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GST Council 41th Meeting: चालू वित्त वर्ष में जीएसटी कलेक्शन में 2.35 लाख करोड़ रुपये की गिरावट की आशंका

GST Council 41th Meeting: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतामरण की अध्यक्षता में माल एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद की 41वीं बैठक वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिये हुई. बैठक में सभी राज्यों के प्रतिनिधि शामिल हैं. बैठक में राज्यों के राजस्व में कमी की भरपाई के मुद्दे पर भी चर्चा हुई.

Updated on: 27 Aug 2020, 05:08 PM

नई दिल्ली:

GST Council 41th Meeting: राज्यों को राजस्व में कमी की भरपाई के मुद्दे पर चर्चा के लिये जीएसटी परिषद की महत्वपूर्ण बैठक बृहस्पतिवार को हुई. केंद्र ने राज्यों से राजस्व में कमी की भरपाई के लिये बाजार से कर्ज लेने को कहा है. केंद्र के इस कदम का गैर-राजग दलों के शासन वाले प्रदेश विरोध कर रहे हैं. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतामरण की अध्यक्षता में माल एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद की 41वीं बैठक वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिये हुई. बैठक में सभी राज्यों के प्रतिनिधि शामिल हैं. बैठक में राज्यों के राजस्व में कमी की भरपाई के मुद्दे पर भी चर्चा हुई.

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जीएसटी कलेक्शन में भारी गिरावट
प्रेस कॉन्फ्रेंस में वित्त सचिव ने कहा है कि कोरोना वायरस महामारी की वजह से जीएसटी कलेक्शन में भारी गिरावट देखने को मिली है. वित्त सचिव ने कहा कि जीएसटी क्षतिपूर्ति कानून के मुताबिक राज्यों को मुआवजा दिए जाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2019-20 में केंद्र ने राज्यों को जीएसटी क्षतिपूर्ति के रूप में 1.65 लाख करोड़ रुपये जारी किए गए हैं. इन आंकड़ों में मार्च के दौरान दिए गए 13,806 करोड़ रुपये भी शामिल है. उनका कहना है कि वित्त वर्ष 2019-20 में सेस कलेक्शन 95,444 करोड़ रहा है. अटॉर्नी जनरल ने कहा कि जुलाई 2017 से जून 2022 तक जीएसटी क्षतिपूर्ति का भुगतान करना है और सेस फंड से क्षतिपूर्ति का अंतर पूरा किया जाएगा. गौरतलब है कि जीएसटी क्षतिपूर्ति जारी करने के मामले में अटॉर्नी जनरल से कानूनी सलाह ली गयी है.

जीएसटी कलेक्शन में 2.35 लाख करोड़ रुपये की गिरावट की आशंका
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि चालू वित्त वर्ष (2020-21) में जीएसटी कलेक्शन में 2.35 लाख करोड़ रुपये गिरावट की आशंका है. ऐसे में राज्यों को मुआवजा राशि की भरपाई के लिए 2 विकल्प दिए गए हैं. पहला यह है कि केंद्र सरकार स्वयं उधार लेकर राज्यों को मुआवजा दे और दूसरा विकल्प यह है कि आरबीआई से उधार लिया जाय. सभी राज्य इस विषय पर 7 दिन के भीतर अपनी राय देंगे.

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बता दें कि कांग्रेस और गैर-राजग दलों के शासन वाले राज्य इस बात पर जोर दे रहे हैं कि घाटे की कमी को पूरा करना केंद्र सरकार की सांवधिक जिम्मेदारी है. वहीं केंद्र सरकार ने कानूनी राय का हवाला देते हुए कहा कि अगर कर संग्रह में कमी होती है तो उसकी ऐसी कोई बाध्यता नहीं है. सूत्रों के अनुसार केंद्र के साथ-साथ भाजपा-जद (यू) शासित बिहार की राय है कि राज्यों को कर राजस्व में कमी कमी की भरपाई के लिये बाजार से कर्ज लेना चाहिए. कर राजस्व में कमी के साथ कोविड-19 संकट से राज्यों के लिये समस्या और बढ़ गयी है. सूत्रों के अनुसार बैठक में जिन विकल्पों पर विचार किया जा रहा है, उनमें बाजार से कर्ज, उपकर की दर में वृद्धि या क्षतिपूर्ति उपकर के दायरे में आने वाले वस्तुओं की संख्या में वृद्धि, शामिल हैं.