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UGC New Draft for Assistant Professor: जिनका सपना असिस्टेंट प्रोफेसर बनने का है या जो नेट की तैयारी कर रहे हैं उनके लिए ये जानकारी जरूरी है. दरअसल, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने यूनिवर्सिटी और कॉलेज में टीचरों की नियुक्ति और उनके प्रमोशन के लिए मिनमम क्वलिफिकेशन के साथ-साथ हायर एजुकेशन को मेनटेन करने के लिए एक ड्राफ्ट तैयार किया है. इसके लिए यूजीसी के अध्यक्ष ने लोगों से फीडबैक मांगा है और 5 फरवरी तक अपने सुझाव देने को कहा है. इन नए ड्राफ्ट में यूजीसी ने असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति के लिए नेशनल एलिजिबिलिटी टेस्ट (NET) को हटाने की सिफारिश की है.
बिना नेट एग्जाम के भी बन सकते हैं असिस्टेंट प्रोफेसर
इस प्रस्ताव के अनुसार, कम से कम 55 प्रतिशत नंबरों के साथ एमई या एमटेक में पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री रखने वाले उम्मीदवार असिस्टेंट प्रोफेसर के पद के लिए पात्र होंगे. वर्तमान में, असिस्टेंट प्रोफेसर की पात्रता के लिए यूजीसी-नेट परीक्षा अनिवार्य है. नए नियम कुलपतियों की चयन प्रक्रिया में भी बदलाव करते हैं, जैसे कि शिक्षाविदों, रिसर्ट इंस्टीट्यूट, सार्वजनिक नीति, लोक प्रशासन और इंडस्टी से प्रोफेशनल को शामिल करने के लिए पात्रता मानदंड का विस्तार करना है.
UGC Updates:
— UGC INDIA (@ugc_india) January 6, 2025
UGC invites Comments/Suggestions/Feedback on the Draft UGC (Minimum Qualifications for Appointment & Promotion of Teachers and Academic Staff in Universities and Colleges and Measures for the Maintenance of Standards in Higher Education) Regulations, 2025
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प्रिंसिपल बनने की भी प्रक्रिया में हो सकता है बदलाव
दिशानिर्देशों के अनुसार, वाइस चांसलर के पद के लिए चयन अखिल भारतीय समाचार पत्र विज्ञापन और सार्वजनिक नोटिफिकेशन के जरिए होगा. सलेक्शन कमिटी की ओर से टैलेंड सर्च प्रोसेस के जरिए भी आवेदन मांगे जा सकते हैं. इसके अलावा इस ड्राफ्ट में स्कूलों में प्रिंसिपल की नियुक्ति को लेकर भी कहा है कि प्रिंसपल की नियुक्ति पांच साल के लिए की जाएगी. इसके अलावा अगर उनका कार्यकाल बढ़ाया जाता है तो उसके लिए पूरी प्रक्रिया फॉलो की जाएगी. हालांकि एक ही कॉलेज में केवल दो कार्यकाल के लिए ही प्रिंसिपल के तौर पर काम कर सकते हैं. इसके बाद अगर वह चाहे तो प्रोफेसर के तौर पर काम कर सकते हैं बशर्ते वह प्रोफेसर के लिए पात्रता को पूरा करते हों.
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