India's Economy 2025-2026: अमेरिका की नई टैरिफ नीति ने दुनिया भर के कई देशों को झकझोर कर रख दिया है. इस ट्रेड वॉर में अमेरिका और चीन एकदम आमने-सामने हैं. इस ट्रेड वॉर और वैश्विक तनावों के बावजूद, भारत की अर्थव्यवस्था अपनी गति बनाए रखने में सफल नजर आ रही है. अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी S&P ग्लोबल रेटिंग्स ने शुक्रवार को जारी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भारत दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहेगा, भले ही विकास दर का अनुमान थोड़ा घटाया गया हो.
विकास दर में मामूली कटौती, पर रफ्तार बरकरार
S&P ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए भारत की GDP वृद्धि दर का अनुमान 6.5% से घटाकर 6.3% कर दिया है. एजेंसी के मुताबिक, यह संशोधन अमेरिका की टैरिफ पॉलिसी और वैश्विक अनिश्चितताओं को देखते हुए किया गया है. हालांकि, रिपोर्ट में साफ तौर पर कहा गया है कि भारत अब भी चीन, अमेरिका और यूरोप जैसी प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं से तेज गति से आगे बढ़ेगा.
चीन से दोगुनी तेज रफ्तार
S&P की रिपोर्ट के अनुसार, चीन की GDP वृद्धि दर 2026 में केवल 3% रहने की संभावना है, जबकि भारत की रफ्तार उससे लगभग दोगुनी बनी रहेगी. यह डिफ्रेंस इंडिया के नीति सुधारों, मजबूत उपभोग और इंवेस्टमेंट फ्लो का इंडिकेटर है. वहीं, आईएमएफ ने भी माना है कि साल 2025-26 के बीच भारत चीन आगे निकल जाएगा.
ग्लोबल ट्रेड वॉर के बीच एक चुनौती
रिपोर्ट में यह भी चेतावनी दी गई है कि अमेरिका की बदलती व्यापार नीति वैश्विक आर्थिक गतिविधियों को धीमा कर सकती है. S&P ने कहा कि बढ़ती संरक्षणवादी प्रवृत्तियों और टैरिफ वॉर से किसी को फायदा नहीं होगा, बल्कि यह पूरे विश्व के लिए एक साझा संकट बन सकता है.
रुपये पर दबाव से होगा आयात महंगा?
S&P का अनुमान है कि 2025 के अंत तक डॉलर के मुकाबले रुपया 88 के स्तर तक जा सकता है, जो 2024 में 86.64 पर था. हालांकि, हाल की मजबूती के चलते रुपया फिलहाल 84 के पास कारोबार कर रहा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि विदेशी मुद्रा बाजार की अस्थिरता भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक और चुनौती बन सकती है, विशेष रूप से आयात महंगे होने की स्थिति में.
भारत से पीछे हो जाएंगे अमेरिका और यूरोप कई देश
S&P के मुताबिक, अमेरिका की अर्थव्यवस्था 2025 में 1.5% और 2026 में 1.7% की दर से बढ़ने की संभावना है. वहीं, यूरोप की अर्थव्यवस्थाएं भी सुस्ती के दौर से गुजरेंगी।. रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका की व्यापार नीति तीन श्रेणियों में बंटी होगी. चीन के साथ प्रतिस्पर्धा, यूरोपीय यूनियन के साथ जटिल संबंध, और कनाडा के साथ संभावित कड़ा रुख.
जहां पूरी दुनिया व्यापार तनाव और संरक्षणवाद की चुनौती से जूझ रही है, वहीं भारत अपनी आर्थिक नीतियों, उपभोग, और निवेश से लगातार मजबूती की ओर बढ़ रहा है. आने वाले वर्षों में भारत की यही गति उसे वैश्विक आर्थिक मंच पर एक निर्णायक शक्ति बना सकती है.
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