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Laptop ban: भारत सरकार ने लैपटॉप, पीसी, टैबलेट पर लगाया बैन, चीन को होगा भारी नुकसान

भारत सरकार ने मेक इन इंडिया कार्यक्रम को बढ़वा देने और सुरक्षा कारणों से  भारत में टैबलेट, लैपटॉप, और कम्प्यूटर के आयात पर बैन लगा दिया है. जानकारी के मुताबिक अगर कोई कंपनी उन  समानों को आयात करना चाहती है तो इसके लिए भारत सरकार से स्पेशल परमिशन लेना

Updated on: 05 Aug 2023, 10:29 AM

नई दिल्ली:

भारत सरकार ने मेक इन इंडिया कार्यक्रम को बढ़वा देने और सुरक्षा कारणों से  भारत में टैबलेट, लैपटॉप, और कम्प्यूटर के आयात पर बैन लगा दिया है. जानकारी के मुताबिक अगर कोई कंपनी उन  समानों को आयात करना चाहती है तो इसके लिए भारत सरकार से स्पेशल परमिशन लेना होगा और इससे संबंधित सारी जानकारी सरकार को देनी होगी. सरकार के इस कदम से भारत में काम कर रहे बड़ी कंपनियां जैसे एप्पल, एचपी, लेनेवो, सेमसंग, आसुस, एसर सहित अन्य कंपनियों पर गहरा असर होगा. वहीं इससे देश में इन इलेक्ट्रोनिक समाना को बनाना होगा. इससे लोगों को कई तरह के फायदे होंगे और पहले के मुकाबले ये सस्ता मिलेगा.

मेक इन इंडिया को बढ़ावा

सरकार के इस फैसले घरेलू कंपनियों को फायदा होगा और मेक इन इंडिया कार्यक्रम को इससे बढ़वा मिलेगा. लैपटॉप, टैबलेट और पीसी का इंपोर्ट मार्केट फिर कुछ सालों में तेजी से बढ़ रहा था. इसमें चीन से आयात होने वाले सामान का प्रतिशत सबसे ज्यादा था. सरकार के इस कदम से लोगों को सस्ते में अब ये इलेक्ट्रोनिक सामान मिलेंगे. दरअसल विदेश से लाने पर इन उपकरणों पर इंपोर्ट ड्यूटी लगा जाती थी जिसकी वजह से ये महंगा हो जाता था, लेकिन जब ये भारत में बनेंगे तो ये पहले के अपेक्षा सस्ता होगा और इसका फायदा लोगों को होगा. 

पहली तिमाही में 20 बिलियन खर्च

एक रिपोर्ट के मुताबिक 2017 के बाद कुल लेपटॉप आयात का 75 प्रतिशत सिर्फ चीन से लाया जा रहा था. वहीं बात साल 2022 की करे तो सिर्फ 9 महीनों में ही भारत ने 5 बिलियन डॉलर का आयात कर चुका था इसमें 73 प्रतिशत चीन का हिस्सा था. रिपोर्ट के मुताबिक 2023 के अप्रैल- जून तिमाही में ही भारत ने लेपटॉप, टेबलेट और पीसी पर करीब 20 बिलियन डॉलर खर्च कर चुका है. देखा जाए तो पिछले साल के मुकाबले इस तिमाही में 6.25 प्रतिशत का इजाफा हुआ है.

 भारत सरकार के इस कदम से चीन को भारी आर्थिक नुकसान होगा वहीं देश के मेन्यूफेक्चरिंग कंपनियों को इसका जबरदस्त फायदा होगा और देश के पास विदेशी मुद्रा भंडार भी बचा रहेगा. हलांकि सरकार ने ये साफ कर दिया है कि ये पूरी तरह से बैन नहीं है. कुछ स्थिति में आयात करने की अनुमति होगी.