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सरकार की विनिवेश नीति 'परिवार के गहने बेचने' जैसा नहीं : वित्त मंत्री

1 फरवरी को अपना तीसरा बजट पेश करने वाली वित्त मंत्री ने कहा कि सामरिक क्षेत्र पूरी तरह से सरकार के अधीन नहीं रहेंगे और निजी क्षेत्र के उद्योगपतियों को भी अनुमति दी जाएगी. वित्त वर्ष 2021-22 के लिए बजट पेश करते हुए सीतारमण ने प्रस्ताव दिया था.

Updated on: 07 Feb 2021, 05:19 PM

नई दिल्ली\मुंबई:

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सितारमण ने कहा है कि सरकार की नई विनिवेश नीति, जिसमें पब्लिक सेक्टर के दो बैंकों के निजीकरण का प्रस्ताव शामिल है, 'परिवार के गहने बेचने' जैसा नहीं है. सीतारमण ने रविवार को यहां एक कार्यक्रम में कहा कि सरकार का ध्यान सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) को मजबूत करना है और यह सुनिश्चित करना है कि वे पेशेवर रूप से खुद को चलाएं. उन्होंने कहा, इसे सही नजरिए से देखा जाना चाहिए. यह वैसा नहीं है, जैसा कि विपक्ष कहता है कि 'परिवार के गहने बेचना' जैसा. परिवार के गहने आपकी ताकत होने चाहिए. बैंकिंग क्षेत्र पर उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास के लिए, देश को भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) जैसा या उसके आकार जैसा कम से कम 20 बैंकों की जरूरत है. उन्होंने दोहराया कि रणनीतिक क्षेत्रों में सरकार की कम से कम मौजूदगी होगी और वहीं होगी जहां सरकार का बने रहना बहुत जरूरी है.

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1 फरवरी को अपना तीसरा बजट पेश करने वाली वित्त मंत्री ने कहा कि सामरिक क्षेत्र पूरी तरह से सरकार के अधीन नहीं रहेंगे और निजी क्षेत्र के उद्योगपतियों को भी अनुमति दी जाएगी. वित्त वर्ष 2021-22 के लिए बजट पेश करते हुए सीतारमण ने प्रस्ताव दिया था कि आईडीबीआई बैंक के साथ-साथ अगले वित्तीय वर्ष में सार्वजनिक क्षेत्र के 2 बैंक विनिवेश के लिए तैयार होंगे. आगामी वित्तीय वर्ष में एक बीमा कंपनी का भी निजीकरण किया जाएगा.

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कांग्रेस में मुंबई में महंगाई पर किया विरोध प्रदर्शन

वहीं, मुंबई कांग्रेस ने रविवार को पेट्रोल, डीजल की बढ़ती कीमतों और भागती हुई महंगाई दर को लेकर विरोध प्रदर्शन किया. उनका मानना है कि केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी की बनाई हुई नीतियों के चलते आम जनता पर इनका बोझ पड़ा है. यहां दादर में स्वामीनारायण मंदिर के पास विरोध प्रदर्शन किया गया, जहां वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण केंद्रीय बजट 2021-2022 को पेश करने के बाद पहली बार मुंबई के कॉपोर्रेट, व्यापारिक नेताओं, उद्योगपतियों और उद्योग संघों को संबोधित करने के लिए पहुंची हुई थीं.

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पार्टी के नेता-मंत्रियों, विधायकों और वार्ड प्रमुखों जैसे प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व करते हुए मुंबई क्षेत्रीय कांग्रेस समिति (एमआरसीसी) के अध्यक्ष भाई जगताप ने कहा कि केंद्र में कांग्रेस के 65 वर्ष के शासनकाल में पेट्रोल की कीमतों में केवल 65 रुपये तक का ही इजाफा हुआ था, लेकिन भाजपा ने केवल सात सालों में इसे 94 रुपये तक लाकर खड़ा कर दिया.

उन्होंने आगे कहा, इसी तरह रसोई गैस की कीमतें जो 2014 में बमुश्किल 390 रुपये थीं, लगभग दोगुनी 719 रुपये हो गई है. इससे आम लोगों के घरों का बजट बिगड़ रहा है, लोग दिक्कतों का सामना कर रहे हैं. जगताप और अन्य नेताओं ने सीतारमण से मिलने का अनुरोध किया ताकि उनकी तरफ से एक पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल उनके साथ बजट पर चर्चा कर सके, लेकिन उन्हें मना कर दिया गया.