Nasal Vaccine कहीं प्रभावी है कोरोना संक्रमण रोकने में
नेजल वैक्सीन से कोरोना संक्रमण की चेन को तोड़ा जा सकता है औऱ तेजी से बढ़ रहे नए मामलों पर रोक लगाई जा सकती है.
highlights
- नेजल वैक्सीन मृत्युदर में लाएगी कमी
- साथ ही बचाएगी कोरोना संक्रमण से भी
- भारत बायोटेक के एमडी ने बताई खूबियां
नई दिल्ली:
कोरोना वायरस (Corona Virus) के बढ़ते कहर के बीच टीकाकरण अभियान भी देश में तेजी से चल रहा है. 1 मई से तो 18 से ऊपर के वय के सभी लोगों को कोरोना वैक्सीन दी जाने लगेगी. इस बीच भारत बायोटेक के एमडी डॉ कृष्णा इल्ला ने नाक से ली जाने वाली नेजल वैक्सीन (Nasal Vaccine) की संभावनाओं औऱ नफा-नुकसान पर प्रकाश डाला है. उन्होंने नेजल वैक्सीन को प्रभावी बताते हुए कहा कि सुई से लगने वाली वैक्सीन फेफड़ों के ऊपरी औऱ निछले हिस्सों की ही सुरक्षा करती है. इसके जरिये नाक की कोई सुरक्षा नहीं होती है. यही वजह है कि टीकाकरण के बावजूद लोग कोरोना संक्रमित हो जाते हैं. ऐसे में नेजल वैक्सीन संक्रमित होने के बावजूद अस्पताल में भर्ती होने से बचाएगी. इससे दो-तीन दिन बुखार जरूर आ सकता है, लेकिन कोरोना संक्रमण से होने वाली मृत्युदर को कम किया जा सकेगा.
नेजल वैक्सीन कोरोना संक्रमण रोकने में ज्यादा प्रभावी
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक वैक्सीन देने के तरीके और उसकी कार्यप्रणाली पर चर्चा करते हुए डॉ कृष्णा ने कहा, 'नेजल वैक्सीन की एक डोज ही कोरोना संक्रमण को रोकने में सक्षम है. इस तरह नेजल वैक्सीन से कोरोना संक्रमण की चेन को तोड़ा जा सकता है औऱ तेजी से बढ़ रहे नए मामलों पर रोक लगाई जा सकती है. पोलियो ड्रॉप की तरह इसकी 4 बूंद ही काफी हैं. दो बूंद नाक के एक छेद में दो बूंद नाक दूसरे छेद में कोरोना से बचाव में कारगर भूमिका निभाएगी.' उन्होंने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन जैसी वैश्विक संस्थाएं भी सेकंड जेनरेशन बतौर नेजल वैक्सीन को लेकर संतुष्टि जाहिर कर रही हैं. उनके मुताबिक सुई से होने वाले टीकाकरण से संक्रमण नहीं रुकता. ऐसे में नेजल वैक्सीन को लेकर वैश्विक स्तर पर साझेदारी की जाएगी. ऐसा बॉयोटेक कंपनी की योजना है.
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कोवैक्सिन 81 फीसदी तक प्रभावी
गौरतलब है कि मार्च में भारत बॉयोटेक ने कोवैक्सिन के तीसरे चरण के ट्रायल के नतीजे सामने आए थे. भारत बॉयोटेक के मुताबिक कोवैक्सिन कोरोना को रोकने में 81 फीसदी तक प्रभावी आंकी गई थी. तीसरे चरण के ट्रायल के लिए 25,800 लोगों को शामिल किया गया था. भारत में इतने व्यापक स्तर पर इससे पहले कोई क्लीनिकल ट्रायल नहीं हुआ था. गौरतलब है कि डीजीसीआई ने 3 जनवरी को आपातकालीन स्थिति में कोवैक्सिन के इस्तेमाल की अनुमति दी थी. गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने कोवैक्सिन का उत्पादन बढ़ाने के लिए 1567.50 करोड़ रुपए स्वीकृत किए हैं. इसके अलावा बेंगलुरु में प्लांट की उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए 65 करोड़ रुपए का अऩुदान अलग से दिया है. इस तरह जुलाई तक कोवैक्सिन की 6 से 7 करोड़ डोज हर माह उत्पादित की जा सकेंगी.
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