भारत विविधताओं का देश है, जहां हर गांव, हर परंपरा अपनी अलग पहचान लिए हुए है. भारत में अलग-अलग धर्म और जाति के लोग अलग-अलग देवताओं को पूजते हैं. ऐसे ही एक भगवान हैं हनुमान जी. पवन पुत्र और शिव के अवतार कहलाए जाने वाले हनुमान जी को वैसे तो पूरा संसार पूजता है. लेकिन भारत का ही एक गांव ऐसा भी है जहां हनुमान की पूजा नहीं की जाती है. इसके पीछे भी एक दिलचस्प वजह है. इस गांव का नाम है द्रोणागिरी गांव.
द्रोणागिरी गांव उत्तराखंड यान देवभूमि कहे जाने वाले राज्य में ही स्थित है. लेकिन इस गांव में हनुमान जी की पूजा नहीं की जाती है. कई लोग तो उनका नाम भी नहीं लेते हैं. आइए जानते हैं आखिर क्या है वो वजह जिसके चलते यहां बजरंगबलि को नहीं पूजा जाता है.
धार्मिक रहस्यों को समाए हुए है उत्तराखंड
उत्तराखंड पवित्र प्रदेश हिमालय की गोद में बसा हुआ है, जहां हर चोटी, हर नदी, हर मंदिर और हर कथा में कोई न कोई धार्मिक रहस्य छिपा होता है. यहीं पर हिन्दू धर्म के चार धाम स्थित हैं—केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री. यही कारण है कि देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु हर साल इस भूमि पर दर्शन और पूजन के लिए आते हैं.
लेकिन उत्तराखंड के चमोली जिले में एक ऐसा गांव भी है, जहां सदियों से एक अनोखी परंपरा निभाई जा रही है यहां हनुमान जी की पूजा नहीं की जाती है.
द्रोणागिरी गांव की एक अनोखी मान्यता
चमोली जिले में स्थित द्रोणागिरी गांव अपने धार्मिक और पौराणिक महत्व रखता है. यह गांव समुद्रतल से लगभग 11,000 फीट की ऊंचाई पर बसा हुआ है और यहां पहुंचने के लिए कठिन ट्रैकिंग करनी पड़ती है.
इस वजह से नहीं होती है हनुमान जी की पूजा
इस गांव के लोगों की मान्यता है कि रामायण काल में जब लक्ष्मण जी मूर्छित हो गए थे और हनुमान जी संजीवनी बूटी लेने द्रोणागिरी पर्वत पर पहुंचे थे, तब उन्होंने गांव की देवी से अनुमति लिए बिना ही संजीवनी पर्वत का एक हिस्सा उखाड़ लिया था.
क्यों नाराज हैं गांववाले हनुमान जी से?
गांव के बुजुर्गों की मान्यता है कि हनुमान जी ने ग्राम देवी और गांव की मर्यादा का उल्लंघन किया था. उन्होंने बिना किसी पूर्व सूचना या इजाजत के संजीवनी बूटी वाला पूरा पहाड़ उठा लिया, जिससे गांव की भावनाओं को ठेस पहुंची. तभी से गांववालों ने हनुमान जी से मन की दूरी बना ली और उनका पूजन करना बंद कर दिया. यहां तक कि इस गांव में हनुमान जी का नाम लेना भी शुभ नहीं माना जाता.
भगवान राम की होती है पूजा
गांववालों ने सिर्फ हनुमान जी को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर की है. वह राम के परम भक्त हैं. गांववालों की आस्था श्रीराम के प्रति अब भी उतनी ही अडिग है. रामनवमी पर यहां विशेष पूजा होती है और भगवान राम का भव्य जुलूस निकाला जाता है. लेकिन हनुमान जी को इस पूजन का हिस्सा नहीं बनाया जाता. हालांकि कहते हैं जहां राम का नाम भी लिया जाता है कहते हैं वहां हनुमान स्वंय ही पहुंच जाते हैं.
द्रोणागिरी पर्वत की होती है पूजा
ग्रामीण द्रोणागिरी पर्वत को देवता के रूप में मानते हैं और हर साल जून महीने में विशेष द्रोणागिरी उत्सव भी मनाया जाता है. इस दौरान पहाड़ी की विशेष पूजा होती है और आसपास के गांवों से भी लोग इस पूजा में शामिल होने आते हैं. यह उत्सव लोक संस्कृति और पारंपरिक मान्यताओं का अनोखा संगम होता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. न्यूज नेशन इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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