Chandrayaan-3 Mission : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने 23 अगस्त को चांद के दक्षिणी ध्रुव की सतह पर चंद्रयान-3 की सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग करा दी थी. विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर अब चांद के रहस्यों का खोज कर रहा है. अब 2 सितंबर को भारत का सौर मिशन आदित्य-L1 लॉन्च होने वाला है, जिसे लाग्रेज बिंदू-1 (L1 बिंदू) की प्रभावमंडल कक्ष में रखकर सूर्य का अध्ययन करेगा. इसे लेकर इसरो चीफ एस सोमनाथ ने गुरुवार को बड़ा खुलासा किया है.
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चंद्रयान-3 मिशन पर इसरो चीफ एस. सोमनाथ (ISRO Chief S. Somnath) ने तमिलनाडु के चेन्नई में मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि सब कुछ ठीक काम कर रहा है. सारा डेटा बहुत अच्छे से आ रहा है. हमें उम्मीद है कि 14 दिन के अंत तक हमारा मिशन सफलतापूर्वक पूरा हो जाएगा. उन्होंने आदित्य-L1 मिशन पर कहा कि हम बस लॉन्च के लिए तैयार हो रहे हैं. रॉकेट और सैटेलाइट तैयार हैं. हमने लॉन्च के लिए रिहर्सल पूरी कर ली है.
जानें नीलेश देसाई ने क्या कहा?
अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र (SAC) के निदेशक नीलेश एम. देसाई ने चंद्रयान-3 मिशन पर कहा कि सल्फर बहुत प्रमुख रूप में दिखाई दिया है. इससे पहले भी चंद्रमा की सतह पर सल्फर पाया गया था, लेकिन इतनी प्रमुखता से नहीं. तो, यह अवलोकन का अनोखा बिंदु है जो हमें हाल ही में मिला है. आगे का विश्लेषण अभी भी चल रहा है, लेकिन यह एक अच्छा संकेत है कि सल्फर उपलब्ध है. इसके अलावा ऑक्सीजन के निशान भी हैं, लेकिन वे हाइड्रोजन की उपलब्धता की भी तलाश कर रहे हैं, क्योंकि हाइड्रोजन और ऑक्सीजन दोनों को एक साथ रखने के बाद हम भविष्य में पानी पैदा करने के बारे में सोच सकते हैं.
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2008 में आदित्य की योजना बना ली गई थी : पूर्व वैज्ञानिक
इसरो के पूर्व वैज्ञानिक डॉ. वाई.एस. राजन ने कहा कि आदित्य की 2008 में ही पृथ्वी के निकट की कक्षा में जाने की योजना बना ली गई थी. इसरो के पास 15 साल से भी अधिक समय से अंतरिक्ष अन्वेषण की योजना है. इसरो को अंतरग्रहीय मिशनों की आगे की चुनौतियों का भी सामना करना होगा.
Source : News Nation Bureau