भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने घरेलू क्रिकेट में खेल रहे खिलाड़ियों को बड़ी राहत देते हुए अहम फैसला किया है. रणजी ट्रॉफी (Ranji Trophy) के पिछले सत्र में खराब अंपायरिंग की शिकायत और काफी समय से घरेलू खिलाड़ियों की मांग पर बीसीसीआई (BCCI) ने इस साल रणजी ट्रॉफी (Ranji Trophy) के सत्र में डीआरएस (DRS) नियम लागू करने की घोषणा की है. हालांकि बीसीसीआई (BCCI) ने इस दौरान लिमिटेड डीआरएस (DRS) का उपयोग करने की इजाजत दी है.
बीसीसीआई (BCCI) ने रणजी ट्रॉफी (Ranji Trophy) के इस सीजन में होने वाले नॉकआउट मुकाबलों में लिमिटेड डीआरएस (DRS) का इस्तेमाल करने की इजाजत दी है जिसके अनुसार डीआरएस (DRS) के इस्तेमाल के दौरान हॉकआई और अल्ट्राएज तकनीक का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा. इन दोनों तकनीक का इस्तेमाल अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में किया जाता है.
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गौरतलब है कि डीआरएस (DRS) अभी तक सिर्फ अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में ही लागू किया जाता है, लेकिन बीते सीजन मैचों की संख्या बढ़ने के कारण कप्तान और प्रशिक्षकों ने मौजूदा तकनीक के साथ इसे घरेलू सत्र में लागू करने का सुझाव दिया है.
बीते सीजन रणजी ट्रॉफी (Ranji Trophy) सेमीफाइनल में कर्नाटक के खिलाफ सौराष्ट्र के बल्लेबाज चेतेश्वर पुजारा को तब नॉट आउट दिया गया था जब गेंद उनके बल्ले का बाहरी किनारा लेकर कैच कर ली गई थी. इस मैच में पुजारा ने शतक जमाया था और इससे मैच का परिणाम बदल गया था.
बीसीसीआई (BCCI) के महाप्रबंधक सबा करीम ने लिमिटेड डीआरएस (DRS) के उपयोग की पुष्टि की है.
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सबा करीम ने कहा, 'बीते साल कुछ नॉकआउट मैचों के दौरान अम्पायरों से कुछ गलतियां हुई थीं और इसी कारण हमने इस तरह की स्थिति से बचने के लिए लिमिटेड डीआरएस (DRS) का उपयोग करने का फैसला किया है.'
भारत में क्रिकेट का काम देख रही प्रशासकों की समिति ने इस साल जून में लिमिटेड डीआरएस (DRS) को हरी झंडी दे दी थी.
Source : News Nation Bureau