पाकिस्तान के खिलाफ एक खराब सीरीज से बाहर हो गया था यह दिग्गज, अब बोले- कपिल देव ने कहा था...
भारत ने जब से क्रिकेट खेलना शुरू किया है, तब से लेकर अब तक लगातार विश्व किकेट एक से एक महान और दिग्गज बल्लेबाज दिए हैं. कई बल्लेबाज तो ऐसे हुए, जिनका खेल देखने के लिए ही लोग क्रिकेट स्टेडियम में आया करते थे.
New Delhi:
भारत ने जब से क्रिकेट खेलना शुरू किया है, तब से लेकर अब तक लगातार विश्व किकेट एक से एक महान और दिग्गज बल्लेबाज दिए हैं. कई बल्लेबाज तो ऐसे हुए, जिनका खेल देखने के लिए ही लोग क्रिकेट स्टेडियम में आया करते थे. लेकिन अगर उसी खिलाड़ी की एक सीरीज या कुछ मैच खराब चले जाएं तो उन्हें टीम से बाहर करने में देरी नहीं की जाती थी. और अगर वह सीरीज पाकिस्तान के खिलाफ हो तब तो कतई नहीं. अब ऐसा ही एक खुलासा भारत के दिग्गज बल्लेबाजों में शुमार किए जाने वाले गुंडप्पा विश्वनाथ (Gundappa Vishwanath) ने किया है.
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गुंडप्पा विश्वनाथ को भारत के महान बल्लेबाजों में गिना जाता है. अपनी कलात्मक बल्लेबाजी के लिए मशहूर इस बल्लेबाज की तकनीक का हर कोई कायल हुआ करता था, लेकिन पाकिस्तान के खिलाफ एक खराब सीरीज के बाद इस बल्लेबाज को टीम से बाहर कर दिया गया था. गुंडप्पा विश्वनाथ ने कहा है कि कपिल देव ने उस समय उनसे कहा था कि 'चयनकर्ता शायद तुम्हें चुनें नहीं.
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गुंडप्पा विश्वनाथ (Gundappa Vishwanath) ने स्टार स्पोटर्स कन्नड के एक शो पर कहा, जब मुझे टीम से बाहर कर दिया गया था तब में काफी निराश था. उस समय, मैंने तीन पारियों में गलत फैसले लिए थे. यह खेल का हिस्सा है. लेकिन ऐसी स्थिति में दो पारियों में अगर मैं स्कोर कर देता तो वह मुझे हटाते नहीं. कपिल देव (Kapil Dev) तब तक कप्तान नियुक्त नहीं किए गए थे, लेकिन सबको इसके बारे में पता था कि वह कप्तान बनने वाले हैं. उन्होंने मुझसे कहा था कि मुझे लगता है कि वो लोग तुम्हें चुनेंगे नहीं. क्या तुम्हारे लिए ठीक है. आप मुझसे कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि मैं कहूं कि नहीं मैं ठीक नहीं हूं.
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कानपुर में 1969 में आस्ट्रेलिया के खिलाफ डेब्यू टेस्ट मैच मैं शतक जमाने वाले विश्वनाथ ने अपने करियर में कुल 14 शतक बनाए 1982-83 में पाकिस्तान के खिलाफ खेली गई छह मैचों की टेस्ट सीरीज के बाद विश्वनाथ का करियर खत्म हो गया. इस सीरीज में भारत को हार मिली थी. घरेलू क्रिकेट से अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट के अपने सफर पर विश्वनाथ ने कहा कि इसके लिए इरापल्ली प्रसन्ना का शुक्रिया जिन्होंने मुझे राज्य के लिए खेलने में मदद की.
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मंसूर अली खान पटौदी उस समय हैदराबाद में रणजी ट्रॉफी खेल रहे थे. कर्नाटक टीम का हिस्सा होने के नाते हमें उनके खिलाफ खेलना था. पटौदी ने मुझे वहां करीब से देखा. 1968 में न्यूजीलैंड की टीम आई थी और अध्यक्ष एकादश के खिलाफ उसे मैच खेलना था. मुझे टीम में चुना गया था. चंदू बोर्डे कप्तान थे. हमारी अच्छी साझेदारी रही थी. बोर्डे ने पटौती से मेरी सिफारिश की और इस तरह मैं अपनी उम्मीदों से पहले ही सामने आ गया. विश्वनाथ को अपने स्कावयर कट और फ्लिक के लिए जाना जाता था. उनके बारे में कहा जाता है कि वह एक गेंद पर पांच तरह के शॉट खेला करते थे.
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