‘कांवड़ यात्रा’ पर संग्राम: सपा ने ‘नेम प्लेट’ पर उठाए सवाल, भाजपा बोली- प्रदेश को दंगों की आग में झोंकना चाहते हैं
बाबा बर्फानी के भक्तों को शिवराज सिंह ने दीं शुभकामनाएं, बोले 'अमरनाथ यात्रा सनातन संस्कृति का प्रतीक'
भारत के सेवा क्षेत्र की गतिविधि जून में 10 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंची
'सिला' के लिए एक्शन सीन की ट्रेनिंग ले रहे हर्षवर्धन राणे, आइस बाथ से मिटाई थकान
Breaking News LIVE: अरविंद केजरीवाल बोले- बिहार में चुनाव लड़ेगी AAP, कांग्रेस से नहीं होगा गठबंधन
बढ़ती उम्र में बेहद कारगर है 'अर्ध मत्स्येन्द्रासन'
Bageshwar Dham Accident: बागेश्वरधाम में एक व्यक्ति की मौत, टीन शेड गिरने से मची अफरा-तफरी
बिहार में वोटर लिस्ट से मतदाताओं को हटाने की साजिश, बीएलओ को गांवों में घुसने नहीं देंगे: पप्पू यादव
दिल्ली में डबल मर्डर से दहशत, मां-बेटे की घर में घुसकर हत्या

मानसून सीजन में बढ़ जाता है ब्रोंकाइटिस का खतरा, एहतियात बरतें और बीमारी से दूर रहें

मानसून सीजन (Monsoon Season) में कई लोगों को सांस लेने में दिक्‍कतें पेश आती हैं. सर्दी-खांसी, निमोनिया, एलर्जी, अस्थमा आदि मरीजों को खास तौर से परेशानी होती है.

मानसून सीजन (Monsoon Season) में कई लोगों को सांस लेने में दिक्‍कतें पेश आती हैं. सर्दी-खांसी, निमोनिया, एलर्जी, अस्थमा आदि मरीजों को खास तौर से परेशानी होती है.

author-image
Sunil Mishra
New Update
Breathing

मानसून सीजन में बढ़ जाता है ब्रोंकाइटिस का खतरा, एहतियात बरतें( Photo Credit : File Photo)

मानसून सीजन (Monsoon Season) में कई लोगों को सांस लेने में दिक्‍कतें पेश आती हैं. सर्दी-खांसी, निमोनिया, एलर्जी, अस्थमा आदि मरीजों को खास तौर से परेशानी होती है. इसी तरह ब्रोंकाइटिस बीमारी (Bronchitis Disease) भी होती है, जिस पर समय रहते ध्यान न देने पर घातक परिणाम सामने आते हैं. ब्रोंकाइटिस में श्वास नली में सूजन आ जाती है, जिससे मरीज को बहुत खांसी आती है. साथ ही बहुत तेज बलगम बनने लगता है. अत्यधिक बलगम बनने और श्वास नली में रुकावट होने से फेफड़ों में इंफेक्‍शन होने लगता है और मरीज को सांस लेने में परेशानी होती है.

Advertisment

यह भी पढे़ंः बरसात के मौसम में क्‍या खाएं क्‍या नहीं, पाचनतंत्र के लिए बेहतर हैं ये फूड

ब्रोंकाइटिस दो प्रकार के होते हैं– एक्यूट ब्रोंकाइटिस और क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस. एक्यूट ब्रोंकाइटिस में मामूली सर्दी-बुखार होता है. इसमें सीने में तकलीफ और सांस लेने में परेशानी होती है. हल्का बुखार भी आता है. इस तरह की शिकायत बच्चों को ज्यादा होती है. वहीं क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस में खांसी और कफ अधिक होता है और यह ज्यादा समय तक परेशान करता है. डॉक्‍टरों की मानें तो क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस अधिक धूम्रपान करने से होता है.

खानपान पर ध्यान देकर ब्रोंकाइटिस से बचाव किया जा सकता है. इस मानसूनी मौसम में अदरक, लहसुन, शहद, निलगिरी का तेल, सेंधा नमक और हल्दी का सेवन करने से इस बीमारी से दूरी बनी रहती है. साथ ही खाने में ज्यादा से ज्यादा साबुत अनाज और पॉलीअनसैचुरेटेड फैट (अखरोट, बादाम, ट्यूना और साल्मन मछली) वाले खाद्य पदार्थों को शामिल करना चाहिए. ड्रायफ्रूट्स का अधिक सेवन करें, जिसमें बादाम, अखरोट ज्यादा लें. काढ़ा, हर्बल चाय और वेजीटेबल सूप लेते रहें. एंटी-ऑक्सीडेंट से भरपूर चीजें लेते रहना चाहिए. तेल और वसायुक्त खाने से बचना चाहिए.

यह भी पढे़ंः आम आदमी पर फिर पड़ी महंगाई की मार, सब्जियों के दाम छू रहे आसमान

आपकी थोड़ी सी सावधानी ब्रोंकाइटिस से दूर रख सकती है. अगर सर्दी, खांसी, बुखार, बदन दर्द अधिक समय तक रहे तो डॉक्टर से जरूर दिखाएं. खांसते समय खून निकले या जरूरत से ज्यादा कफ आए और सांस लेने में तकलीफ हो तो यह क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस के लक्षण हो सकते हैं, इसलिए डॉक्टर से संपर्क करें.

Source : News Nation Bureau

monsoon season risk Precautions Bronchitis
      
Advertisment