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New Rules from 1st April: (social media)
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New Rules from 1st April: फरवरी में बजट पेश होने के बाद अब नई वत्तीय वर्ष में इसे लागू करने की तैयारी है. एक अप्रैल से इनकम टैक्स से जुड़े नियमों में बड़े बदलाव होंगे. जानें कितना होगा आम जनता पर असर.
New Rules from 1st April: (social media)
New Rules from 1st April: एक अप्रैल 2025 से इनकम टैक्स (Income Tax) से जुड़े नियमों में बदलाव होने वाला है. ऐसे में हर करदाता के लिए यह जानना जरूरी है कि नए वित्तीय वर्ष (Financial Year) की शुरुआत में किस तरह के चेंज आने वाले हैं. 6 प्रमुख बदलाव होने वाले हैं. यह आम जनता की जेब पर असर डाल सकते हैं. खासतौर से टैक्स स्लैब (Tax Slab) में छूट मिलने वाली है. टैक्स प्लानिंग करने से पहले आइए जानते है यह बदलाव क्या हैं.
आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 87A के तहत नई कर व्यवस्था में छूट की सीमा को 25,000 रुपये से बढ़ाकर 60,000 रुपये होगी. यह छूट 12 लाख रुपये तक की आय पर लागू होगी. इसके तहत 12 लाख रुपये तक की आय पर कोई कर देय नहीं होगा. नौकरीपेशा वाले लोगों के लिए 75,000 रुपये की मानक कटौती को जोड़ने पर यह सीमा 12.75 लाख रुपये तक पहुंच जाएगी.
न्यू टैक्स रिजीम में 20 से 24 लाख की आय पर 25% टैक्स का नया स्लैब बनाया गया है. पहले यह 30 प्रतिशत की अधिकतम दर 15 लाख रुपए से ऊपर की आय पर लागू होती थी. लेकिन अब यह सीमा बढ़ाकर 24 लाख रुपए की गई है. इसके जरिए मध्यम और उच्च-मध्यम आय वर्ग को कर में बचत मिलेगी.
टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स(TDS)/ टैक्स कलेक्टेड एट सोर्स (TCS) की न्यूनतम राशि बढ़ाई जाएगी. वेतनभोगी कर्मचारियों को लेकर सबसे बड़ा बदलाव बैंक में जमा पर टीडीएस की सीमा से जुड़ा हुआ है. यह 40,000 हजार रुपये से बढ़ाकर 50,000 रुपये हो जाएगा. TCS की लिमिट अब 7 लाख रुपए से बढ़कर 10 लाख रुपए तक हो जाएगी.
अब एक अप्रैल से कर्मचारियों को उनके नियोक्ताओं की ओर से मिलने वाली सुविधाओं को लाभ भत्तों में नहीं रखा जाएगा. इसके साथ ही किसी कर्मी या उसके परिवार के सदस्य के चिकित्सा उपचार को लेकर भारत से बाहर यात्रा पर नियोक्ता की ओर से वहन किया व्यय भी भत्ते के रूप में नहीं माना जाने वाला है.
1 अप्रैल से वेतनभोगी कर्मचारी और अन्य करदाता अधिकतम दो संपत्तियों को लेकर शून्य मूल्य का दावा कर सकते हैं. चाहे ये संपत्तियां उनके स्वयं के उपयोग में हो या नहीं.
अगर यूलिप यानी, यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान का प्रीमियम हर वर्ष 2.5 लाख रुपए से ज्यादा है तो इसे कैपिटल एसेट की तरह माना जाने वाला है. इस यूलिप को भुनाने से होने वाले लाभ पर कैपिटल गेन टैक्स लगने वाला है. यूलिप एक ऐसा प्रोडक्ट है जिसमें प्रीमियम का एक भाग शेयर बाजार में निवेश किया जाता है. अगर इसे 12 माह से ज्यादा समय तक रखा जाता है, तो इस पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) के तहत 12.5% टैक्स लगेगा. वहीं अगर इसे 12 महीने से कम के लिए रखा जाएगा तो इस पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (STCG) के रूप में 20 प्रतिशत तक का टैक्स लगने वाला है.