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उत्तर प्रदेश: जिला महिला अस्पताल में संक्रमण से 32 बच्चों की मौत

बदायूं के महिला जिला अस्पाताल के स्पेशल न्यू बॉर्न केयर यूनिट (Special Newborn Care Unit) में पिछले 50 दिनों में 32 बच्चों की जान चली गई है.

बदायूं के महिला जिला अस्पाताल के स्पेशल न्यू बॉर्न केयर यूनिट (Special Newborn Care Unit) में पिछले 50 दिनों में 32 बच्चों की जान चली गई है.

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Yogendra Mishra
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उत्तर प्रदेश: जिला महिला अस्पताल में संक्रमण से 32 बच्चों की मौत

प्रतीकात्म फोटो

इसको सिस्टम की लापरवाही ही कहा जाएगा कि जिला महिला अस्पताल का स्पेशल न्यू बॉर्न केयर यूनिट (Special Newborn Care Unit) नवजातों की कब्रगाह बन गया है. पिछले 50 दिनों में अब तक 32 नवजात बच्चों की मौत हो चुकी है. इतना सब कुछ हो जाने के बाद भी महकमे की कुम्भकर्णी नींद नहीं टूटी है और सब पल्ला झाड़ने में लगे हुए हैं.

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मामला बदायूं (Budaun News) जिले के महिला अस्पताल में बने स्पेशल न्यू बॉर्न केयर यूनिट (Special Newborn Care Unit) का है. यहां संक्रमण फैलने से पिछले पचास दिनों में लगभग 32 बच्चों की मौत हो चुकी है और अभी भी लगभग 23 बच्चे जिंदगी-मौत के बीच जूझ रहे हैं. जिनमें से अधिकतर बच्चों को अन्य अस्पतालों में रेफर किया जा रहा है. मामला संज्ञान में आने के बाद हड़कंप मचा हुआ है.

प्रशासन ने बताया सभी बच्चे थे कुपोषित

इस बारे में प्रभारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी मंजीत सिंह से ने बताया कि अब तक जिन बच्चों की मौतें हुई हैं उनमें से सभी नवजात कुपोषण के शिकार थे और उनका बजन बहुत कम था. आमतौर पर जो बच्चे बहुत कम वजन के होते हैं उनको बचाया जाना बहुत मुश्किल होता है.

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उन्होंने किसी प्रकार के संक्रमण से नवजात बच्चों की मौत होने से इनकार करते हुए बताया कि स्पेशल न्यू बॉर्न केयर यूनिट (Special Newborn Care Unit) में किसी तरह का संक्रमण नहीं फैला था. जो भी मौतें हुई हैं वे नवजात कुपोषण के शिकार थे या अविकसित थे.

वार्ड में फैला था संक्रमण

वार्ड में संक्रमण फैला था या नहीं, इस बारे में प्रभारी सीएमओ मंजीत सिंह और एसएनसीयू वार्ड के प्रभारी डाक्टर संदीप वार्ष्णेय के बयान में विरोधाभास है. नवजात शिशुओं की मौत के लिए वार्ष्णेय स्पेशल न्यू बॉर्न केयर यूनिट (Special Newborn Care Unit) में फैले हुए संक्रमण को जिम्मेदार बताते हैं.

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उनका कहना है कि वार्ड में संक्रमण फैला हुआ है जिसके कारण बच्चों की मौत हुई है. हर तीन साल में माइक्रो बायोलॉजिकल सर्वे होना चाहिए था जो अभी तक नहीं हुआ है. संक्रमण को जानने के लिए ब्लड कल्चर टेस्ट होना चाहिए जिसकी सुविधा अस्पताल के पास नहीं है.

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साथ ही बड़ी संख्या में नवजात बच्चों के आने से ओवरफ्लो की स्थिति आ गई है जिससे नौबत यह है कि एक एक बेड पर दो-दो बच्चो को एडमिट करना पड़ रहा है. अगर कोई संक्रमित बच्चा बाहर से आ जाता है तो दूसरे बच्चो में संक्रमण फैलना संभव है.

अभी स्पेशल न्यू बॉर्न केयर यूनिट (Special Newborn Care Unit) में 12 बेड थे जिनको बढ़ा कर 15 कर दिया गया है फिर भी हालात बिगड़ते जा रहे हैं.

जिम्मेदारी से मुकर रहे अधिकारी

कारण चाहे जो भी रहे हों लेकिन अधिकारियों का अपनी अपनी जिम्मेदारी से मुकर जाना वाकई हैरत में डालने वाला है. आला अधिकारियों की इस दलील को अगर मान भी लिया जाए कि बच्चे कुपोषित थे और जब वे गंभीर हालत में पहुंचे तो उनको समुचित उपचार क्यों नही दिया गया? इस बात को उच्चाधिकारियों से छुपाया क्यों गया? क्या एक साथ इतने बच्चे कुपोषित हो गए? ऐसे कई सारे सवाल हैं जिनके जवाब लापरवाह स्वास्थ्य विभाग के पास भी नही हैं.

HIGHLIGHTS

  • पिछले 50 दिनों में 32 बच्चों की जा चुकी है जान
  • न्यू बॉर्न केयर यूनिट में भर्ती किए गए थे बच्चे
  • संक्रमण की खबर है, लेकिन जिला प्रशासन इनकार कर रहा है

Source : News Nation Bureau

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