बाबा रामदेव ने पूरे देश में योग फैलाने का काम तो किया ही, अब वह पूरे देश में पंच क्रांतियों का शंखनाद करने वाले हैं. इसका उद्देश्य पहले भारतवर्ष में और फिर पूरी दुनिया में नई शिक्षा व्यवस्था के साथ और भी चीजों का शंखनाद करने वाले हैं जिसका नेतृत्व भारत करेगा.
बाबा रामदेव ने योग क्रांति की सफलता के बाद पंच क्रांतियों का शंखनाद करते हुए कहा, "शिक्षा, चिकित्सा, आर्थिक, वैचारिक-सांस्कृतिक व रोगों-भोगों-ग्लानि-कुण्ठाओं से आजादी का बड़ा कार्य पतंजलि से प्रारंभ करना है. आज 50 से 90 और कहीं-कहीं तो 99 प्रतिशत पढ़े-लिखे बेरोजगार, नशेड़ी, चरित्रहीन निस्तेज बच्चे तैयार हैं. उनका बचपन, यौवन और हमारा कुलवंश खतरे में है. हमनें यह तय किया है कि पहले भारतवर्ष में और फिर पूरी दुनिया में नई शिक्षा व्यवस्था का शंखनाद करेंगे और उसका नेतृत्व भारत करेगा.
बाबा रामदेव ने शिक्षा के बारे में और ज्यादा जानकारी देते हुए कहा, “पतंजलि गुरुकुलम, आचार्यकुलम, पतंजलि विश्वविद्यालय और भारतीय शिक्षा बोर्ड अब नये प्रतिमान गढ़ेंगे. हमारा संकल्प है कि हम आगामी पांच वर्षों में 5 लाख विद्यालयों को भारतीय शिक्षा बोर्ड से जोड़ेगें. ये शिक्षा की अभिनव क्रांति होगी.रोग हमारा स्वभाव नहीं, योग ही हमारा स्वभाव है. आज पूरी दुनिया में सिंथेटिक दवा, अलग-अलग प्रकार स्टेरॉयड, पेन किलर इत्यादि खा-खाकर लोगों के शरीर खराब हो रहे हैं. चिकित्सा की आजादी के लिए पतंजलि वैलनेस, योगग्राम, निरामयम, चिकित्सालयों एवं आरोग्य केन्द्रों से लेकर, आधुनिक रिसर्च के माध्यम से ऋषियों की विरासत और विज्ञान को लेकर हम आगे बढ़ रहे हैं.
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हमारा लक्ष्य है समृद्धि सेवा के लिए व अर्थ परमार्थ के लिए
बाबा रामदेव ने अर्थतंत्र के बारे में बताते हुए कहा, “हमारा संकल्प है कि हम लोगों को रोगी होने से बचायेंगे भी और रोग होने के बाद उन रोगों से योग-आयुर्वेद के माध्यम से लोगों को मुक्ति दिलाएंगे. आज पूरी दुनिया में कुछ चंद मुट्ठी भर लोगों ने अपने क्रूर पंजों में पूरे अर्थतंत्र को जकड़ रखा है. हमारा लक्ष्य है समृद्धि सेवा के लिए व अर्थ परमार्थ के लिए. अभी तक पतंजलि ने शिक्षा, स्वास्थ्य, अनुसंधान, चरित्र निर्माण, राष्ट्र निर्माण आदि में 1 लाख करोड़ रुपए की चैरिटी की है.
भारत की प्राचीन विरासत पर बात करते हुए बाबा रामदेव बोले, “जिस भारत ने पूरी दुनिया को सर्वप्रथम विश्व को संदेश दिया वो भारत यदि वैचारिक और सांस्कृतिक गुलामी से गुजरे तो ठीक नहीं. हमें वैचारिक और सांस्कृतिक गुलामी से भारत को मुक्ति दिलानी है. इसलिए हम कहते हैं कि हमें इस सनातन धर्म को, वेदधर्म को, ऋषिधर्म को, योगधर्म को युगधर्म के रूप में बढ़ाना है. दुनिया में चारों तरफ नशे का खतरनाक खेल चल रहा है. भारत में नशे के दलदल में धंसकर रोग, नशा व अश्लीलता में लोगों के जीवन तबाह हो रहा है. रोग, नशा, अश्लीलता से आजादी का हमारा संकल्प है.पतंजलि के 30 वर्ष पूर्ण होने पर यही है हमारा संकल्प है कि हम पूरे विश्व को योगमय बनायेंगे, चरित्र निर्माण करके आदर्श विश्व नागरिकों का निर्माण करेंगे.”
पतंजलि का 100 प्रतिशत प्राफिट केवल चैरिटी के लिए
आचार्य बालकृष्ण ने आखिर में कहा, “ स्वामी रामदेव के अखण्ड प्रचण्ड पुरुषार्थ से पतंजलि का योगदान आज पूरी दुनिया को प्रेरणा दे रहा है. पतंजलि में लोगों को स्वास्थ्य देने के लिए अर्थ से परमार्थ का अभियान चलाया है. पतंजलि का 100 प्रतिशत प्राफिट केवल चैरिटी के लिए है.
बता दें कि हरिद्वार पतंजलि योगपीठ के परमाध्यक्ष स्वामी रामदेव व महामंत्री आचार्य बालकृष्ण की उपस्थिति में पतंजलि संस्थान का 30वां स्थापना दिवस पतंजलि वैलनेस, हरिद्वार के योगभवन सभागार में सम्पन्न हुआ. इसमें पतजंलि योगपीठ संगठन के 6 हजार से अधिक प्रभारी शामिल हुए. इस कार्यक्रम में पतंजलि योगपीठ की भावी योजनाओं पर प्रकाश डाला गया.