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कश्मीर को लेकर पाकिस्तान के PM शरीफ की फजीहत, ईरान के राष्ट्रपति रईसी ने ऐसा करने से किया इनकार

कश्मीर मामले में पाकिस्तान के पीएम नवाज शरीफ के उकसावे के बाद भी ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी ने भारत की आलोचना से किया इनकार

Updated on: 23 Apr 2024, 02:52 PM

नई दिल्ली:

कश्मीर के मामले को लेकर एक बार फिर पाकिस्तान की किरकिरी हुई है. पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ को शर्मनाक स्थिति का सामना करना पड़ा. आपको बता दें कि सोमवार को तीन दिवसीय दौरे पर पाकिस्तान पहुंचे ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी ने पीएम शरीफ से मुलाकात की. इसके बाद एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया. कॉन्फ्रेंस के दौरान शहबाज शरीफ ने कश्मीर का मुद्दा उठाया. उनकी कोशिश थी कि इस मुद्दे पर रईसी भी कुछ प्रतिक्रिया दें. कश्मीर के मुद्दे पर पाकिस्तान को निराशा हाथ लगी. पाकिस्तान की उम्मीद थी कि रईसी भी कश्मीर मामले में उनका समर्थन करेंगे. 

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शरीफ ने राष्ट्रपति रईसी का आभार व्यक्त करते हुए कहा, 'मैं कश्मीर की खातिर आवाज उठाने के लिए आपको और ईरान के लोगों का आभार व्यक्त करता हूं.' हालांकि, रईसी इस टिप्पणी को लेकर बेहद असहज स्थि​ति में दिखाई दिए. इस दौरान ईरानी राष्ट्रपति इस मुद्दे पर किसी तरह की टिप्पणी से इनकार कर दिया. रईसी ने कश्मीर की बात छेड़ने के बजाय फिलिस्तीन का जिक्र किया और कहा कि ईरान के लोगों के उत्पीड़न के खिलाफ लड़ने वालों खासकर, फिलीस्तीनी लोगों के लिए लड़ने वालों के साथ खड़ा है.

अंतरराष्ट्रीय मीडिया में बड़ी फजीहत

कश्मीर पर रईसी की खामोशी शहबाज के लिए अंतरराष्ट्रीय मीडिया में बड़ी फजीहत है. भारत-पाकिस्तान विवाद  पर रईसी की चुप्पी यह तय करती है कि ईरान दोनों के विवदित मुद्दों पर कुछ नहीं बोलना चाहता है. वह अपने रिश्तों को संतुलित रखना चाहता है. ईरान की यह चाहत है कि भारत के साथ सौहार्दपूर्ण रिश्ते हों. भारत और ईरान के ​राजनयिक और व्यापारिक रिश्ते हमेशा से खास रहे हैं.

युद्धविराम का समर्थन किया था

गाजा युद्ध को लेकर भारत और ईरान में कई चर्चा हो चुकी है. बीते वर्ष नवंबर में पीएम नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति रईसी से गाजा के हालात को लेकर खास चर्चा की. दोनों पक्षों को लेकर लेकर युद्धविराम का समर्थन किया था.  बीते वर्ष भारतीय दूतावास की तरफ से कहा गया था कि ईरान और भारत के संबंध बीते काफी समय से प्रगाढ़ रहे हैं. तेहरान में भारतीय दूतावास की ओर से दिए एक प्रेस बयान में ऐसा कहा, 'भारत और ईरान के बीच बेहद पुराने संबंध रहे हैं. हमारे पुराने और वर्तमान संबंध दोनों देशों के ऐतिहासिक और सभ्यताओं से जुड़े हुए हैं. ये आगे बढ़ते जाने वाले हैं.'