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'जेनरेशन बीटा' वे बच्चे होंगे जिनका जन्म 2025 से 2039 के बीच होगा. पीढ़ियों के नामकरण की परंपरा हर 15-20 साल में होती है, लेकिन इस बार जेनरेशन बीटा सिर्फ 11 साल बाद आया.
वायरल वीडियो Photograph: (SOCIAL MEDIA)
भारत ने 2025 के आगमन के साथ ही एक ऐतिहासिक पल देखा, जब मिजोरम के आइजॉल में देश का पहला ‘जनरेशन बीटा’ बच्चा जन्मा. जेड्डी रेमरुआतसंगा और रामजिर्मावी के घर 1 जनवरी 2025 को 12:03 बजे इस बच्चे का जन्म हुआ. इस नवजात का नाम फ्रेंकी रखा गया है. फ्रेंकी न केवल मिजोरम बल्कि पूरे देश के लिए स्पेशल है, क्योंकि वह ‘जनरेशन बीटा’ के जनरेशन की शुरुआत का सिंबल है. अब आपके मन में सवाल आ रहा होगा कि जनरेशन बीटा क्या है? तो चलिए इस खबर में विस्तार से जनरेशन के बारे में जाते हैं.
‘जनरेशन बीटा’ उन बच्चों को कहा जाएगा जो 2025 से 2039 के बीच जन्म लेंगे. पीढ़ियों को नाम देने का ट्रेडिशन हर 15-20 साल में होता है, लेकिन इस बार जनरेशन बीटा का आगमन महज 11 साल बाद हो गया. इससे पहले 2013 से 2024 के बीच जन्म लेने वाले बच्चों को ‘जनरेशन अल्फा’ और 1995 से 2012 के बीच जन्म लेने वाले बच्चों को ‘जनरेशन जेड’ कहा गया, जिसे आज हम जेन-जी कहते हैं.
जनरेशन बीटा को टेक्निकल एरा में पला-बढ़ा माना जाएगा. इस पीढ़ी के बच्चे एक ऐसे दौर में बड़े होंगे, जहां लगभग हर सर्विस, चाहे वह इंटरनेट हो, टीवी हो या होम डिलीवरी, एक क्लिक की दूरी पर होगी. इस नाम को फेमस समाजशास्त्री मार्क मैकक्रिंडल ने दिया, जिन्होंने भविष्यवाणी की है कि यह पीढ़ी टेक्नोलॉजी के प्रभाव से काफी हद तक बदल जाएगी.
जनरेशन बीटा के पास जहां अत्याधुनिक तकनीक होगी, वहीं उन्हें कई चुनौतियों का भी सामना करना होगा. बढ़ते वैश्विक तापमान, शहरीकरण और जनसंख्या वृद्धि इस पीढ़ी के लिए बड़े मुद्दे होंगे. इन समस्याओं का सामना करने के लिए उन्हें अनुकूलन क्षमता, सामाजिक कौशल और धैर्य विकसित करना होगा. हालांकि, यह पीढ़ी तकनीकी रूप से अत्यधिक सक्षम होगी. फ्रेंकी जैसे बच्चे दुनिया की सबसे नई तकनीकों का उपयोग सहजता से करेंगे. लेकिन पर्यावरणीय परिस्थितियों के कारण उनके स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने की संभावना भी जताई जा रही है.
प्रत्येक पीढ़ी को उसके समय के सामाजिक, आर्थिक और तकनीकी परिवर्तनों के आधार पर नाम दिया जाता है. उदाहरण के लिए, 1901-1924 के बीच जन्म लेने वाले लोग ‘द ग्रेटेस्ट जनरेशन’ कहे गए, जो महान मंदी और विश्व युद्धों के दौर से गुजरे. वहीं, 1925-1945 के बीच जन्म लेने वाली ‘साइलेंट जनरेशन’ अपनी मेहनती और आत्मनिर्भरता के लिए जानी गई.
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