क्या रुक जाएगी निमिषा की फांसी? जानें क्या है Blood Money तरकीब जिसकी सुप्रीम कोर्ट में हुई चर्चा

केरल निवासी निमिषा प्रिया को 16 जुलाई को फांसी दी जानी है. उन पर यमन में हत्या का आरोप है. फिलहाल वह यमन की राजधानी की जेल में बंद हैं. लेकिन उनकी फांसी रुक सकता है. जानिए विस्तार से.

केरल निवासी निमिषा प्रिया को 16 जुलाई को फांसी दी जानी है. उन पर यमन में हत्या का आरोप है. फिलहाल वह यमन की राजधानी की जेल में बंद हैं. लेकिन उनकी फांसी रुक सकता है. जानिए विस्तार से.

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Dheeraj Sharma
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Nimisha Death Case

Nimisha Priya Case: केरल की रहने वाली भारतीय नर्स निमिषा प्रिया की जिंदगी इस वक्त बेहद नाजुक मोड़ पर है. यमन की एक अदालत ने उन्हें अपने यमनी बिजनेस पार्टनर की हत्या के आरोप में मृत्युदंड की सजा सुनाई है और मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 16 जुलाई को उन्हें फांसी दी जा सकती है. इस मामले की गंभीरता को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अब याचिका स्वीकार करते हुए 14 जुलाई को सुनवाई तय की है.

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क्या है मामला?

निमिषा प्रिया, केरल के पलक्कड़ जिले की रहने वाली हैं और वर्ष 2017 में यमन में बतौर नर्स काम कर रही थीं. उन्हीं दिनों उनके एक यमनी नागरिक के साथ व्यवसायिक संबंध बने, लेकिन बाद में संबंधों में खटास आई और हत्या का मामला सामने आया. यमन की अदालत ने उन्हें 2020 में मौत की सजा सुनाई थी और 2023 में उनकी अंतिम अपील भी खारिज हो गई.

फिलहाल निमिषा यमन की राजधानी सना की जेल में बंद हैं. ऐसे में चर्चा हो रही है कि निमिषा की फांसी रुक सकती है. इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट में Blood Money तरकीब के बारे में भी वकील ने सुझाव दिया है. आइए जानते हैं क्या है ब्लड मनी तरीका जो बचा सकता है निमिषा की जान. 

सुप्रीम कोर्ट में दायर हुई याचिका

वकील सुभाष चंद्रन के.आर. की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में यह मांग की गई है कि भारत सरकार इस मामले में कूटनीतिक हस्तक्षेप करे और निमिषा की जान बचाए. 

वकील ने बताया ब्लड मनी का तरीका

याचिका में वकील की ओर से कोर्ट को बताया गया है कि यमन का शरिया कानून मृतक के परिवार को "ब्लड मनी" (रक्त धन) देकर आरोपी को क्षमा देने की अनुमति देता है. ऐसे में अगर मृतक का परिवार यह धन स्वीकार कर लेता है, तो फांसी की सजा को रोका जा सकता है. 

कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल से मांगी मदद

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को निर्देश दिया है कि वह याचिका की कॉपी अटॉर्नी जनरल को सौंपे. अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि इस मामले में भारत सरकार की भूमिका बेहद अहम है, और जल्द से जल्द राजनयिक प्रयास आवश्यक हैं. 

‘सेव निमिषा प्रिया’ मुहिम

इस मामले को "सेव निमिषा प्रिया- इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल" नामक संगठन ने प्रमुखता से उठाया है. यह संगठन लगातार भारत सरकार पर दबाव बना रहा है कि वह यमन सरकार से बातचीत कर फांसी की तारीख को टालने या सजा को माफ करवाने की दिशा में कदम उठाए.

अब भारत सरकार की बारी

38 वर्षीय निमिषा प्रिया की जान अब भारत सरकार के तेज और प्रभावी कूटनीतिक प्रयासों और सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप पर निर्भर है. 14 जुलाई की सुनवाई से पहले सरकार को सक्रियता दिखानी होगी, क्योंकि हर बीतता दिन मौत के और करीब ले जा रहा है. 

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Supreme Court Yemen Nimisha Prya Nimisha Priya Death Sentence
      
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