bank) में हिस्सेदारी खरीदने संबंधी खबर पर यस बैंक से स्पष्टीकरण मांगा है. BSE ने यस बैंक से पांच मार्च 2020 को स्पष्टीकरण मांगा है, जिसमें ब्लूमबर्ग में पांच मार्च को छपी खबर के हवाले से कहा गया है कि सरकार ने एसबीआई की यस बैंक की हिस्सेदारी खरीदने की योजना को मंजूरी दी है. बीएसई ने कहा है कि जवाब की प्रतीक्षा है.
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दरअसल, ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट में बताया गया था कि भारतीय स्टेट बैंक को इस कंसोर्शियम के दूसरे सदस्यों को भी चुनने का अधिकार दिया गया है. रिपोर्ट में कहा गया था कि सरकार यस बैंक को डूबने से बचाने के लिए एसबीआई की योजना मंजूर करने के साथ एसबीआई को यस बैंक में हिस्सा खरीदने के लिए कंसोर्शियम बनाने को कह सकती है.
यस बैंक पर RBI का फैसला, 1 महीने में अकाउंट से 50 हजार रुपये से ज्यादा नहीं निकाल सकेंगे खाताधारक
रिजर्व बैंक (Reserve Bank) ने यस बैंक (Yes Bank) से पैसा निकालने की लिमिट तय कर दी है. ताजा फैसले के मुताबिक यस बैंक के ग्राहक 1 महीने में यस बैंक से 50 हजार से ज़्यादा की रकम नहीं निकाल सकते हैं. RBI के ऐलान के बाद बैंक और ATM पर लंबी लाइनें लग गई हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 50 हजार की निकासी पर रोक के बाद ग्राहक घबराएं हुए हैं. बता दें कि करीब 6 महीने पहले PMC बैंक के ऊपर RBI ने ऐसी ही सख्ती दिखाई थी. गौरतलब है कि 16 साल बाद किसी बड़े बैंक पर RBI की सख्ती दिखाई पड़ रही है. 2004 में ग्लोबल ट्रस्ट बैंक पर रिजर्व बैंक ने पाबंदी लगाई थी.
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जानिए यस बैंक के बारे में
- यस बैंक निजी क्षेत्र का चौथा सबसे बड़ा बैंक
- देशभर में यस बैंक की शाखाएं हैं
- देश में करीब 1,000 शाखाएं
- देश में करीब 1,800 ATM
- देश में यस बैंक के 2,77,867 ग्राहक
- यस बैंक का मुख्यालय मुंबई में है
- 2004 में हुई थी यस बैंक की स्थापना
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RBI को क्यों उठाना पड़ा यह कदम
- NPA बढ़ने की वजह से RBI ने यस बैंक की कमान अपने हाथ में ली
- बैंक के निदेशक मंडल को 30 दिन के लिए भंग किया
- RBI के दबाव में चेयरमैन राणा कपूर ने पद छोड़ा
- बैंक की देखरेख के लिए प्रशासक नियुक्त हुई
- प्रशांत कुमार बैंक के नए प्रशासक बनाए गए
- खाता धारकों के पैसों को डूबने से बचाने के लिए एक्शन
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यस बैंक के मार्केट कैप में भारी गिरावट
यस बैंक के डूबने का खतरा बढ़ गया है. बैंक पर कर्ज का बोझ बढ़ रहा था. बैंक पर 2 लाख 41 हजार 500 करोड़ रुपये का कर्ज है. यही वजह है कि बैंक के शेयर लगातार गिर रहा है. 15 महीने में निवेशकों को 90 फीसदी का नुकसान हो चुका है. 2018 से बैंक के NPA और बैलेंसशीट में गड़बड़ी देखने को मिल रही है. RBI के दबाव में चेयरमैन राणा कपूर ने पद छोड़ा था. 2018 में यस बैंक का मार्केट कैप 80 हजार करोड़ का था. मौजूदा समय में मार्केट कैप 9 हजार करोड़ तक कम हो चुका है. (इनपुट आईएएनएस)
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