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आम आदमी पर फिर पड़ी महंगाई की मार, सब्जियों के दाम छू रहे आसमान

टमाटर जहां 40 रुपये प्रति किलो बिक रहे हैं, वहीं प्याज के दाम 40-45 रुपये किलो है। इन सब्जियों के दामों में हुई बढ़ोतरी से गृहणियां घर के बजट को लेकर परेशान हैं।

Updated on: 13 Aug 2018, 06:15 PM

नई दिल्ली:

देश में महंगाई लगातार बढ़ती जा रही है, सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं। आलू, प्याज, टमाटर जैसी सब्जियों के दाम लगातार बढ़ रहे हैं। प्याज जहां 45 रुपये किलो बिक रहा है वहीं टमाटर 40-60 रुपये किलो बिक रहा है। हरी सब्जियों की बात करें तो बैंगन 50 से 60 रुपये प्रति किलो बिक रहा है। तो वहीं लौकी 28-30 रुपये प्रति किलो, पत्ता गोभी 40-50 रुपये प्रति किलो, भिंडी 50-60 रुपये प्रति किलो, कटहल 120-150 रुपये प्रति किलो, कुनरू 25-30 रुपये बिक रहा है। इसके साथ ही परवल के दाम 50-60 रुपये किलो के साथ आसमान छू रहे हैं।

ऐसी स्थिती में भोजन का जायका न बिगड़े यह भला कैसे हो सकता है। सब्जियों के दामों में बेतहाशा वृद्धि के चलते गरीबों और आम जनता की थालियों से सब्जियां गायब हो रही हैं। 

इन सब्जियों के दामों में हुई बढ़ोतरी से गृहणियां घर के बजट को लेकर परेशान हैं। सब्जी के दामों में हुई वृद्धि के चलते गृहणियों को कंजूसी से रसोई चलानी पड़ रही है। बरसात का मौसम शुरू होने के साथ ही सब्जी के दामों में बढ़ोतरी ने गरीबों की मुश्किलें बढ़ा दी है। उनकी थाली से सब्जियां गायब होना शुरू हो गई हैं।

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आम आदमी के लिए तो सप्ताह भर की सब्जी की खरीदारी एक साथ करना मुश्किल हो गया है। सब्जी विक्रेता किलो का भाव बताने के बजाय पाव का ही रेट बता रहे हैं। सब्जी के दाम महंगे होने के चलते विक्रेता उतनी ही सब्जियां मंडी से उठा रहे हैं, जितनी बिक जाए। लोगों की मानें तो बड़े व्यापारी एवं फुटकर विक्रेता मनमाने रेट पर सब्जियां बेच रहे हैं। सुबह भाव कुछ और तो शाम ढलने के साथ कीमत में थोड़ी गिरावट हो जाती है। शहर औप गांव के भाव में भी अंतर देखने को मिल रहा है।

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बताया जा रहा है कि सब्जी के दामों में बढ़ोतरी जगह-जगह हो रही बारिश और बाढ़ के कारण हो रही है। मानसून के मौसम में अक्सर ऐसा होता है क्योंकि सब्जियां खेत में ही सड़ जाती हैं। दूसरी वजह है कि बारिश में यातायात लगातार बाधित रहता है, जिसकी वजह से सब्जियां समय से एक जगह दूसरी जगह नहीं पहुंच पाती है। बारिश के समय कई बार स्टोक में पड़ी-पड़ी खराब हो जाती हैं।