Explainer: महाराष्ट्र की राजनीति में 12 जुलाई 2024 का दिन काफी अहम माना जा रहा है. इस चुनाव से ही महाराष्ट्र में इस वर्ष के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव की तस्वीर भी कुछ हद तक साफ हो सकती है. दरअसल विधान परिषद की 11 सीटों के लिए यह चुनाव हो रहा है. लेकिन इस चुनाव के साथ राजनीतिक दलों की ताकत का प्रदर्शन हो जाएगा. इसी प्रदर्शन से ये भी साफ हो जाएगा कि लोकसभा चुनाव की तरह क्या इस चुनाव में इंडिया ब्लॉक कुछ हद तक सफल होगा या फिर एनडीए एक बार फिर अपनी धाक जमाए रखने में कामयाब होगा. दरअसल विधानस परिषद के चुनाव से ही महाराष्ट्र में राजनीति में बड़ा बदलाव देखने को मिला था. आइए जानते हैं क्यों महाराष्ट्र में अहम है विधान परिषद का चुनाव.
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दो साल पहले हुआ था बड़ा बदलाव
महाराष्ट्र में विधान परिषद के चुनाव ने ही प्रदेश की सियासत में बड़ा बदलाव कर दिया था. यहीं से राजनीतिक खेला हुआ था. बात दो वर्ष पुरानी है. 2022 में इसी वक्त जुलाई में ये चुनाव हो रहे थे और किसी को भनक भी नहीं लगी. एक दिग्गज ने अचानक चलती सरकार और पार्टी से बगावत कर डाली. इस दिग्गज नेता का नाम था एकनाथ शिंदे.
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एकनाथ शिंदे ने उस दौरान सोचा भी नहीं होगा कि उनकी बगावत प्रदेश की सियासत में बड़ा भूचाल ले आएगी और कुछ वक्त में वह प्रदेश के मुखिया बन जाएंगे. दरअसल दो वर्ष पहले विधान परिषद की 10 सीट पर चुनाव हुआ था. इन 10 सीट पर कुल 11 प्रत्याशी मैदान में थे. 20 जून को मतदान हुआ. उस वक्त उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में महाविकास अघाड़ी के सहयोगी दलों ने तीन-तीन प्रत्याशियों को मैदान में उतारा था. इसमें कांग्रेस, शिवेसना और एनसीपी प्रमुख रूप से शामिल थीं. इस चुनाव में बीजेपी की ओर से 5 उम्मीदवार चुनावी मैदान में थे.
एक सीट पर 26 वोट
दो साल पहले हुए विधान परिषद के चुनाव में एक प्रत्याशी की जीत के लिए 26 वोटों की जरूरत थी. यानी 287 सदस्य वाली महाराष्ट्र विधानसभा में हर विधायक का वोट काफी अहमियत वाला था. इस चुनाव में MVA की ताकत की बात करें तो उनके पाले में 151 एमएलए थे. इन्हीं में शिवसेना के 55, कांग्रेस के पास 44 जबकि रांकपा के पास 52 विधायकों का साथ था. जबकि भारतीय जनता पार्टी की बात करें तो इनके पास 106 एमएलए का साथ था.
एकनाथ शिंदे ने कर डाली बगावत
इस चुनाव में जहां एमवीए निश्चिंत थी कि उनके ज्यादा उम्मीदवारों को जीत हासिल होगी वहीं दूसरी ओर एक दिग्गज नेता बगावत की तैयार कर रहा था. ये दिग्गज नेता था मौजूद समय में प्रदेश के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे. उद्धव के करीबी माने जाने वाले और कैबिनेट मंत्री एकनाथ शिंदे ने अचानक संपर्क तोड़ दिया. सूचना मिली की एकनाथ शिंदे अपने 11 विधायकों के साथ महाराष्ट्र से ही बाहर हैं. उन्होंने गुजरात के सूरत में अपना नया ठिकाना बनाया और चुनाव तक वहां नहीं पहुंचे. गुजरात से ये सभी विधायक एकनाथ शिंदे के साथ-साथ असम के गुवाहटी पहुंच गए. यहां पर हिमंता बिस्वा सरमा की शरण में ये सभी विधायक सुरक्षित बीजेपी के खेमे में जाने के लिए तैयार थे.
इसी चुनाव में उन्होंने बगावत के साथ शिंदे की ताकत में इजाफा होता चला गया और उद्धव ठाकरे की शिवसेना कमजोर होती चली गई. उद्धव के साथ-साथ एमवीए को भी बड़ा झटका लगने की तैयारी हो रही थी, प्रदेश से सरकार जाने का खतरा भी मंडराने लगा था. इसके बाद वो वक्त आ गया जब उद्धव को अपने विधायकों की संख्या कम होने से बहुमत से हाथ धोना पड़ा और उन्होंने अपने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया.
एकनाथ ने बीजेपी से किया गठबंधन और बनाई सरकार
एकनाथ शिंदे ने अपनी सोची समझी रणनीति के तहत बीजेपी के साथ गठबंधन किया और महाराष्ट्र में नई सरकार बनाई. इस सरकार में एकनाथ शिंदे ने बतौर सीएम पद की शपथ भी ली. विधान परिषद चुनाव के दौरान जो 11 विधायक शिंदे के साथ हुए थे उनमें अब संख्या बल बढ़ने लगा और शिवसेना से 50 से ज्यादा विधायक शिंदे गुट में आ गए.
अब 11 सीट पर 12 प्रत्याशियों की टक्कर
महाराष्ट्र एक बार फिर विधानसभा चुनाव से पहले विधानस परिषद के चुनाव पर सबकी निगाहे टिकी हुई हैं. शुक्रवार देर शाम नतीजे सामने आ जाएंगे. 11 सीट पर 12 प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं. हालांकि इस चुनाव में राजनीतिक दलों को क्रॉस वोटिंग का डर सता रहा था. यही वजह थी कि कई दलों ने अपने-अपने विधायकों को रिजॉर्ट में ठहराया हुआ था.
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27 जुलाई को पूरा हो रहा कार्यकाल
दरअसल 27 जुलाई 2024 को 11 एमएलसी का कार्यकाल खत्म हो रहा है. ऐसे में चुनाव के साथ ही नए एमएलसी तय हो जाएंगे. इस चुनाव बीजेपी के पास जहां 103 एमएलए का साथ है वहीं एमवीए के पास ये संख्या 104 है. वहीं शिंदे गुट वाली शिवसेना के पास 38 विधायक हैं. हर सीट पर जीत के लिए 23 वोट की जरूरत है.
Source : News Nation Bureau