Dilip Kumar Story: हिंदी सिनेमा के महान एक्टर दिलीप कुमार सिर्फ एक बेहतरीन कलाकार ही नहीं थे, बल्कि एक जागरूक नागरिक भी थे. जी हां, उन्होंने भारत की आजादी के संघर्ष को करीब से देखा और उसमें हिस्सा भी लिया. फिल्मों में अपनी संजीदा अदाकारी और गंभीर किरदारों के लिए मशहूर दिलीप कुमार का असली जीवन भी किसी फिल्म से कम नहीं रहा. तो चलिए आज हम आपको बताते हैं बेहतरीन एक्टर दिलीप कुमार के जीवन से जुड़ा एक ऐसे किस्से के बारे में, जो शायद ही आपको मालूम होगा.
ब्रिटिश विरोधी भाषण देने पर हुई थी गिरफ्तारी
11 दिसंबर 1922 को पाकिस्तान के पेशावर में जन्मे दिलीप कुमार का असली नाम मोहम्मद यूसुफ खान था. उनकी आत्मकथा ‘The Substance and the Shadow’ में उन्होंने इस घटना का ज़िक्र काफी डिटेल में किया है. दिलीप कुमार ने लिखा कि एक बार उन्होंने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ ओजस्वी भाषण दिया था, जिसकी वजह से पुणे के यरवडा जेल में उन्हें बंद कर दिया गया था.
उन्होंने बताया, 'ब्रिटिश-विरोधी भाषण देने के कारण मुझे यरवडा जेल में डाल दिया गया था, जहां कई अन्य सत्याग्रही भी कैद थे.' जेल में उन्हें 'गांधीवाला' कहकर पुकारा गया, जैसा कि उस समय स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के लिए आमतौर पर कहा जाता था.
भूख हड़ताल में भी हुए शामिल
दिलीप कुमार ने आत्मकथा में आगे लिखा कि जेल में उन्होंने अन्य कैदियों के साथ भूख हड़ताल में भी हिस्सा लिया था. ये उनका अपने देश के लिए समर्पण और स्वतंत्रता संग्राम के प्रति भावनात्मक जुड़ाव दिखाता है. हालांकि, उन्होंने सिर्फ एक ही रात जेल में बिताई, क्योंकि अगले दिन उनकी जान-पहचान के एक मेजर उन्हें छुड़ाने आ गए थे.
महान कलाकार को खो दिया
वहीं आपको बता दें कि दिलीप कुमार ने अपने करियर में ‘मुगल-ए-आजम’, ‘गंगा जमुना’, ‘नया दौर’, ‘क्रांति’ जैसी एक से बढ़कर एक फिल्में दीं. भारतीय सिनेमा में उनके योगदान को सदियों तक याद किया जाएगा. बता दें, 7 जुलाई 2021 को 98 वर्ष की उम्र में उनका मुंबई के पी. डी. हिंदुजा अस्पताल में निधन हो गया था. उनके जाने से फिल्म जगत और देश ने एक महान कलाकार और एक संवेदनशील नागरिक को खो दिया.
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