सरकार ने जम्मू-कश्मीर के मूल निवासियों के लिए अधिसूचना जारी की तो दलों ने कहा- जख्मों पर नमक

केंद्र सरकार ने बुधवार को मूल निवासियों के लिये नियम जारी किये और इसमें उनको भी शामिल किया जो केंद्रशासित प्रदेश में 15 साल से रह रहा है या सात साल से पढाई कर रहा है.

केंद्र सरकार ने बुधवार को मूल निवासियों के लिये नियम जारी किये और इसमें उनको भी शामिल किया जो केंद्रशासित प्रदेश में 15 साल से रह रहा है या सात साल से पढाई कर रहा है.

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Deepak Pandey
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जम्मू-कश्मीर( Photo Credit : फाइल फोटो)

जम्मू कश्मीर से विशेष दर्जा वापस लेने के करीब आठ महीने बाद केंद्र सरकार ने बुधवार को मूल निवासियों के लिये नियम जारी किये और इसमें उनको भी शामिल किया जो केंद्रशासित प्रदेश में 15 साल से रह रहा है या सात साल से पढाई कर रहा है. राजनीतिक दलों ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि यह कदम लोगों के जख्मों पर नमक छिड़कने जैसा है. सरकार ने बुधवार को जम्मू कश्मीर पुनर्गठन आदेश 2020 के नाम से एक गजट अधिसूचना जारी की जिसमें जम्मू कश्मीर के 138 कानूनों में कुछ संशोधनों की घोषणा की गयी. इनमें एक संशोधित अधिनियम जम्मू कश्मीर प्रशासनिक सेवा (विकेंद्रीकरण और भर्ती) है जिसमें केंद्रशासित प्रदेश के मूल निवासियों को ही समूह-4 तक की नौकरियां देने संबंधी संशोधन शामिल है.

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सरकार ने मूल निवासियों की श्रेणी के लिए एक उपबंध शामिल किया है जिसके तहत किसी व्यक्ति को कम से कम 15 साल की अवधि तक केंद्रशासित प्रदेश में निवास करना होगा या सात साल वहां पढाई करनी होगी और यह भी जरूरी है कि उसने 10वीं और 12वीं की परीक्षा केंद्रशासित प्रदेश स्थित शैक्षणिक संस्थान में दी हो । कानून अब कहता है कि कोई व्यक्ति तब तक समूह-4 तक के वेतनमान वाले पद के लिए पात्र नहीं होगा जब तक कि वह जम्मू कश्मीर केंद्रशासित प्रदेश का मूल निवासी नहीं हो. समूह-4 पुलिस महकमे में कांस्टेबल के दर्जे के कर्मचारी के समान स्तर के हैं. राहत और पुनर्वास आयुक्त (प्रवासी) द्वारा प्रवासी के रूप में पंजीकृत व्यक्ति को भी मूल निवासी माना जायेगा.

राज्य में दस साल तक सेवाएं दे चुके नौकरशाहों (अखिल भारतीय सेवाओं के) के बच्चे भी इस श्रेणी में आते हैं. केंद्र सरकार के अधिकारियों, अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियों, सार्वजनिक उपक्रम और केंद्र सरकार की स्वायत्त ईकाइयों, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंको, वैधानिक ईकाइयों के अधिकारियों, केंद्रीय विश्वविद्यालयों के अधिकारियों और केंद्र सरकार से मान्य शोध संस्थानों के अधिकारियों के बच्चे भी इस श्रेणी में आयेंगे बशर्ते इन अधिकारियों ने जम्मू कश्मीर में दस साल से अधिक नौकरी की हो .

राजनीतिक दलों ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया जतायी है। इन दलों में नवगठित जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी भी शामिल है जिसके प्रमुख ने पार्टी के गठन के बाद पिछले महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी. पार्टी के अध्यक्ष सैयद अल्ताफ बुखारी ने एक बयान में कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि यह ऐसे समय में जारी किया गया जबकि पूरा देश कोरोना वायरस से जूझ रहा है.

पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी ने कहा कि इससे जम्मू कश्मीर के रहवासियों की समस्यायें और बढ जायेंगी. सज्जाद गनी लोन की जम्मू कश्मीर पीपुल्स कांफ्रेंस ने कहा कि जब पूरी दुनिया महामारी की चपेट में है, ऐसे समय में मूल निवासी नियमों के संबंध में जारी किया गया यह आदेश अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतरता.

Source : Bhasha

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