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वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट से भारत को मैन्युफैक्चरिंग पावर हाउस बनाने में मिलेगी मदद

केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने राज्यों से मेक इन इंडिया के तहत पब्लिक प्रोक्योरमेंट नीति को अपनाने को कहा है. इसके अलावा उन्होंने देश में व्यवसाय शुरू करने के लिए सभी प्रकार की जरूरी मंजूरियों के लिए सिंगल विंडो सिस्टम पर भी जोर दिया है.

Updated on: 27 Aug 2020, 05:08 PM

नई दिल्ली:

केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल (Piyush Goyal) ने औद्योगिक उत्पादन और निवेश बढ़ाने के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के इंडस्ट्री मंत्रियों के साथ वर्चुअल बैठक की है. बैठक में आज नेशनल जीआईएस से लैश लैंड बैंक सिस्टम को लॉन्च किया गया. पीयूष गोयल ने राज्यों से टीम इंडिया की भावना के साथ सामूहिक तौर पर काम करने की अपील की है. उन्होंने राज्यों से मेक इन इंडिया के तहत पब्लिक प्रोक्योरमेंट नीति को अपनाने को कहा है. इसके अलावा उन्होंने देश में व्यवसाय शुरू करने के लिए सभी प्रकार की जरूरी मंजूरियों के लिए सिंगल विंडो सिस्टम पर भी जोर दिया है और जिसके लिए राज्यों से सहयोग की अपील की गई. उन्होंने इस मौके पर कहा कि वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट से भारत को मैन्युफैक्चरिंग पावर हाउस बनाने में मदद मिलेगी.

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रेलवे की जमीन का उपयोग 20,000 मेगावाट नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन में करने की योजना: गोयल
वाणिज्य एवं उद्योग और रेल मंत्री पीयूष गोयल ने बुधवार को कहा था कि भारतीय रेलवे की अपनी खाली पड़ी जमीन पर 20,000 मेगावाट क्षमता की नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन की योजना है. इन संयंत्रों में देश में विनिर्मित सौर और पवन ऊर्जा उपकरणों का उपयोग किया जाएगा और उत्पादित बिजली का उपयोग रेलवे अपने नेटवर्क में करेगी. उन्होंने कहा कि आने वाले वर्षों में भारतीय रेलवे का नेटवर्क 100 प्रतिशत बिजली चालित होगा. इस लिहाज से यह दुनिया का सबसे बड़ा नेटवर्क होगा. गोयल ने कहा, ‘‘हमारी जो अधिशेष जमीन है, उसका बड़ा हिस्सा और ट्रैक के पास उपलब्ध भूमि का उपयोग नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन में किया जाएगा.

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भारत में बने सौर और पवन ऊर्जा उपकरणों का प्रयोग किया जहा रहा है। इन भूखंडों पर 20,000 मेगावाट नवीकरणीय बिजली उत्पादन करने की योजना है. यह बिजली हमारे पूरे नेटवर्क को चालाने के लिये पर्याप्त होगी. वह सीईईडब्ल्यू (काउंसिल ऑफ एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वाटर) के स्वच्छ ऊर्जा पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि रेलवे को इस तरह की बिजली के लिए ‘बैटरी स्टोरेज’ के विस्तार या अन्य बिजली संग्रह के दूसरी प्रालियों की व्यवस्था करने की जरूरत होगी.