Pakistan: पाकिस्तान एक बार फिर से चर्चाओं में है. हालांकि, इस बार वजह भारत से मुंह की खाना नहीं है बल्कि कुछ और है. चर्चाएं है कि पाकिस्तान में एक बार फिर इतिहास खुद को दोहराने वाला है. यानी पाकिस्तान में फिर से तख्तापलट हो सकता है. कहा जा रहा है कि इस बार आसिम मुनीर तख्तापलट करेंगे. पाकिस्तान की राजनीति पर कड़ी नजर रखने वाले लोगों का कहना है कि जिस दिन बिलावल ने हाफिज सईद और मसूद अजहर जैसे आतंकियों को भारत के हवाले करने की बात कही थी, तभी तख्तापलट के संकेत मिल गए थे.
आसिम मुनीर को अमेरिका का साथ मिल चुका है. वे जरदारी को हटाकर खुद राष्ट्रपति बन सकते हैं. जरूरत पड़ती है तो शहबाज शरीफ को भी मुनीर हटा सकते हैं और पाकिस्तान का पूरा कंट्रोल अपने हाथ में ले सकते हैं.
तख्तापलट की खबरों के बीच, हम आपको बताते हैं कि पाकिस्तान में इससे पहले कब-कब पाकिस्तान में तख्तापलट हुआ है.....
कब-कब हुआ पाकिस्तान में तख्तापलट
भारत से अलग होने के बाद पाकिस्तान को कई बार राजनीतिक अस्थिरता का सामना करना पड़ा है. यहां कई बार सेना ने एक डेमोक्रेटिक सरकार को गिराया है. पहली बार 1953-54 में तख्तापलट हुआ था. गवर्नर जनरल गुलाम मोहम्मद ने प्रधानमंत्री ख्वाजा नजीमुद्दीन की सरकार को सत्ता से बेदखल कर दिया है. इसके बाद 1958 में राष्ट्रपति मेजर जनरल इस्कंदर अली मिर्जा ने फिरोज खान नून की सरकार को बर्खास्त कर दिया है. 1977 में सेना प्रमुख जियाउल हक ने तत्कालीन प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो की सरकार गिराई थी. साल 1999 में नवाज शरीफ की सरकार को परवेज मुशर्रफ ने गिरा दिया था.
दो तरह के होते हैं तख्तापलट
तख्तापलट दो तरह से होता है, एक सैन्य तख्तापलट और दूसरा राजनीतिक तख्तापलट. जब सेना अपने देश की सरकार के खिलाफ बगावत कर देती है और देश का कंट्रोल अपने हाथ में ले लेती है तो उसे सैन्य तख्तापलट कहा जाता है. इसके अलाव, जब राजनीतिक साजिश करके एक चुनी हुई सरकार को गिराया जाता है तो उसे राजनीतिक तख्तापलट कहा जाता है.