Diwali: भगवान गणेश की प्रतिमा लेने जा रहे हैं तो उनके सूंड़ का रखें ध्यान, नहीं तो होगी मुश्किल
भगवान गणेश के किसी प्रतिमा में सूंड़ दाईं तो किसी में बाईं तरफ होती है तो कहीं-कहीं सीधी. अक्सर इनकी प्रतिमा लेते समय हम उनके सूंड़ पर ध्यान नहीं देते. इस बार अगर गणेश (Ganesha) की प्रतिमा लेने जाएं तो इन बातों का ध्यान रखें..
नई दिल्ली:
रोशनी का पर्व दिवाली (Diwali 2019) इस साल 27 अक्टूबर को देशभर में मनाया जाएगा. इसको लेकर तैयारियां जोरों पर हैं. बाजारों में खरीदारी शुरू हो गई है. घर और दफ्तरों के साफ-सफाइ के साथ ही रंगरोगन भी जोरों पर है. दिवाली (Diwali) के दिन धन की देवी मां लक्ष्मी के साथ-साथ भगवान गणेश (Ganesha) , माता सरस्वती और भगवान कुबेर की विशेष पूजा का विधान है. तो जाहिर है आप भी इन देवी-देवताओं की प्रतिमा या चित्र लेने की सोच रहे होंगे. अगर भगवान गणेश (Ganesha) की प्रतिमा लेना चाहते हैं तो आपको विशेष सावधानी रखनी होगी. भगवान गणेश के किसी प्रतिमा में सूंड़ दाईं तो किसी में बाईं तरफ होती है तो कहीं-कहीं सीधी. अक्सर इनकी प्रतिमा लेते समय हम उनके सूंड़ पर ध्यान नहीं देते. इस बार अगर गणेश (Ganesha) की प्रतिमा लेने जाएं तो इन बातों का ध्यान रखें..
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सीधी सूंड़ वाले गणेश (Ganesha) भगवान दुर्लभ हैं. इनकी एकतरफ मुड़ी हुई सूंड़ के कारण ही गणेश (Ganesha) जी को वक्रतुण्ड कहा जाता है. दाई और की सूंड़ वाले सिद्धि विनायकतो बाई सूंड़ वाले वक्रतुंड कहलाते हैं. बाएं सूंड़ की प्रतिमा लेना ही शास्त्र सम्मत माना गया है. दाएं सूंड़ की प्रतिमा में नियम-कायदों का पालन करना होता है.
कहां किस सूंड़ वाले गणेश (Ganesha) की होनी चाहिए प्रतिमा
- घर में बाईं ओर की सूंड़ वाले, सीधी सूंड़ वाले या हवा में सूंड़ वाले गणपति की मूर्ति ही रखें
- बाएं हाथ की ओर घूमी हुई सूंड़ वाली प्रतिमा की पूजा-आराधना में बहुत ज्यादा नियम नहीं रहते हैं
- सामान्य तरीके से हार-फूल, आरती, प्रसाद चढ़ाकर भगवान की आराधना की जा सकती है.
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- दाहिने हाथ की ओर सूंड़ वाले गणपति की ओर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती
- दाहिने हाथ की ओर सूंड़ वाले गणपति की विशिष्ट पूजा की आवश्यकता होती है
- दाहिने हाथ की ओर सूंड़ वाले गणपति की आवश्यकताओं की पूर्ति घर पर नहीं किया जा सकता
- दाहिने हाथ की ओर सूंड़ वाले गणपति की गणपति की मूर्ति केवल मंदिरों में ही मिलती है.
प्रतिमा को स्थापित करने की विधि
प्रतिमा पर सबसे पहले गंगाजल या कच्चे दूध का छिड़काव कर शुद्ध करें. इसके बाद उत्तर दिशा में स्थापित करें. आप इसे धन अथवा बैंक से संबंधित काग़ज़ातों के पास भी रख सकते है. स्थापना से पूर्व मूर्ति के नीचे साफ़ लाल वस्त्र बिछाएं. मूर्ति को शुक्रवार के दिन या फिर शुक्रवार की होरा में स्थापित करें. हर शुक्रवार पूरे विधि-विधान से प्रतिमा की आराधना करें.पूजा के दैरान इस मत्र का जाप करें –
दन्ताभये चक्रवरौ दधानं, कराग्रगं स्वर्णघटं त्रिनेत्रम्.
धृताब्जयालिङ्गितमाब्धि पुत्र्या-लक्ष्मी गणेश कनकाभमीडे॥
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