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55 साल के हुए अमित शाह, दिलचस्प रहा शेयर ब्रोकर से 'राजनीति के चाणक्य' बनने का सफर

22 अक्टूबर 1964 को मुंबई में जन्में अमित शाह को राजनीति विरासत में नहीं मिली बल्कि वो अपनी काबिलियत और कुशलता से इसके शहंशाह बने

Updated on: 22 Oct 2019, 09:11 AM

नई दिल्ली:

मौजूदा राजनीति के चाणक्य माने जाने वाले गृह मंत्री अमित शाह आज यानी 22 अक्टूबर को 55 साल के हो गए हैं. किसी वक्त पर शेयर ब्रोकर रहने वाले अमित शाह आज देश के गृहमंत्री पद की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. उनका ये सफर अपने आप में खास है जिसे जानना बेहद दिलचस्प होगा.

22 अक्टूबर 1964 को मुंबई में जन्में अमित शाह को राजनीति विरासत में नहीं मिली बल्कि वो अपनी काबिलियत और कुशलता से इसके शहंशाह बने. पढ़ाई के बाद उन्होंने अपने करियर की शुरुआत स्टिक के पाइप का कारोबार संभालने से की. इसके बाद स्टॉक मार्केट में शेयर ब्रोकर के तौर पर भी काम किया. वह 16 साल की आयु में ही आरएसएस से जुड़ गए थे और अखिल विद्यार्थी परिषद् (ABVP) के कार्यकर्ता बन गए. वह आरएसएस से 1980 में जुड़े और महज दो साल के अंदर ABVP की गुजरात ईकाई के संयुक्त सचिन बन गए.

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पीएम मोदी से मुलाकात

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनकी मुलाकात 1986 में हुई थी और तभी से दोनों में दोस्ती हो गई. अमित शाह ने सक्रिया राजनीति की शुरुआत 1987 से बीजेपी की युवा इकाई भारतीय जनता युवा मोर्चा (BJYM) में शामिल होने से की. इसके बाद वह BJYM में राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष नियुक्त गए औऱ 1989 में अहमदाबाद के सचिव बन गए.

आडवाणी से परिचय

अमित शाह ने राम जन्मभूमि आंदोलन में जमकर प्रचार प्रसार किया. इस दौरान उनकी मुलाकात लाल कृष्ण आडवाणी से हुई. आडवाणी उस समय गांधीनगर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे थे. अमित शाह ने इसी के बाद से 2009 तक आडवाणी के चुनाव संयोजक की जिम्मेदारी निभाई.

इसके बाद अमित शाह 1995 में गुजरात प्रदेश वित्त निगम के अध्यक्ष बने और 1997 में पहली बार गुजरात के सरखेज विधानसभा से चुनाव लड़ा औऱ भारी वोटों से जीत हालिस की. अमित शाह की कुशलता को देखते हुए उन्हें 1998 में बीजेपी की गुजरात ईकाई का प्रदेश सचिव बना दिया गया और 1999 में प्रदेश उपाध्यक्ष के पद पर नियुक्त कर दिया गया.साल 2002 में अमित शाह ने पहली बार गुजरात सरकार में मंत्री पद की शपथ ली. इसके बाद उऩ्होंने गृह मंत्रालय, ट्रांसपोर्ट, निषेध, संसदीय कार्य जैसे मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाली.

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जब फर्जी एनकाउंटर केस में जेल पहुंच गए अमित शाह

एक तरफ जहां अमित शाह एक बाद एक सीढ़ी को पार करते हुए अपने राजनीति करियर में ऊपर उठ रहे थे तो वहीं दूसरी तरफ वो कई परेशानियों का सामना भी कर रहे थे. अमित शाह के जीवन में सबसे बड़ा मोड़ तब आय़ा जब फर्जी एनकाउंटर के मामले में उन्हें 2010 में जेल भेज दिया गया. हालांकि इसके बाद 2015 में CBI की एक विशेष अदालत ने इस एनकाउंटर केस में अमित शाह को बरी कर दिया.

पहले पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और फिर गृहमंत्री

इसके बाद अमित शाह को 2014 में राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया और उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया गया जहां से बीजेपी ने 71 सीटों के साथ ऐतिहासि जीत दर्ज की.

इसके बाद 2014 में ही अमित शाह को राष्ट्रीय पार्टी अध्यक्ष बना दिया गया. 2019 में दूसरी बार भी जब पीएम मोदी की सरकार आई तो उन्हें गृह मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंप दी गई. गृहमंत्री बनते ही अमित शाह ने कई बड़े फैसले लेकर इतिहास रच दिया. इनमें जम्मू-कश्नीर से अनुच्छेद 370 हटाना और तीन तलाक पर कानून भी शामिल है.