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सुशांत केसः 14 जून को क्या-क्या हुआ, सिद्धार्थ पिठानी ने खोला हर राज

सुशांत सिंह राजपूत के दोस्त सिद्धार्थ पिठानी ने मुंबई पुलिस को दिए अपने बयान में बताया कि कैसे वह सुशांत के घर रहने गया. उसने बताया कि सुशांत की तबियत खराब रहने लगी थी. सुशांत और रिया के बीच झगड़ा भी होता था.

Updated on: 25 Aug 2020, 12:36 PM

मुंबई:

सुशांत सिंह राजपूत के दोस्त सिद्धार्थ पिठानी ने मुंबई पुलिस को दिए अपने बयान में बताया कि मैं बांद्रा के माउंट ब्लैंक बिल्डिंग में 20 जनवरी 2020 को सुशांत सिंह राजपूत के साथ रहने के लिए आया. मेरा मूल गांव धनवर्षा हैदराबाद में है, जहां मेरे पिता रामना मूर्ति माता शोभा और बहन वर्षा रहते हैं। मेरे पिता लोगो डिजाइन और ग्राफिक्स पेंटिंग का काम करते हैं। यह व्यवसाय वह घर से ही करते हैं. मेरी पहली से दसवीं तक की शिक्षा भाष्यम पब्लिक स्कूल और 11वीं 12वीं की शिक्षा चैतन्य जूनियर कॉलेज में हुई है. मुझे फिल्मों में एनिमेशन और डायरेक्शन की चाहत थी इसलिए मैंने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन में एडमिशन लिया. फिल्म और वीडियो कम्युनिकेशन इसका प्रशिक्षण लेने के लिए अहमदाबाद गया. यह कोर्स साढ़े 4 सालों का था. इस दरमियान मैं फ्री लांसिंग भी कर रहा था.

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2017 में में सैक्रेड फिग डिजाइन इस कंपनी में क्रिएटिव डायरेक्टर के तौर पर काम करने लगा. यहां पर मेरी तनख्वाह 40 हजार रुपये प्रति माह थी. यहां पर वीडियो बनाना और डायरेक्शन करना इत्यादि मेरे काम होते थे. मेरे मातहत तीन लोग थे और यह काम मैं जयपुर से कर रहा था. यहां पर काम करते हुए 2018 में मेरी मुलाकात आयुष शर्मा से हुई. मैं आयुष से मोबाइल पर लगातार संपर्क में रहता था. आयुष और सुशांत सिंह राजपूत अच्छे दोस्त थे. मुंबई आने पर मुझे अनेक तरह के काम मिलेंगे ऐसा मुझे आयुष ने बताया था. मुंबई आने पर मेरे रहने की व्यवस्था भी कर दी जाएगी ऐसा मुझे बताया गया था. अप्रैल 2019 में मैं जयपुर से मुंबई चला आया. आयुष ने मेरी रहने की व्यवस्था मुंबई में बांद्रा के एक होटल में की थी. होटल पहुंचकर मैंने आयुष को फोन लगाया और दूसरे दिन कैप्री हाइट नाम की बिल्डिंग में सुशांत सिंह राजपूत से मुलाकात होगी ऐसा निश्चित हुआ था.

अगले दिन मैं और आयुष सुशांत के घर गए. उस समय सुशांत के घर दीपेश सावंत, सैमुअल होपकीप, अब्बास, अशोक, केशव और दो अनजान लोग थे. सुशांत 15 और 16 वें मंजिल पर रहते थे. इस फ्लैट में 5 बैडरूम 2 हॉल एक किचन और घर में ही लिफ्ट हुआ करती थी. उसी दिन सुशांत की मैनेजर आकांक्षा ने मुझे बताया मुझे सुशांत के 150 ड्रीम्स इस प्रोजेक्ट के लिए बुलाया गया है. इस प्रोजेक्ट में सुशांत सिंह राजपूत, आकांक्षा और मैं थे. इस ड्रीम में समाज सेवा, शिक्षण, महिला उद्योग, नेत्रहीन बच्चों को कंप्यूटर सिखाना फेडरर के साथ टेनिस खेलना और क्रिकेट खेलना शामिल था.

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कुछ दिनों के बाद सुशांत में मुझे और आयुष को अपने घर पर साथ में रहने के लिए बुला लिया. उस समय मेरी समझ में आया कि प्रियंका हर समय नौकरों के साथ झगड़े करती थी. इसी वजह से अब्बास और दीपेश भी घर छोड़ कर जा चुके थे. इस फ्लैट में सुशांत सिंह राजपूत,सैमुअल होपकीप और खाना बनाने वाले अशोक और केशव और उनके साथ ही साफ सफाई करने वाले दो और लोग रहते थे. यहां रहते हुए मैं सुशांत सिंह के जुड़े कंप्यूटर पर एडिटिंग करने का काम करता था. यही काम में उनके पावना डैम वाले फार्महाउस पर भी करता था. हम 20 दिन बांद्रा में तो 10 दिन पावना डैम के पास वीडियो एडिटिंग और रिकॉर्डिंग का काम किया करते थे.

सुशांत के कैप्री हाइट्स वाले घर में उन्हें भूत प्रेत होने का आभास हो रहा था. सुशांत वह घर छोड़ना चाहते थे. सुशांत को हमेशा लगता था कि उस घर के गेस्ट हाउस में कोई तो रहता है. जब रिया और उसका भाई शोभिक वहां पर रहने आए तब उनको भी इसी किस्म का आभास हुआ और इसी वजह से सुशांत केपी हाइट्स छोड़ने का मन बनाने लगे थे.

सुशांत के घर सैमुअल होपकीप भी रहता था जो उनके घर के काम करता था. एक बार सुशांत ने जब घर खर्च का हिसाब उस से मांगा तो वह दे न सका और इस वजह से सुशांत ने उसे खूब डांट लगाई थी. उसके बाद वह घर छोड़कर चला गया. इसके बाद सुशांत भी दुखी हुए थे. जिसके बाद जून 2019 में सुशांत, रिया, आकांक्षा, आनंदी, आयुष और आयुष का दोस्त हिमांशु लद्दाख गए थे. उसके बाद सुशांत में आकांक्षा की जगह आनंदी को अपना सेलिब्रिटी मैनेजर बना दिया था.

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सुशांत जब अपने घर पर बेचैन रहने लगे तो वह वॉटर स्टोन रिसॉर्ट में एक स्वीट लेकर रहने लगे सुशांत के पास वॉटर स्टोन रिसॉर्ट की मेंबरशिप थी. यहां पर वह जिम स्विमिंग बैडमिंटन और ट्रेनिंग करते थे. कैपरी हाइट्स में सुशांत को रहना अच्छा नहीं लगता था तो वह वाटर स्टोन और पावना डैम के फार्म हाउस पर हमारे साथ ज्यादा वक्त गुजारने लगे थे और वह खुद पर और हम पर बहुत ज्यादा खर्च भी करने लगे थे. सुशांत को उसी समय टाइटन और बाटा किड्स मिले और उस पर मैं और सुशांत साथ में काम कर रहे थे. सुशांत जहां-जहां काम के सिलसिले में जाते थे वहां वहां मैं उनका बॉडीगार्ड साहिल और उनके मैनेजर साथ में होते थे.

अगस्त और सितंबर 2019 में सुशांत का अपने काम पर कम ध्यान रह गया था और वह अपनी दोस्त रिया चक्रवर्ती के साथ ज्यादा वक्त गुजारने लगे थे. वह 150 ड्रीम्स से भी दूर होते जा रहे थे. वाटर स्टोन के डबल बैडरूम स्वीट में वह अकेले ही रहने लगे थे. इसी दरमियान उनके ड्रीम प्रोजेक्ट के सिलसिले में वह हमसे कम और रिया से ज़्यादा चर्चा किया करते थे. इसी वजह से मैं और आयुष दोनों ही उन्हें छोड़कर दोबारा हॉस्टल में रहने चले गए. पिताजी का व्यवसाय ठीक से ना चलने की वजह से पैसों की दिक्कत आ रही थी. इसी वजह से मैं वापस हैदराबाद चला गया मैंने सुशांत को बताया था कि वहां का काम निपटा कर मैं वापस मुंबई आऊंगा.

मेरे हैदराबाद जाने के बाद मुझे इनोरा इंडिया नाम की कंपनी में क्रिएटिव डायरेक्टर की नौकरी मिल गई यहां पर मुझे 45 हजार रुपये तनख्वाह मिलती थी उसी दरमियान सुशांत और रिया यूरोप के टूर पर चले गए, ऐसा मुझे पता चला. जनवरी 2020 के दूसरे सप्ताह में मुझे सुशांत सिंह का फोन आया और उन्होंने मुझे बताया कि वह एक्टिंग छोड़ कर उनके ड्रीम 150 प्रोजेक्ट पर काम करना चाहते हैं क्योंकि उनकी मानसिक स्थिति अब ठीक नहीं है. मेरी अभी अभी नौकरी लगी है जब मैंने ऐसा बताया तब उन्होंने मुझे पगार देने की भी बात कही जिसके बाद मैं अहमदाबाद से सुशांत सिंह के माउंट ब्लैंक वाले घर पर रहने चलाया. सुशांत अपने बेडरूम में थे मुझे देखते ही उन्होंने मुझे गले लगाया और रोने लगे और उन्होंने मुझे बताया कि मैं एक्टिंग छोड़ कर अपने घर के सारे सामान बेचकर पवना डैम वाले फार्म हाउस पर शिफ्ट होने जा रहा हूं और आने वाले दिनों में 30 हजार रुपये प्रति महीने में हमें घर चलाना है. पावना डैम में हम खेती करेंगे ऐसा मुझे बताया गया.

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जब मैंने रिया के बारे में पूछा तो सुशांत में रोना शुरू कर दिया और कहा कि सब लोग मुझे छोड़ कर चले गए मैं आपके साथ रहूंगा. यह कहकर मैंने उन्हें शांत किया वह घर दिसंबर 2019 में लिया गया था ऐसा मुझे पता चला हाउस मैनेजर मिरिंडा से जब मैंने पूछताछ की तब मुझे पता चला रिया चक्रवर्ती सुशांत के क्रेडिट कार्ड पर खूब शॉपिंग करती हैं. घर के सामान भी धीरे-धीरे बेचे जा रहे थे. हाउस मैनेजर सैमुएल मिरांदा और श्रुति मोदी ये दोनों सवेरे 10 बजे आते थे और शाम को 6 बजे चले जाते थे. एक दिन रितेश ही वापस आ गया और रिया भी वापस आ गई और वह घर की छोटी-छोटी बातों पर नजर रखने लगी थी ओरिया ने हमको बताया कि मुझे और दीपेश को ही सुशांत का ख्याल रखना है.

जनवरी के आखिरी हफ्ते में सुशांत सिंह चंडीगढ़ में रहने वाली उनकी बहन के पास जाना चाहते थे. इस वजह से मैं सुशांत सिंह बहन नीतू और उनका बॉडीगार्ड साहिल सागर यह एक रेंज रोवर कार से चंडीगढ़ के लिए निकले और तीसरे दिन पहुंच गए सफर में हमने अहमदाबाद और गुड़गांव में रात को हॉल्ट लिया था. गुड़गांव में सुशांत सिंह को सांस लेने में तकलीफ होने लगी थी और वह टेंशन की वजह से घबराए हुए से लग रहे थे. इसी वजह से मैंने डॉक्टर चावड़ा की दवाइयां उन्हें दी थी जिसके बाद सुशांत को ठीक लगने लगा था.

अगले दिन सुशांत की बहन ने मुझे फोन किया और सुशांत के बारे में काफी कुछ पूछा मैंने मुंबई मैं हो रही सभी बात उनको बताई और डॉक्टर केरसी चावड़ा की दी हुई दवाइयों का डिब्बा भी मैंने उनकी बहन को दे दिया और वापस गेस्ट हाउस में रहने चले गए उसके अगले दिन सुशांत ने मुझे फोन किया और हम मुंबई के लिए निकलना है. ऐसा बताया जब मैं सुशांत के घर पहुंचा तब उनकी तबीयत ठीक थी. ऐसा उनके चेहरे से पता चल रहा था. उसके बाद सुशांत की तबीयत का ख्याल रखने की बात कही और उसके बाद मैं सुशांत और बॉडीगार्ड साहिल और ड्राइवर मुंबई के लिए निकल गए.

मुंबई लौटने के बाद में सुशांत को डॉक्टर चावड़ा की दी हुई दवाइयां समय पर दे रहा था. सुशांत भी नियमित कामकाज में जुट गए थे. पहले की तरह सुशांत को ठीक भी लगने लगा था. इसके बाद सुशांत रिया के साथ रहने लगे उसी दौरान निर्देशक आनंद गांधी और रूमी जाफरी उन्होंने सुशांत को फिल्मों की औषधि सुशांत को अच्छा लग रहा था. इसी वजह से उन्होंने कहा कि अब वह दवाइयां बंद करना चाहते हैं. मैंने उन्हें समझाया की दवाइयां बंद करना ठीक नहीं होगा. अप्रैल के आखिरी सप्ताह में सुशांत की तबीयत फिर से खराब होने लगी. वह फिर हमसे दूर जाने लगे लेकिन उस समय रिया उनके साथ थी. जून के पहले सप्ताह में सुशांत की तबीयत और बिगड़ गई और वह अपने बेडरूम में अकेले रहने लगे. उन्होंने हमसे बोल चाल भी बंद कर दी थी. इसी वजह से हमने रिया और सुशांत को अकेला छोड़ दिया. लॉकडाउन में रिया और सुशांत एक साथ रह रहे थे.

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8 जून 2020 को सवेरे 11:30 बजे रिया उसका बैग लेकर घर छोड़ कर चली गई. रिया ने मुझे सुशांत का ख्याल रखने के लिए कहा था. उस समय सुशांत ने रिया को गले लगाया और बाय किया. थोड़ी देर के बाद सुशांत की बहन मीतू घर पहुंची. मीतू दीदी सुशांत को खाने के लिए फोर्स कर रही थी लेकिन सुशांत में ज्यादा खाना खाया नहीं. वह सुशांत को हमसे बातचीत करने के लिए कह रही थी लेकिन उसमें सुशांत ने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई. मीतू दीदी के घर पर रहते हुए सुशांत पुरानी बातों को याद करके बार-बार रो पड़ता था. उसी समय सुशांत को दिशा के मौत की बात पता चली. वह सुनकर सुशांत अस्वस्थ हो गया उसके बाद सुशांत में कॉर्नर स्टोन नाम की कंपनी के मैनेजर उदय से बराबर बात की. श्रुति मोदी के पांव में चोट लगने की वजह से इस कंपनी ने सुशांत के सेलिब्रिटी मैनेजर के तौर पर कुछ दिन दिशा को भेजा था. 9 जून को दिशा के आत्महत्या के बाद सुशांत के सेलिब्रिटी मैनेजर की आत्महत्या की खबर से सुशांत बेहद तनाव में आ गए थे और इसी तनाव की वजह से उन्होंने मुझे उनके बेडरूम में आकर सोने के लिए कहा और कहा कि दिशा के मृत्यु के बारे में एक-एक जानकारी वह उनको बताते रहे मैंने उन्हें हर जानकारी दी.

12 जून की शाम को मीतू दीदी ने अपनी बेटी के कारण घर जाने की इच्छा जताई और मैंने उनके लिए ड्राइवर की व्यवस्था कर दी थी. 13 जून को अपने मोबाइल फोन से ही सुशांत सिंह ने कुछ बिल्स का पेमेंट भी किया था. उस समय मैंने सुशांत की मदद की थी. उस शाम को सुशांत सिंह ने सिर्फ मैंगो शेक लिया था लेकिन उन्होंने खाना नहीं खाया.

14 जून 2020 को 10:00 से 10:30 के दरमियान मैं हॉल में था और सिस्टम पर गाने सुन रहा था उसी समय केशव मेरे पास आया और बताया कि सुशांत सिंह दरवाजा नहीं खोल रहे हैं उसके बाद मैंने खुद सुशांत सिंह का दरवाजा खटखटाया लेकिन सुशांत सिंह ने दरवाजा खोला नहीं. यह बात मैंने दीपेश को बताई जिसके बाद हम दोनों ने सुशांत सिंह का दरवाजा खटखटाया लेकिन उन्होंने दरवाजा खोला नहीं. इसी दौरान मीतू दीदी का फोन भी मुझे आया और उन्होंने मुझे बताया कि वह सुशांत सिंह को फोन कर रही थी लेकिन वह फोन उठा नहीं रहा था. उस समय मैंने उन्हें बताया कि हम भी सुशांत का दरवाजा खटखटा रहे हैं लेकिन वह दरवाजा खुल नहीं रहा. मैंने मीतू दीदी को तुरंत बांद्रा वाले घर पर बुलाया हम लगातार दरवाजा खटखटा रहे थे लेकिन दरवाजा खोला नहीं गया. जिसके बाद दीपेश में सिक्योरिटी गार्ड को फोन करके चाबी वाले को बुलाने के लिए कहा लेकिन उसमें अच्छा प्रतिसाद नहीं दिया. इसी वजह से मैंने इंटरनेट पर सर्च करके रफीक लॉकस्मिथ एंड की मेकर का मोबाइल नंबर निकाला. जिस पर मैंने 1:06 को कॉल लगाया उसने मुझे बताया लॉक बनाने के लिए दो हजार रुपये लगेंगे. उसी समय मैंने लॉक का फोटो निकाल कर उसे व्हाट्सएप पर भेजें. और मैंने मीतू दीदी को भी बताया कि हमने चाबी वाले को बुला लिया है. दोपहर 1:20 पर रफीक और उसका एक साथीदार घर आकर ताला खोलने का प्रयत्न करने लगे लेकिन ताला ना खुलने पर मैंने रफीक को ताला तोड़ देने के लिए कहा रफीक ने ताला तोड़ देने के बाद मैं रफी को उसके पैसे देकर वापस जाने के लिए कह दिया.

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उसके बाद मैंने और दीपेश ने रूम में प्रवेश किया रूम में अंधकार था और इसी वजह से मैंने लाइट जलाई उस समय हमें सुशांत ने हरे रंग के कुर्ते से बेडरूम में फैन से लटककर फांसी लगा ली है ऐसा हमने देखा. उसके पैर बेड के बगल में थे और सिर खिड़की की तरफ झुका हुआ था. यह बात हमने मीतू दीदी को भी बताई. उसी समय मैंने मेरे फोन से 108 नंबर पर कॉल करके इस घटना की जानकारी दी। उसके तुरंत बाद सुशांत सिंह की चंडीगढ़ वाली दीदी का भी फोन आया और मैंने उन्हें पूरे घटना की जानकारी दी। यह खबर सुनकर उन्होंने फोन रखा इसके बाद उन्होंने मुझे दोबारा से फोन करके सुशांत अभी किधर है यह पूछा मैंने उन्हें बताया कि सुशांत अभी लटका हुआ है और उसकी मौत हो चुकी है उस समय दीदी के पीछे से उनके पति ओपी सिंह उसे नीचे उतारने के लिए कह रहे हैं ऐसा मुझे सुनाई पड़ा. दीदी ने भी मुझे सुशांत को नीचे उतारने के लिए कहा इसलिए मैंने घर काम करने वाले नीरज को चाकू लाने को कहा जिसके बाद मैं और दीपेश गद्दे पर चढ़े दीपेश ने सुशांत को पकड़ा हुआ था और मैं फंदे की सबसे ऊपरी चोर को चाकू से काटने लगा जिसके बाद दरवाजे की तरफ सिर करके सुशांत के पैर बेड के नीचे रख दिया जिसके बाद मीतू दीदी घर पर आई और उन्होंने मुझसे पूछा कि सुशांत जिंदा है क्या और सुशांत को ठीक से बेड पर लिटाने के लिए कहा जिसके बाद मैंने दीपेश और नीरज इन तीनों ने मिलकर सुशांत के पैर को उत्तर दिशा और सिर को दक्षिण दिशा मैं रखकर लिटा दिया. जिसके बाद नीरज ने सुशांत के फंदे की गांठ छुड़ाई और कपड़ा बाजू में किया मैंने सीपीआर देने की कोशिश की लेकिन सुशांत प्रतिसाद नहीं दे रहे थे इसके कुछ देर बाद बांद्रा पुलिस मौके पर पहुंची.