क्रिकेट दोबारा शुरू होने पर अंपायरों के लिए क्या होगी सबसे बड़ी चुनौती, क्लिक कर जानें
आईसीसी के अंपायरों के एलीट पैनल के सबसे युवा सदस्य नितिन मेनन एशेज सीरीज को सर्वोच्च चुनौती मानते हैं, लेकिन उनका कहना है कि मौजूदा हालात में सबसे बड़ी चुनौती यह सुनिश्चित करना है कि खिलाड़ी जानबूझकर या अनजाने में गेंद पर लार नहीं लगाएं.
New Delhi:
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) (ICC) के अंपायरों के एलीट पैनल (Umpire Elite Panel) के सबसे युवा सदस्य नितिन मेनन (Nitin Menon) एशेज सीरीज को सर्वोच्च चुनौती मानते हैं, लेकिन उनका कहना है कि मौजूदा हालात में सबसे बड़ी चुनौती यह सुनिश्चित करना है कि खिलाड़ी जानबूझकर या अनजाने में गेंद पर लार नहीं लगाएं. 22 साल की उम्र में क्रिकेट खेलना छोड़ने वाले 36 साल के नितिन मेनन इसके बाद अंपायरिंग से जुड़े जिसका हिस्सा उनके परिवार में कई सदस्य हैं. नितिन मेनन ने तीन साल पहले अंतरराष्ट्रीय पदार्पण किया और सोमवार को 12 सदस्यीय एलीट पैनल में उनका प्रवेश सोने पर सुहागा रहा.
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कोविड-19 महामारी के बीच एलीट पैनल का हिस्सा बने नितिन मेनन को नहीं पता कि उन्हें कब अंपायरिंग का मौका मिलेगा लेकिन उन्हें पता है कि आईसीसी के मौजूदा दिशानिर्देशों को लागू करना बड़ी चुनौती होगी. नितिन मेनन ने पीटीआई से कहा कि मुख्य चुनौती गेंद को संभालना होगा, यह चुनौती टेस्ट मैचों में अधिक होगी. शुरुआत में नियमों को लागू करने से पहले हम खिलाड़ियों को चेतावनी देंगे, जैसा कि हम तब करते हैं जब कोई खिलाड़ी खतरनाक तरीके से पिच पर दौड़ता है.
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इंदौर के रहने वाले इस अंपायर ने कहा कि खिलाड़ियों के जानबूझकर की जगह गलती से लार लगाने की संभावना अधिक है इसलिए हम इसी के अनुसार कार्रवाई करेंगे. इंग्लैंड में अगले महीने शुरू होने वाली सीरीज के बाद खेलने के हालात को लेकर विस्तृत नियम आएंगे जिसके बाद हमें बेहतर पता चलेगा कि खेल में हाल में किए गए बदलावों को कैसे लागू करना है.
स्थिति सामान्य होने पर मेनन को इंग्लैंड और आस्ट्रेलिया के बीच ऐतिहासिक एशेज सीरीज का हिस्सा बनने की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं कि मैंने एशेज में अंपायरिंग का सपना देखा है. यह एकमात्र सीरीज है जो मैं टीवी पर देखता हूं. वहां का माहौल, जिस तरह से सीरीज खेली जाती है उसका मैं भी हिस्सा बनना चाहता हूं. यह इंग्लैंड में हो या आस्ट्रेलिया में मैं इसका हिस्सा बनना पसंद करूंगा. और विश्व कप में अंपायरिंग, यह चाहे टी20 हो या एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय.
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कोरोना वायरस महामारी के कारण यात्रा संबंधी पाबंदियों को देखते हुए आईसीसी ने फैसला किया है कि सीरीज में केवल स्थानीय अंपायर अंपायरिंग करेंगे. इंग्लैंड में पहुंचने के बाद ट्रेनिंग शुरू करने से पहले वेस्टइंडीज टीम को जिस तरह पृथकवास में रहना पड़ा अंपायरों को भी वैसा ही करना होगा और मेनन को लगता है कि इसका अंपायरों पर मानसिक प्रभाव पड़ेगा. खिलाड़ियों का गेंद पर लार नहीं लगाना सुनिश्चित करने के अलावा अंपायरों को यह भी देखना होगा कि खिलाड़ी सामाजिक दूरी के नियमों का पालन करें और गेंद के संपर्क में आने के बाद वे हाथ को नियमित रूप से सेनेटाइज करें. अंपायरों को भी सामाजिक दूरी के नियमों का पालन करना होगा ओर अब उन्हें मैदान पर खिलाड़ी की निजी चीजों को नहीं संभालना होगा.
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मेनन ने कहा कि ग्लव्स पहनना अंपायरों की व्यक्तिगत पसंद होगी लेकिन हमने फैसला किया है कि हम अपनी जेब में सेनेटाइजर रखेंगे. विकेट गिरने के बाद और ड्रिंक्स ब्रेक के दौरान हमें हाथ में गेंद रखी होगी इसलिए सुरक्षित रहना बेहतर है. उन्होंने कहा कि और अगर खिलाड़ी गेंद पर लार लगा देते हैं तो हमें उसे तुरंत सेनेटाइज करना होगा. यह चौथे अंपायर का काम होगा. वह वाइप्स लेकर आएगा और गेंद को सेनेटाइज करेगा. खेल में हो रहे इन बदलावों का ओवर गति पर असर पड़ सकता है लेकिन मेनन ने कहा कि अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी.
उन्होंने कहा कि हम वेस्टइंडीज और पाकिस्तान के खिलाफ इंग्लैंड की घरेलू श्रृंखला में अंपायरिंग करने वालों की प्रतिक्रिया का इंतजार कर रहे हैं. आईसीसी जो भी नियम बनाएगा हम उसका पालन करेंगे. तीन टेस्ट सहित 43 अंतरराष्ट्रीय मैचों में अंपायरिंग कर चुके मेनन ने कहा कि घरेलू अंपायर पर अधिक दबाव होता है और एलीट पैनल का हिस्सा होने के कारण उन पर इस तरह का कोई दबाव नहीं होगा. भारत नियमित रूप से विश्वस्तरीय अंपायर तैयार करने में विफल रहा है लेकिन मेनन का मानना है कि अब स्थिति बेहतर हो रही है.
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