प्रचार के लिए 30 जनवरी बाद ढील के संकेत, आज चुनाव आयोग की बैठक
आयोग भी मानता है कि उन्हें अवसर तो देना ही होगा, लेकिन इसके साथ ही सतर्कता बरतनी भी जरूरी है. चूंकि यह विधानसभा चुनाव है इसलिए प्रचार के लिए एक हफ्ते की छूट पर्याप्त मानी जा रही है.
highlights
- जनवरी के अंत तक बढ़ सकता है प्रचार पर लगा प्रतिबंध
- एक फरवरी से हफ्ते भर के लिए मिल सकती है अनुमति
- राज्यों के उच्चाधिकारियों संग आयोग की बैठक आज
नई दिल्ली:
कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर के बीच सुरक्षित विधानसभा चुनाव और राजनीतिक दलों को प्रचार के अवसर पर विचार-विमर्श तेज हो गया है. इस कड़ी में केंद्रीय चुनाव आयोग की चुनाव वाले राज्यों के उच्चाधिकारियों से शनिवार को अहम बैठक होने जा रही है. हालांकि सूत्र बता रहे हैं कि हर चरण में एक हफ्ते तक प्रचार की छूट देने के विकल्प पर विचार संभव है. अगर सभी के बीच आम सहमति बन गई तो 22 जनवरी तक पांच राज्यों में लगे प्रतिबंध को जनवरी के अंत तक बढ़ाया जा सकता है. उसके बाद पहले चरण वाले क्षेत्रों में प्रचार की अनुमति दी जा सकती है. यह छूट चरणबद्ध तरीके से दी जाएगी ताकि पूरे प्रदेश में भीड़ न इकट्ठी हो.
आयोग के पास विकल्प हैं कम
गौरतलब है कि चुनाव आयोग ने कोरोना संक्रमण की स्थिति की समीक्षा के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय सहित राज्यों के स्वास्थ्य प्रमुखों व विशेषज्ञों की उच्चस्तरीय बैठक बुलाई है. इस बीच कुछ राज्यों में कोरोना संक्रमण के मामले कम हो रहे हैं तो कुछ राज्यों में तेजी से बढ़ रहे हैं. आयोग के सूत्रों के अनुसार उम्मीदवारों को जनता तक पहुंच अपनी बात रखने, उन्हें समझाने और अपनी घोषणाओं से अवगत कराने का हक है. ऐसे में आयोग भी मानता है कि उन्हें अवसर तो देना ही होगा, लेकिन इसके साथ ही सतर्कता बरतनी भी जरूरी है. चूंकि यह विधानसभा चुनाव है इसलिए प्रचार के लिए एक हफ्ते की छूट पर्याप्त मानी जा रही है.
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फिर भी जल्दबाजी में निर्णय नहीं लेगा आयोग
विधानसभा चुनावों को लेकर आयोग की तैयारी के मद्देनजर पहले चरण का चुनाव 10 फरवरी को है. ऐसे में अगर एक फरवरी से भी उम्मीदवारों को प्रचार की छूट मिले तो आठ फरवरी की शाम तक प्रचार कर सकते हैं. वैसे भी आयोग ने बंद कमरे में अधिकतम 300 लोगों की बैठक करने का छूट पहले दिन से दे रखी है. ऐसे में छोटी बैठकें आयोजित करने में प्रत्याशियों को कोई परेशानी नहीं है. हालांकि चुनाव आयोग ने रोड शो और रैलियों पर प्रतिबंध का एलान चुनावों की घोषणा के साथ ही कर दिया था. पहले पहल यह प्रतिबंध सिर्फ 15 जनवरी तक के लिए था, लेकिन स्थिति की समीक्षा के बाद आयोग ने इसे 22 जनवरी तक बढ़ा दिया था. इस क्रम में यह भी उतना ही सच है कि जिन मानकों के आधार पर आयोग ने प्रतिबंधों को आगे बढ़ाया था, उनमें अभी कोई बड़ा सुधार नहीं दिख रहा है. पिछले चुनावों में आयोग इस मुद्दे फजीहत करा चुका है. ऐसे में अब निर्वाचन आयोग जल्दबाजी में कोई निर्णय लेने के मूड में नहीं है.
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