Bihar Diwas: हर साल 22 मार्च को बिहार दिवस मनाया जाता है. इस दिन प्रदेश के लिए ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और सामाजिक धरोहर को याद करने और राज्य की समृद्धि, विकास तथा उपलब्धियों का उत्सव मनाने का अवसर होता है. इतना ही नहीं इस असवर पर केंद्रीय मंत्रियों भाजपा के तमाम नेता देशभर में लगभग 75 स्थानों पर आयोजित होने वाले समारोहों का हिस्सा होंगे. ये समारोह एक सप्ताह तक आयोजित किए जाएंगे. इसे भाजपा ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की 'एक भारत श्रेष्ठ भारत' पहल का हिस्सा बताया है.
दरअसल, 22 मार्च बिहार के लिए खास माना गया है क्योंकि राज्य के अतीत, वर्तमान और भविष्य पर एक नजर डालने का ये मौका होता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि बिहार का गठन कब हुआ था और इस 22 मार्च के पीछे की कहानी क्या है, आइए समझते हैं.
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113 साल का हुआ बिहार
बता दें कि 22 मार्च, 1912 को बिहार का गठन हुआ था. बंगाल प्रांत से इसे अलग कर एक नये राज्य की पहचान मिली थी. इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य बिहार की पहचान को वैश्विक स्तर पर और मजबूती से स्थापित करना है. यह राज्य के लिए एक गर्व और प्रेरणा का प्रतीक बनकर उभरता है और हर बिहारी इस दिन अपनी जमीन और माटी को याद करता है.
इस अवसर पर राज्यभर में विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम, मेला और उत्सव का आयोजन किया जाता है. यह दिन बिहारियों के लिए एक विशेष महत्व रखता है. बिहार दिवस पर बिहार के लोगों को अपनी सांस्कृतिक धरोहर, शिक्षा, कला, साहित्य और संघर्ष की प्रेरणा मिलती है. इस दिन लोक कला, संगीत, नृत्य और भोजन की विविधता का भी जश्न मनाया जाता है.
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इतिहास में बिहार के कई महत्वपूर्ण योगदान
बात करें अगर भारतीय इतिहास की तो इसमें बिहार ने भी कई महत्वपूर्ण योगदान दिए हैं. यहां खगोलशास्त्री आर्यभट्ट और महान गणितज्ञ ने जन्म लिया था. भगवान बुद्ध ने बोधगया में ज्ञान प्राप्त किया, नालंदा विश्वविद्यालय को प्राचीन काल में ज्ञान केंद्र कहा जाता था. इसके अलावा बिहार को चंद्रगुप्त मौर्य और अशोक जैसे महान सम्राटों के लिए भी इसकी पहचान है.
ऐसे में ये कहा जा सकता है कि ये सभी बिहार की गौरवशाली धरोहर के प्रतीक हैं. इन सबके माध्यम से बिहार ने न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया में अपनी पहचान बनाई है. वर्तमान में भी बिहार की तस्वीर बदली है. यहां शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़कों और बुनियादी ढांचे में निरंतर सुधार देखने को मिल रहा है.
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