चीन ने शी के आजीवन राष्ट्रपति बनने पर उठ रही आशंकाओं को खारिज किया

चीन ने दुनिया भर में शी ज़िंगपिंग के अनिश्चिकाल तक पद पर बने रहने पर उठ रही चिंताओं को खारिज करते हुए कहा है कि आधुनिकीकरण के इस मौजूदा हालात में देश को इस समय एक ताकतवर और अटल नेतृत्व की जरूरत है।

चीन ने दुनिया भर में शी ज़िंगपिंग के अनिश्चिकाल तक पद पर बने रहने पर उठ रही चिंताओं को खारिज करते हुए कहा है कि आधुनिकीकरण के इस मौजूदा हालात में देश को इस समय एक ताकतवर और अटल नेतृत्व की जरूरत है।

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pradeep tripathi
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चीन ने शी के आजीवन राष्ट्रपति बनने पर उठ रही आशंकाओं को खारिज किया

चीन ने दुनिया भर में शी ज़िंगपिंग के अनिश्चिकाल तक पद पर बने रहने पर उठ रही चिंताओं को खारिज करते हुए कहा है कि आधुनिकीकरण के इस मौजूदा हालात में देश को इस समय एक ताकतवर और अटल नेतृत्व की जरूरत है।

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चीन की सत्ताधारी दल कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना 1949 से सत्ता में हैं और उसने रविवार देश के संविधान में बदलाव का प्रस्ताव दिया है। जिसके तहत दो बार राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति बनने की सीमा को खत्म किया जाएगा। ऐसे में शी ज़िंगपिंग के आजीवन राष्ट्रपति बने रहेंगे।

सीपीसी के इस कदम से 64 साल के शी ज़िंगपिंग को संविधान के मुताबिक दो बार पांच साल का राष्ट्रपति का कार्यकाल पूरा करने के बाद उन्हें पद नहीं छोड़ना पड़ेगा।

सीपीसी ने दो बार के कार्यकाल को काफी विचार-विमर्श के बाद संविधान में जोड़ा था। क्योंकि माओ जेदॉंग के कई गलत नीतियों के कारण लाखों लोगों की जान चली गई थी। जिसमें सबसे बदनाम 1966 की सांस्कृतिक क्रांति थी।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग से जब एक तानाशाही शासन को लेकर दुनिया की चिंताओं को लेकर सवाल किये जाने पर कहा कि मीडिया को अटकल लगाना बंद कर देना चाहिये और संविधान में संशोधन को ही परिप्रेक्ष्य में देखना चाहिये।'

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उन्होंने कहा कि 1954 में लागू होने के बाद से चीन का संविधान 'धीरे धीरे' एक रूप में आया है।
उन्होंने कहा, 'हम उम्मीद करते हैं कि आप संविधान की समीक्षा को चीन के विकास को देखते हुए सही परिप्रेक्ष्य में देखेंगे।'

शी को आजीवन पद पर बनाए रकने से दुनिया में चिंता व्यक्त की जा रही है। खासकर अपने पहले कार्यकाल में ही उनकी महत्वाकांक्षी योजनाओं के तहत जैसे सेना का आधुनिकीकरण नौसेना का साउथा चाइना सी में ताकत बढ़ाना, श्रीलंका, जिबूती और ग्वागर में नौसैनिक अड्डे बनाने आदि की कोशिशों आदि को लेकर चिंता है।

पिछले अक्टूबर में शी ने पांच साल का अपना दूसरा कार्यकाल शुरू किया है। जिसमें चीन की दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था को बदलकर इतना ताकतवर बनाने के प्रयास किये जा रहे हैं। ताकि वो दुनिया की राजनीतिक, आर्थव्यवस्था, सैना और पर्यावरण के मुद्दे पर नेतृत्व कर सके।

चीन में भी इस संविधान में किये जा रहे बदलाव को शी के कार्यकाल के स्थायीकरण को तौर पर देखा जा रहा है।

स्टडी टाइम्स अखबार के पूर्व संपादक डेंग युवेन ने कहा, 'इसके पूरे संकेत मिल रहे हैं कि राष्ट्रपति टर्म लिमिट के आगे भी अपने पद पर बने रहेंगे। हम ये नहीं कह सकते कि ये आजीवन होगा।'

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Source : News Nation Bureau

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