Eknath Shinde ने ऐसे तय किया ऑटो चालक से मुख्यमंत्री तक का सफर

शिवसेना के बागी गुट के नेता एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) को भाजपा-शिवसेना गठबंधन के अगले सीएम के रूप में चुना गया है. वह गुरुवार को शाम 7:30 बजे मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे. ऐसे में सवाल पैदा होता कि आखिर कौन हैं एकनाथ शिंदे, जानने के लिए पूरी खबर अंत तक पढ़ें.

शिवसेना के बागी गुट के नेता एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) को भाजपा-शिवसेना गठबंधन के अगले सीएम के रूप में चुना गया है. वह गुरुवार को शाम 7:30 बजे मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे. ऐसे में सवाल पैदा होता कि आखिर कौन हैं एकनाथ शिंदे, जानने के लिए पूरी खबर अंत तक पढ़ें.

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Iftekhar Ahmed
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Uddhav Thakre

Eknath Shinde ने ऐसे तय किया ऑटो चालक से मुख्यमंत्री तक का सफर( Photo Credit : File Photo)

शिवसेना के बागी गुट के नेता एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde)  को भाजपा-शिवसेना गठबंधन के अगले मुख्यमंत्री के रूप में चुना गया है. वह गुरुवार को शाम 7:30 बजे मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे. इससे पहले उन्होंने शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी के महाविकास आघाड़ी सरकार के खिलाफ बगावत कर पार्टी से अलग रास्ता इख्तियार करते हुए 48 विधायकों के साथ गुवाहाटी चले गए थे. इस दौरान जब राज्यपाल ने उद्धव ठाकरे को अल्पमत सरकार का मुखिया बताते हुए बहुमत साबित करने के लिए कहा तो इसके खिलाफ ठाकरे सुप्रीम कोर्ट चले गए, लेकिन जब सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं मिली तो बुधवार शाम को उन्होंने मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया. इस तरह शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे के लिए सीएम बनने का रास्ता साफ हो गया. अब वह महाराष्ट्र के अगले मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं. ऐसे में सवाल पैदा होता कि आखिर कौन हैं एकनाथ शिंदे, जिन्होंने उद्धव ठाकरों को भी मात देदी है. शिंदे से जुड़ी पूरी जानकारी जानने के लिए खबर को आखिर तक जरूर पढ़े कि आखिर कैसे शिंदे एक ऑटो चालक से मुख्यमंत्री की कर्सी तक पहुंच गए.

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ऑटो रिक्शा चालक से बन गए राजनीतिज्ञ
एकनाथ शिंदे का जन्म: 9 फरवरी 1964 को सतारा जिले के पहाड़ी जवाली तालुका में हुआ ता. और मराठी समुदाय से हैं. पढ़ाई के लिए शिंदे ठाणे आए. उन्होंने 11वीं तक की पढ़ाई यहीं से की, लेकिन गरीबी की वजह से आगे की पढ़ाई पूरी नहीं कर पाए. शिंदे को अपने बचपन में काफी गरीबी का सामना करना पड़ा. लिहाजा घर चलाने के लिए उन्होंने बीच में ही पढ़ाई छोड़ दी. इसके बाद परिवार चलाने के लिए उन्होंने मजदूरी शुरू कर दी. इसके बाद 16 साल की उम्र से परिवार की आर्थिक सहायता के लिए ऑटो रिक्शा चलाने लगे. इसी दौरान  उनकी मुलाकात शिवसेना नेता आनंद दिघे से हुई. यहीं से उनके राजनीतिक जीवन की शुरुआत हुई.

18 साल की उम्र में राजनीति में आए
दरअसल, एकनाथ शिंदे 1980 की दशक में बाल ठाकरे से बहुत प्रभावित थे. महज 18 साल की उम्र में ही उन्होंने राजनीतिक जीवन में कदम रख दिया था. शिंदे एक आम शिवसेना कार्यकर्ता के रूप में काम करने लगे. शिवसेना का हिस्सा बने और किसान नगर के नामित शाखा प्रमुख बनाए गए.

शिंदे ने 1997 में चुनावी राजनीति में रखा था कदम
1997 में शिंदे ने चुनावी राजनीति में कदम रखा. 1997 के ठाणे नगर निगम चुनाव में आनंद दिघे ने शिंदे को पार्षद को टिकट दिलवाया. शिंदे ये चुनाव जीत गए. 2001 में नगर निगम सदन में विपक्ष के नेता बने और 2002 में दूसरी बार निगम पार्षद का चुनाव जीते. इसके बाद शिंदे का कद साल 2001 के बाद बढ़ना शुरू हुआ. 26 अगस्त 2001 को शिंदे के राजनीतिक गुरु आनंद दीघे का एक हादसे में निधन हो गया. शिंदे के राजनीतिक गुरुआनंद दिघे के निधन के बाद ठाणे की राजनीति में शिंदे की पकड़ मजबूत होने लगी. 2005 में नारायण राणे के पार्टी छोड़ने के बाद शिंदे का कद शिवसेना में बढ़ता चला गया. जब राज ठाकरे ने पार्टी छोड़ी तो शिंदे ठाकरे परिवार के करीब आ गए.

2004 में विधानसभा चुनाव जीतकर पहली बार बने विधायक
2004 के विधानसभा चुनाव में शिवसेना ने शिंदे को ठाणे के कोपरी-पंचपखाड़ी विधानसभा सीट से टिकट दिया. शिंदे ये चुनाव जीतकर पहली बार विधायक बने. इसके बाद शिंदे ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. 2009, 2014 और 2019 में शिंदे ठाणे जिले की कोपरी-पंचपखाड़ी सीट से जीतकर विधानसभा पहुंचते रहे. देवेंद्र फडणवीस सराकर में शिंदे राज्य के लोक निर्माण मंत्री बनाए गए.  2019 के विधानसभा चुनाव के बाद शिंदे मुख्यमंत्री पद की रेस में सबसे आगे थे. चुनाव के बाद विधायक दल की बैठक में खुद आदित्य ठाकरे ने शिंदे के नाम का प्रस्ताव रखा और वह शिवसेना विधायक दल के नेता चुने गए. कांग्रेस और एनसीपी के दबाव में उद्धव ठाकरे का नाम आगे आया. इसके बाद शिंदे बैकफुट पर आ गए. उद्धव सरकार में शिंदे राज्य के शहरी विकास मंत्री होने के साथ ठाणे जिले के प्रभारी मंत्री भी रहे.

इसलिए की पार्टी से बगावत
शिंदे कांग्रेस और एनसीपी के साथ गठबंधन से खुश नहीं थे. बताया जाता है कि इसी मुद्दे पर शिंदे और उद्धव ठाकरे के बीच दूरियां बढ़ने लगी. शिंदे की संगठनात्मक कौशल और जनता से मेल-मुलाकात गजब की है. जनता से सीधा जुड़ाव शिंदे को काफी मजबूत बनाता है.

मंत्री बनने के बाद पढ़ाई पूरी की
मंत्री बनने के बाद शिंदे ने अपनी पढ़ाई फिर से शुरू की. उन्होंने वाशवंतराव चव्हाण मुक्त विश्वविद्यालय में दाखिला लिया. इसके बाद उन्होंने 2020  में मराठी और राजनीति विषयों में बीए किया.

शिंदे का पॉलिटिकल करियर
1997 में ठाणे नगर निगम के लिए पहली बार पार्षद चुने गए.
2001 में ठाणे नगर निगम में सदन के नेता चुने गए.
2002 में दूसरी बार ठाणे नगर निगम के लिए चुने गए.
2004 में महाराष्ट्र विधानसभा के लिए चुने गए.
2005 में शिवसेना के पहले विधायक बने जिन्हें ठाणे का जिला प्रमुख बनाया गया.
2009 में महाराष्ट्र विधानसभा के लिए चुने गए.
2014 में एक बार फिर विधायक बने.
अक्टूबर 2014 से दिसंबर 2014 तक विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष.
2014-19 तक PWD मंत्री , ठाणे जिले के संरक्षक मंत्री भी रहे.
2018 में शिवसेना पार्टी के नेता नियुक्त.
2019 में महाराष्ट्र लोक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री.
2019 में लगातार चौथी बार विधायक बने.
2019 में शिवसेना विधायक दल के नेता चुने गए.
28 नवंबर 2019 में महाविकास-अघाड़ी सरकार में मंत्री बने.
2019 में शहरी विकास और लोक निर्माण (सार्वजनिक उपक्रम) मंत्री नियुक्त.
2019 में गृह मामलों के मंत्री (कार्यवाहक) नियुक्त.
2020  ठाणे जिले के संरक्षक मंत्री नियुक्त.

हादसे में दो बच्चों को खोया था
जब शिंदे पार्षद हुआ करते थे, इस दौरान उनका परिवार सतारा गया हुआ था. यहां एक हादसे में उन्होंने अपने 11 साल के बेटे दीपेश और 7 साल की बेटी शुभदा को खो दिया था. बोटिंग करते हुए एक्सीडेंट हुआ था और शिंदे के दोनों बच्चे उनकी आंखों के सामने डूब गए थे. उस वक्त शिंदे के दूसरे बेटे और कलयाण लोकसभा सीट से मौजूदा सांसद  श्रीकांत सिर्फ 13 साल के थे. बच्चों की मौत की घटना के बाद शिंदे काफी टूट गए थे. इसके बाद शिंदे ने राजनीतिक जीवन से किनारा कर लिया था. इस दौर में भी आनंद दिघे ने उन्हें संबल दिया और सार्वजनिक जीवन में फिर से लेकर आए.

11 करोड़ की है संपत्ति है 18 मकदमे भी हैं दर्ज
2019 के विधानसभा चुनाव में एकनाथ शिंदे ने जो हलफनामा दिया था. उसके अनुसार उनके ऊपर कुल 18 आपराधिक मामले चल रहे हैं. शिंदे पर आग या विस्फोटक पदार्थ से नुकसान पहुंचाने, गैरकानून तरीके से इकट्ठा हुई भीड़ का हिस्सा होना, सरकारी कर्मचारी के आदेशों की अवहेलना करने जैसे आरोप हैं.  हलफनामे के मुताबिक शिंदे के पास कुल 11 करोड़ 56 लाख से ज्यादा की संपत्ति है. इसमें 2.10 करोड़ से ज्यादा की चल और 9.45 करोड़ से ज्यादा की अचल संपत्ति घोषित की गई थी. शिंदे के पास कुल छह कारें हैं. इनमें से तीन शिंदे के नाम और तीन उनकी पत्नी के नाम पर हैं. शिंदे की पत्नी के नाम पर एक टैम्पो भी है. शिंदे की छह कार के जखीरे में दो इनोवा, दो स्कॉर्पियो, एक बोलेरो और एक महिंद्र अर्मडा है.
शिंदे के पास एक पिस्टल और एक रिवॉल्वर भी है. चुनावी हलफनामे में शिंदे ने खुद को कॉन्ट्रैक्टर और बिजनेसमैन बताया है. उनकी पत्नी भी कंस्ट्रक्शन का काम करती हैं.

व्यक्तिगत जानकारी
जन्म तिथिः 9 फरवरी 1964
जन्म का नामः एकनाथ संभाजी शिंदे
राष्ट्रीयताः भारतीय
राजनीतिक दलः शिवसेना
जीवन संगिनीः लता
बच्चेः श्रीकांत शिंदे
निवासः ठाणे
व्यवसायः कॉन्ट्रैक्टर और बिजनेसमैन

HIGHLIGHTS

  • गरीब परिवार से तअल्लुक रखते हैं शिंदे
  • पढ़ाई छोड़कर चलाने लगे थे ऑटो रिक्शा
  • 1980 के दशक में शुरू की राजनीति

Source : News Nation Bureau

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