मिठाई का डिब्बा लेकर इंतजार कर रहीं थी नीरज चोपड़ा की मां, पहुंचते ही पहनाया मेडल
टोक्यो ओलंपिक में सात पदक विजेताओं को शाम को चाणक्यपुरी के अशोक होटल में एक समारोह में सम्मानित किया जाएगा. चोपड़ा के पिता सतीश कुमार ने कहा, हम बहुत अच्छा महसूस कर रहे हैं. हम बहुत गर्व महसूस कर रहे हैं.
highlights
- नीरज चोपड़ा के इंतजार में बैठी हैं उनकी मां
- मां के हाथों में है नीरज की स्पेशल डिश
- गोल्ड जीतते ही पूरे गांव में गूंजे थे चक दे इंडिया के नारे
नई दिल्ली:
ओलंपिक खेलों में एथलेटिक्स में भारत के लिए पहला स्वर्ण पदक हासिल करने वाले नीरज चोपड़ा का उसके माता-पिता बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. नीरज की मां ने उसके लिए मिठाई का एक डिब्बा तैयार करके रखा हुआ है, मगर अभी तक यह नहीं पता है कि इसमें कौन सी मिठाई है. नीरज की सरोज देवी मां का कहना है कि जब उसे उनका बेटा खोलेगा, तभी पता चलेगा कि इसमें कौन सी मिठाई है. चोपड़ा, टोक्यो ओलंपिक में भारतीय दल के अन्य सदस्यों के साथ, सोमवार शाम नई दिल्ली के आईजीआई हवाई अड्डे पर पहुंचे.
टोक्यो ओलंपिक में सात पदक विजेताओं को शाम को चाणक्यपुरी के अशोक होटल में एक समारोह में सम्मानित किया जाएगा. चोपड़ा के पिता सतीश कुमार ने कहा, हम बहुत अच्छा महसूस कर रहे हैं. हम बहुत गर्व महसूस कर रहे हैं. बढ़िया लग रहा है. भविष्य की प्रतियोगिताओं में स्वर्ण पदक की संभावना के बारे में पूछे जाने पर, कुमार सकारात्मक दिखे. उन्होंने कहा, निश्चित रूप से. हमें ओलंपिक में दो और पदकों की उम्मीदें हैं. चोपड़ा की मां सरोज देवी ने बताया कि वह अपने बेटे के लिए मिठाई का डिब्बा लेकर आई हैं. जब डिब्बा खोला जाएगा, तब मिठाई सामने आएगी.
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उन्होंने आगे कहा कि चोपड़ा को चूरमा (गेहूं की रोटी, गुड़ और घी को मिलाकर बनाया जाता है) पसंद है. सरोज ने हंसते हुए कहा, जब वो घर आएंगे तो हम सब मिलकर चूरमा खाएंगे. यह पूछे जाने पर कि 23 वर्षीय चोपड़ा से मिलने पर उनके पहले शब्द क्या होंगे, तो इस पर कुमार ने कहा, यही कहूंगा, शाबाश बेटा. तूने बहुत अच्छा किया. चोपड़ा ने शनिवार को टोक्यो ओलंपिक में पुरुषों की भाला फेंक (जेवलिन थ्रो) स्पर्धा में 87.58 मीटर भाला फेंककर स्वर्ण पदक जीता. फाइनल के लिए क्वालीफिकेशन राउंड में चोपड़ा ने 86.65 मीटर फेंक कर तालिका में शीर्ष स्थान हासिल किया था.
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गोल्ड जीतने की खबर के साथ ही गांव में दौड़ी थी जश्न की लहर
आपको बता दें कि इसके पहले शनिवार को हरियाणा के पानीपत जिले के खंडरा गांव में जश्न की लहर दौड़ गई है, जब यह खबर आई कि उसका प्रतिभाशाली बेटा सूबेदार नीरज चोपड़ा, वीएसएम, ओलंपिक में पदक (वह भी एक स्वर्ण) जीतने वाले पहले भारतीय ट्रैक और फील्ड एथलीट बन गए, जब से भारत ने आधिकारिक तौर पर 1928 में खेलों में प्रवेश किया. दोस्तों और प्रशंसकों ने गोल्डन बॉय के परिवार के घर के आसपास इकट्ठा होना शुरू कर दिया, जहां 19 सदस्य अगर उसका विस्तारित परिवार रहता है, जैसे ही यह खबर फैली कि उन्होंने टोक्यो में भाला फेंक स्पर्धा के फाइनल में अपनी जगह हासिल कर ली है.
'गांव में गूंजे थे चक दे इंडिया के नारे'
उनके परिवार ने कहा कि पूरा गांव और यहां तक कि आसपास के गांवों के लोग भी पिछले कुछ दिनों से सार्वजनिक स्थानों पर लगे टेलीविजन सेट पर उनका प्रदर्शन देख रहे थे. जैसे ही उनकी जीत की खबर प्रसारित हुई, लोग उनके आवास पर जमा हो गए, मिठाई बांटी और पंजाबी गानों की धुन पर डांस किया. जब टेलीविजन पर 'सुनहरी खबर' दिखाई जाती थी तो 'चक दे इंडिया' के नारे गांव में गूंज उठे.
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