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91.5 फीसदी अंक के बावजूद पसंदीदा कॉलेज नहीं, दिल्ली हाईकोर्ट सख्त

न्यायमूर्ति अनु मल्होत्रा ने श्री गुरु नानक देव खालसा कॉलेज के अधिकारियों को उस लड़की को प्रवेश देने की अनुमति देने का निर्देश दिया, जो अपने वर्तमान संस्थान श्यामा प्रसाद मुखर्जी कॉलेज (एसपीएम) को बदलना चाहती है.

न्यायमूर्ति अनु मल्होत्रा ने श्री गुरु नानक देव खालसा कॉलेज के अधिकारियों को उस लड़की को प्रवेश देने की अनुमति देने का निर्देश दिया, जो अपने वर्तमान संस्थान श्यामा प्रसाद मुखर्जी कॉलेज (एसपीएम) को बदलना चाहती है.

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Nihar Saxena
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Delhi High Court

दिल्ली हाईकोर्ट का पसंदीदा कॉलेज में प्रवेश देने का निर्देश.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को दिल्ली विश्वविद्यालय के तहत आने वाले एक कॉलेज को 91.5 प्रतिशत अंक हासिल करने वाली लड़की को आवंटित कॉलेज में बदलाव कर उसे प्रवेश देने का निर्देश दिया. लड़की को बीए में प्रवेश से वंचित कर दिया गया था क्योंकि सीटें अपात्र उम्मीदवारों को आवंटित की गई थीं, जिन्होंने उससे कम अंक प्राप्त किए थे. लड़की ने सशस्त्र बलों के बच्चों के लिए आरक्षण के तहत भी सीट के लिए क्वालीफाई कर लिया था.

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उसके अंकों और संबंधित दस्तावेजों को देखने के बाद न्यायमूर्ति अनु मल्होत्रा ने श्री गुरु नानक देव खालसा कॉलेज के अधिकारियों को उस लड़की को प्रवेश देने की अनुमति देने का निर्देश दिया, जो अपने वर्तमान संस्थान श्यामा प्रसाद मुखर्जी कॉलेज (एसपीएम) को बदलना चाहती है. याचिकाकर्ता के वकील ने प्रस्तुत किया कि याचिकाकर्ता लड़की से भी कम अंक प्राप्त करने वाले दो छात्रों के नाम पात्रता सूची में शामिल हैं. उन्होंने दलील देते हुए कहा कि उनमें से एक ने सिर्फ 80.5 प्रतिशत अंक हासिल किए हैं.

अदालत ने नोट किया कि उत्तरदाताओं के लिए कोई भी उपस्थित नहीं हुआ. वे छात्र जिन्होंने प्रवेश प्राप्त किया. कोर्ट ने दाखिले की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का निर्देश देते हुए पूछा कि अभ्यर्थी को कॉलेज में कब प्रवेश दिया जा सकता है? कॉलेज का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने जवाब दिया कि कॉलेज में प्रवेश प्रक्रिया आज शाम 5 बजे समाप्त हो रही है और याचिकाकर्ता आवेदन भर सकती है और आज ही शुल्क का भुगतान कर सकती है.

उन्होंने यह भी बताया कि खालसा कॉलेज में आवेदन करने से पहले लड़की को पहले एसपीएम कॉलेज में अपना वर्तमान प्रवेश रद्द कराना चाहिए. दिल्ली विश्वविद्यालय में सशस्त्र बलों के कर्मियों के बच्चों या विधवाओं के लिए और पूर्व सैनिकों और सेवारत कर्मियों के बच्चों के लिए भी प्रवेश को लेकर एक कोटे के तहत प्रावधान हैं.

HIGHLIGHTS

  • अपात्र छात्रों को प्रवेश दिए जाने पर आपत्ति जताई
  • अदालत के निर्देश पर छात्रा को पसंदीदा कॉलेज में प्रवेश
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