हैकिंग के इस दौर में अपने मोबाइल और कंप्यूटर के डाटा को ऐसे करें सिक्योर

कई बड़ी विदेशी कंपनियां भारत जैसे उभरते देशों की जनता की मनोस्थिती से लेकर उनकी हर सोशल एक्टिविटी का डेटा इक्ट्ठा कर उसको बैचने का काम भी करती हैं.

कई बड़ी विदेशी कंपनियां भारत जैसे उभरते देशों की जनता की मनोस्थिती से लेकर उनकी हर सोशल एक्टिविटी का डेटा इक्ट्ठा कर उसको बैचने का काम भी करती हैं.

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yogesh bhadauriya
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प्रतिकात्मक तस्वीर( Photo Credit : News State)

यह डिजिटल युग है इसमें सूचना ही सबकुछ है. बड़े से बड़े देश अपने से छोटे और बड़े प्रतिद्वंदी देशों की गुप्त सूचना निकालने में पैसा पानी की तरह बहा रहे हैं. कई बड़ी विदेशी कंपनियां भारत जैसे उभरते देशों की जनता की मनोस्थिती से लेकर उनकी हर सोशल एक्टिविटी का डेटा इक्ट्ठा कर उसको बैचने का काम भी करती हैं. ऐसे में आज हम आपके लिए अपने डिजिटल डेटा को सुरक्षित रखने के कुछ टिप्स लेकर आए हैं तो चलिए जानते हैं इसके बारे में..

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जानकारों के अनुसार 2020 में डिजिटल पर डिपेंडेंसी और भी बढ़ जाएगी. नेट बैंकिंग हो या फिर जरूरी ट्रांजक्शन, हर काम के लिए लोग मोबाइल को ही चुनते हैं. या यूं कहें कम्प्यूटर और लैपटॉप की जगह लोगों के सभी काम मोबाइल से ही पूरे होते हैं. ट्रांजक्शन हो या फिर कोई और पैमेंट, सब कुछ मोबाइल के जरिए ही पूरा हो रहा है. इतना ही नहीं अब लोगों का जरूरी डाटा भी मोबाइल में सेव किए जा रहे हैं. इस चक्कर में लोगों के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म जितना आसान हुआ है, उतनी ही मुश्किलें भी बढ़ी हैं. इसके चलते जरूरी डाटा चोरी होने से लेकर पर्सनल इन्फॉर्मेशन भी लीक हो रही है. इसका एक बड़ा कारण जहां लोगों द्वारा अधिक से अधिक एप्लिकेशन का डाउनलोड किया जाना है. वहीं प्राइवेसी के लिए सिक्योरिटी सॉफ्टवेयर का उपयोग न करना है.

एक्सपर्ट का कहना है कि डाटा स्टोरेज के लिए आजकल हर कोई मोबाइल पर भरोसा करता है, लेकिन सबसे ज्यादा डाटा लीकेज का खतरा मोबाइल से ही होता है. इसके लिए जरूरी है कि अलग-अलग एप्स का इंस्टॉलेशन कम हो. क्योंकि हर एप्लिकेशन इंस्टॉलेशन के बाद आई एग्री का ऑप्शन मांगता है, जिसे यस करते ही सभी तरह की जानकारी एप में स्टोर हो जाती है.

इन बातों का भी रखें विशेष ध्यान

  • वॉट्सएप और फेसबुक पर आने वाली अनजानी लिंक, फाइल, म्यूजिक और वीडियो को ओपन न करें.
  • किसी भी एप का इस्तेमाल बेहद जरूरी होने और रेटिंग के अनुसार ही करें.
  • समय-समय पर बदलते रहें अपने फोन का पासवर्ड.
  • कम्प्यूटर पर माइक्रोसॉप्ट बिट लॉकर और फोल्डर लॉक जैसे सॉफ्टवेयर इंस्टॉल करें.
  • कार्ड के कोड, एटीएम पिन की जानकारी और अन्य जरूरी पासवर्ड को मोबाइल में सेव न करें.
  • स्मार्टफोन पर सिक्योर माय डाटा के साथ समय-समय पर एंटी वायरस एप भी रन करना चाहिए, जिससे मालवेयर और रिस्की लिंक ऑटो डिलीट हो जाती हैं.

Source : News State

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